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खूबसूरत रिश्‍ते को बचाने के लिए दिल के खेल को दिमाग की बत्‍ती जलाकर खेलें

-रिलेशन की शुरुआत में किन बातों का रखें ध्‍यान, बता रही हैं क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट सावनी गुप्‍ता

-विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस-जागरूकता सप्‍ताह (एपीसोड 4)  

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। जीवन साथी के साथ स्वस्थ रिश्ते सम्मान, ईमानदारी और विश्वास जैसे गुणों की नींव पर बनते हैं। इस सर्वाधिक महत्‍वपूण रिश्‍ते में विश्‍वास के गुणों को बनाए रखने के लिए समय-समय पर संघर्ष करना स्वाभाविक है। ऐसे में यदि गुणों को बनाये रखने की जिम्‍मेदारी दोनों में से सिर्फ एक ही निभाता है तो मुश्किलें खड़ी होती हैं।

सावनी गुप्‍ता

ऐसी मुश्किलों की नौबत न आये, इसके लिए जरूरी है कि दिल के इस खेल को हम दिमाग की बत्‍ती जलाकर खेलें। इस खूबसूरत रिश्‍ते को हमेशा बनाये रखने के लिए किन बातों को ध्‍यान में रखना चाहिये, इस बारे में ‘सेहत टाइम्‍स’ के साथ कपूरथला, अलीगंज स्थित फेदर्स-सेंटर फॉर मेंटल हेल्‍थ की फाउंडर, क्‍लीनिकल साइकोलॉजिस्‍ट सावनी गुप्‍ता ने विशेष वार्ता की।  

सावनी ने बताया कि बहुत बार ऐसा होता है कि आपसी रिश्तों में जहर घुलने या दरार पड़ने के संकेत तब पहचाने जाते हैं जब बहुत देर हो चुकी होती है, और उस समय दोनों ही अपनी गलतियों को मानकर समझौता करने के मूड में नहीं होते हैं, बल्कि वह उम्‍मीद अपने साथी से करते हैं कि वही झुके। विषाक्त रिश्तों के परिणाम बहुत बड़े हो सकते हैं जैसे भावनात्मक क्षति, भविष्य के रिश्तों पर भरोसा करने में कठिनाइयाँ, अवसाद, चिंता, और बहुत कुछ। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि रिलेशन में आने की शुरुआत में ही सूक्ष्‍म लेकिन महत्‍वपूर्ण संकेतों पर ध्‍यान दें जिससे विश्‍वास की नींव कभी भी इतनी कमजोर न पड़े कि प्‍यार की इमारत ढह जाये।  

सावनी बताती हैं कि विषाक्त रिश्ते शक्ति और नियंत्रण पर केंद्रित होते हैं। विभिन्‍न शोध बताते हैं कि जहरीले रिश्तों को छोड़ना इतना मुश्किल इसलिए होता है कि पीडि़त साथी डरता है कि अकेले कैसे रहेंगे, लोग क्‍या कहेंगे, फि‍र से ऐसे जीवन की शुरुआत कैसे करेंगे। यही डर उसे अस्‍वस्‍थ रिश्‍ते में रहने को मजबूर करता है।

सावनी ने बताया कि ऐसे छह संकेत हैं जिनसे समझा जा सकता है आप जहरीले रिश्ते में हैं।

1. जैसे-जैसे रिश्ते आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे विश्वास का स्तर भी बढ़ता है। किसी रिश्ते की शुरुआत में बातचीत स्वाभाविक रूप से अधिक सतही और हल्की-फुल्की होती है – लेकिन लम्‍बे समय से रिश्‍ते में रहने के बाद भी अगर आप गंभीर,  मन की बातचीत नहीं कर पा रहे हैं, तो यह एक संकेत हो सकता है कि कुछ गड़बड़ है .

2. अगर आप अपनी निजी पहचान, अपने दोस्त, अपनी पसंद, स‍ब इस कारण खो देते हैं कि यह बात आपके साथी को पसंद नहीं है। फि‍र एक समय ऐसा आता है कि इन सब बातों को अपने साथी को बताने से डरते भी है कि अगर बताया तो कहीं वह बुरा न मान जाये। यानी हर समय आप कांटों पर चलने का कार्य करते हैं, आप हमेशा इस दबाव और डर में रहते हैं कि बस रिश्ते में बहस और लड़ाई ना हो।

3. यदि आपका साथी हमेशा आपके निर्णयों में हस्‍तक्षेप करता है, अपनी राय ही थोपने की कोशिश करता है, यह जताता है कि आपको उस बारे में इतना ज्ञान नहीं है और जो वो कह रहा है वही सही है।

4. आपको अपनी भावनाओं के लिए दोषी महसूस कराना, अपनी भावनाओं को ऊंचा उठाना तरह से शो करके हेरफेर करना और अपनी बात मनवाना…इसको भावनात्मक जबरदस्ती बोलते हैं…हमेशा स्वार्थी मांगें रखता है जो उन्हें सूट करता है। अगर उनका मन नहीं है तो आपकी पसंद की सराहना और सम्‍मान नहीं करेंगे। उदाहरण के रूप में ऐसे समझा जा सकता है कि आपको छोटे-छोटे आउटिंग पसंद हैं पर क्योंकि आपके पार्टनर को पसंद नहीं इसलिए नहीं जायेंगे, इसके विपरीत जिन जगहों पर उन्‍हें जाना पसंद है तो आपका मन हो या हो जाने के लिए बाध्‍य करेंगे।  

5. सावनी बताती हैं कि यदि आपका साथी कभी भी सार्वजनिक रूप से आपकी सराहना नहीं करता है, सबके सामने कभी आपकी तारीफ नहीं करेंगे लेकिन घर पर अकेले में अच्छा बोलते रहेंगे, ऐसे में आपके अंदर एक भावनात्‍मक भूख बनी रहती है। बस आपको एक उम्‍मीद बनी रहती है कि शायद आज वो आपकी भावनाओं को समझेंगे और फि‍र अचानक उन्‍हें गुस्‍सा आ जाता है और आपकी उम्‍मीद ध्‍वस्‍त हो जाती है।

6. कपल का एक दूसरे को पर्सनल स्पेस नहीं देना, हर जगह साथ में जाने की कोशिश करना, एक दूसरे के अकेले समय को या उनके व्यक्तिगत निमंत्रण को सम्मान ना देना।

सावनी ने बताया कि इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि दोनों पार्टनर की अपनी खुद की एक पहचान रिश्ते के बाहर होनी चाहिए। हर चीज़ के लिए एक दूसरे पर निर्भर नहीं होना चाहिए और एक दूसरे के लिए पसंद और स्पेस को सम्मान करना चाहिए… अगर ये नहीं है तो इसे स्‍वस्‍थ रिश्‍ता नहीं कहा जा सकता है।

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