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एसजीपीजीआई अग्निकांड : गर्भवती चिकित्सक भी पीछे नहीं रहीं बचाव कार्य से

-चिकित्सक, नर्सिंग ऑफीसर, टेक्नीशियंस सहित बचाव कार्य में सहयोग देने वाले सभी कार्मिकों की प्रशंसा की निदेशक ने

-बचाव कार्य में लगे कुछ कार्मिकों को बाद में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी रखना पड़ा

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
यहां स्थित संजय गांधी पीजीआई में 18 दिसम्बर को संस्थान की ओटी 1 में हुए अग्निकांड के प्रति पुन: दुख जताते हुए निदेशक डॉ आरके धीमन ने इस घटना में अपनी जान में जोखिम में डालकर बचाव कार्य करने वाले संस्थान के चिकित्सकों, नर्सिंग ऑफिसर्स, तकनीशियन, गार्ड, पेशेन्ट हेल्पर सहित सभी उन कार्मिकों की प्रशंसा की है। इनमें एक महिला चिकित्सक ने गर्भावस्था में भी इस नेक कार्य करने में सहयोग दिया।

निदेशक ने कहा है कि ऑपरेशन थियेटर-1 में हुए अग्निकान्ड से हम सब व्यथित हैं, शोक संतप्त हैं तथा मृतक परिजनों के प्रति हम अपनी हार्दिक संवेदनाये व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इस हादसे मे अपनी जान पर खेलकर मरीजों को वहां से निकालने , उन्हे तुरंत दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित कर उपचार की निरंतरता बनाये रखने का जो उदाहरण हमारे संस्थान परिवार के सदस्यों ने प्रस्तुत किया है, वह प्रशंसनीय है। इनमें हमारे चिकित्सक, नर्सिंग ऑफिसर, तकनीशियन, गार्ड, पेशेन्ट हेल्पर सभी शामिल हैं।

उन्होंन कहा है कि कार्डियक ओटी मे ऑपरेशन कर रहे प्रो डॉ शान्तनु पाण्डे, एन्डोसर्जरी ओ टी में डॉ ज्ञान चन्द व डॉ सबा रत्नम और एनेस्थेसिया की डॉ चेतना शमशेरी, डॉ संदीप साहू, डा० संजय कुमार, डा० अंकुश, डा० तपस के साथ ही सीनियर रेजीडेंट्स डा० श्वेता, डा० शिप्रा, डा० राजश्री, डा० निशांत, डा० आकाश जेरोम, डा० आशुतोष चौरसिया, डा० पल्लव, डा० दिव्या, डा० लारेब, डा० नितिन, डा० नूपुर, डा० प्रत्युष, डा० अन्वेशा, डा० सुरेश, डा० सूरज नाईक, गौरव के साथ ही टेक्नीशियंस राजीव सक्सेना, चन्द्रेश, चन्दन, अर्जुन, राज कुमार, और ओटी अटेन्डेंट जितेन्द्र व फायर फाइटर विशाल सिंह ने धुएं व आग की परवाह न करते हुए मरीजों को तुरंत दूसरी जगह पहुंचाया।

उन्होंने कहा कि एक महिला चिकित्सक ने गर्भावस्था होने के बावजूद धुएं में घुसकर रोगियों को रेस्क्यू किया, जिन्हें बाद में तबीयत बिगड़ने पर भर्ती कर उपचार दिया गया। अब महिला चिकित्सक और उनके गर्भस्थ शिशु दोनों ठीक हैं।

अत्यधिक धुएं के बीच देर तक रहने से हुई परेशानी के कारण डा० शमशेरी और टेक्निकल ऑफिसर राजीव सक्सेना को कुछ समय ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा।

निदेशक ने कहा है कि नर्सिंग ऑफिसर नीलम, मनोरमा, सौरभ, विद्यावती, रीता, अल्का, कमलेश कुमारी, निरुपमा व सीमा शुक्ला, इलेक्ट्रिशन अतुल, ओटी अटेंडेंट जयकरन, पंकज, तुषार, राकेश, जेनरेटर स्टाफ अतुल ने अतुलनीय साहस का परिचय दिया और आग व धुएं की परवाह न करते हुए मौके पर डटे रहे। उन्हें सांस लेने में हुई तकलीफ के कारण इनमे से कुछ को ऑक्सीजन सपोर्ट व आवश्यक दवाएं दी गईं।

इसी प्रकार रोगी सहायकों में हेमंत, ओम प्रकाश, रवि, रवि रंजन, विशाल रावत, मनीष प्रभाकर, सफाई पर्यवेक्षक, ओम प्रकाश, राधे श्याम सिंह, जीतेन्द्र, सुरेंद्र, राजू, शिवराज, तुषार, कैलाश, अनिल, लिफ्टमैन राहुल और सरोज ने असाधारण साहस का परिचय दिया और बचाव कार्य में पूरा सहयोग दिया।

संस्थान की फायर फाइटर टीम के योगदान की विशेष सराहना करनी होगी जिन्होंने घटना की सूचना मिलते ही अपना आंतरिक फायर फाइटिंग सिस्टम सक्रिय किया और हाइड्रेंट सिस्टम का प्रयोग करते हुए कुछ ही समय में आग पर काबू पा लिया रोगियों को बाहर निकलने में भी उनका विशेष सहयोग रहा। उन्होंने कहा कि एक भी चिकित्सक या स्टाफ अपनी ड्यूटी से नहीं भागा, तथापि जो भी वहां उपस्थित थे, उन्होंने अपना पूरा सहयोग दिया।

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