-देशभर में सिर्फ तीन स्थानों पर यह लैब खोलने को मिली है मंजूरी
सेहत टाइम्स
लखनऊ। स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, नई दिल्ली ने संजय गांधी पी जी आई, लखनऊ में “वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला” को मंजूरी दी है।
संस्थान के निदेशक प्रो . आर. के धीमन ने बताया कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर), जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली के अंतर्गत संचालित है, ने संजय गांधी पी जी आई में “वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (वीआरडीएल लैब)” को स्वीकृत किया है।
उन्होंने बताया कि जनवरी 2023 में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नई दिल्ली द्वारा “महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क की स्थापना” नामक योजना के तहत एक वायरल डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गये थे। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल गर्ग ने पहल की और एक शोध समूह तैयार किया, जिसमें विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलोजी, प्रोफेसर डॉ. रुंगमेई एस के मराक और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. चिन्मय साहू, न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. वी के पालीवाल, जनरल अस्पताल में सलाहकार चिकित्सक डॉ. प्रेरणा कपूर और क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. मोहन गुर्जर शामिल थे।
इस प्रतिष्ठित योजना के तहत 100 से अधिक केंद्रों ने आवेदन किया था और कई दौर के साक्षात्कार और निरीक्षण के बाद केवल तीन केंद्रों का चयन किया गया है। इनमें उत्तर भारत में एक केंद्र यानी, संजय गांधी पी जी आई लखनऊ और दक्षिण भारत में दो केंद्र (एनआईएमएचएएनएस, बैंगलोर और आईसीएमआर-एनआईटीएम, बेलगावी, कर्नाटक) शामिल हैं। डॉ. अतुल गर्ग ने बताया कि इस योजना के तहत डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, इन्फ्लूएंजा, एंटरोवायरस, एडेनो वायरस, कण्ठमाला, खसरा, रूबेला, रोटा वायरस, जीका वायरस, पश्चिमी नील वायरस जैसी सामान्य वायरल बीमारियों पर सीरोलॉजिकल परीक्षण, आणविक निदान और अनुसंधान करने के लिए संस्थान को वायरल डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 4 करोड़ रुपये की फंडिंग मिलेगी।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रुंगमेई एस के मारक ने कहा कि इस योजना के तहत एक अलग प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी और संस्थान में भर्ती सभी मरीजों के लिए व ओ पी डी मरीजों के लिए तीव्र ज्वर बीमारी, एन्सेफलाइटिस, श्वसन वायरल संक्रमण के निदान के लिए सभी जांचे मुफ्त की जाएंगी। साथ ही वीआरडीएल प्रयोगशाला विभाग में चल रहे मौजूदा संक्रामक रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), उत्तर प्रदेश, के साथ समन्वय करेगी और किसी भी बीमारी के फैलने या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अन्य सरकारी अस्पतालों और पड़ोसी जिलों से नमूनों का परीक्षण करेगी।