-यही रफ्तार रही तो वर्ष 2030 तक भारत बन जायेगा सर्वाधिक आबादी वाला देश
-विश्व जनसंख्या दिवस पर आईएमए व मारवाड़ी युवा मंच के संयुक्त तत्वावधान में समारोह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में आईएम लखनऊ व मारवाडी युवा मंच लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में विश्व जनसंख्या दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि विश्व की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है। विश्व में 22.5 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं जो कि अनचाहे गर्भ की चपेट में हैं, इसकी मुख्य वजह उन्हें गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जानकारी न होना है।
आईएमए भवन में आयोजित समारोह में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी जनसंख्या नियंत्रण का संदेश दिया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में आईएमए लखनऊ के अध्यक्ष डॉ जेडी रावत ने आये हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए जनसंख्या दिवस के महत्व और उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। समारोह में जनसंख्या से जुड़े मुद्दे पर नुक्कड़ नाटक एवं परिवार नियोजन पर जागरूकता संगोष्ठी पर चिकित्सकों ने अपने विचार रखे। तथ्यों एवं आंकड़ों के माध्यम से जनसंख्या दिवस के संदेश को सरकार तथा समाज तक पहुँचाने का प्रयास किया गया।
डा0 संजय सक्सेना सचिव ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह दिवस सबसे पहली बार 11 जुलाई 1987 को मनाया गया था क्योंकि इसी दिन विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार कर गई थी इसे देखते हुऐ संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर दुनिया भर में जागरूकता फैलाने के लिए यह दिवस मनाने का निर्णय लिया क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित दोनों तरह के देश जनसंख्या विस्फोट से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ती जनसंख्या की वजह से देश में लगातार बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी बढ़ेगी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ रह पाना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा अनुमान है कि भारत में एक मिनट में लगभग 25 बच्चे जन्म लेते हैं लेकिन यह आंकड़ा अस्पताल में जन्म लेने वालों का है जबकि कुल आंकड़ा कहीं इससे ज्यादा है क्योंकि घरों में भी बच्चे जन्म लेते हैं।
उन्होंने कहा कि जनसंख्या के हिसाब से चीन विश्व में प्रथम स्थान पर और भारत दूसरे स्थान पर है इसी को देखते हुए भारत सरकार परिवार नियोजन के कई कार्यक्रम चला रही है। इस समय भारत की आबादी अमेरिका, इन्डोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश की कुल जनसंख्या से ज्यादा है लेकिन भारत के पास विश्व का मात्र 2.4 प्रतिशत क्षेत्र है। यदि जनसंख्या की रफ्तार पर रोक नहीं लगी तो भारत 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा। पूरे विश्व में लगभग 225 मिलियन (22.5 करोड़) महिलाएं अनचाहे गर्भ की चपेट में हैं जिसका प्रमुख कारण है सुरक्षित एवं प्रभावी परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध होने की जानकारी की अनभिज्ञता, जो कि सरकार एवं समाज की जिम्मेदारी है। यूनाइटेड नेशन का कहना है कि सुरक्षित एवं स्वैच्छिक परिवार नियोजन के साधन अपनाना उनका मानवाधिकार है और यही महिलाओं में असमानता एवं गरीबी दूर करने का हथियार है।
50 छात्रों के साथ केके इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइन्सेस व नर्सिंग होम के स्टाफ ने नुक्कड नाटक के माध्यम से जनता को जागरूक किया और परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी। नाटक को सफल बनाने में डॉ अनिता सिहं का विषेष योगदान रहा।
इस अवसर पर डॉ. वारिजा सेठ ने “परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी” और डॉ अपेक्षा विश्नोई ने “गर्भनिरोधक चर्चा के बारे में मिथक और तथ्य” पर चर्चा का संचालन किया। चर्चा में डॉ मंजू शुक्ला, डॉ. रवि आनंद, डॉ. रुखसाना खान, डॉ. शिखा श्रीवास्तव डॉ. रितु सक्सेना ने हिस्सा लिया। समारोह के अंत में डॉ संजय सक्सेना ने आये हुए अतिथियो को धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर निवर्तमान अध्यक्ष डॉ मनीष टंडन सहित अनेक डाक्टर्स मौजूद थे।