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नयी तबादला नीति निरस्‍त करे सरकार, वरना यूपी भर में होगा आंदोलन

-राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने अपर मुख्‍य सचिव से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा

सेहत टाइम्‍स 

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उप्र  ने वर्ष 2023-24 के लिए जारी स्‍थानांतरण नीति को तत्‍काल प्रभाव से निरस्‍त करने की मांग की है, ऐसा न होने पर प्रदेश भर में आंदोलन की चेतावनी दी है।

राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद के एक प्रतिनिधिमण्डल ने इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्प्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र नेतृत्व में अपर मुख्य सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक उ0प्र0 शासन से लोक भवन में भेंट कर पुरजोर मांग की कि वर्ष 2023-24  के लिए कर्मियों के लिए जारी स्थानान्तरण नीति को तत्काल निरस्त करके विगत वर्ष में बनी नीति के अनुरूप जारी किया जाए, वरना उत्तर प्रदेश भर आन्दोलन शुरू किया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी आन्दोलन कर भी रहे है, इप्सेफ उनमें पूरा समर्थन करेगा।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन देते हुए बताया कर्मचारी संगठनों के प्रदेशीय/मण्डलीय/जनपदीय अध्यक्ष/मंत्री के निर्वाचन पर दो वर्ष के लिए स्थानान्तरण पर रोक थी और यदि कोई पदाधिकारी दोबारा निर्वाचित हो जाता है तो उस पर भी रोक लागू रहेगी। जनपदीय स्थानान्तरण में यह भी व्यस्था थी कि जिलाधिकारी की संस्तुति बिना स्थानान्तरण नहीं हो सकेगा।  दिव्यांग, दाम्पत्य नीति, गंभीर रोग से ग्रसित  का स्थानान्तरण नहीं होगा। यह सुविधा नीति में संशोधन कर लगभग समाप्त कर दी गई है। समूह “ग” व “घ” के स्थानान्तरण करके  सरकार की मंशा से यह  स्पष्ट हो जाता है कि सरकारी कर्मचारी संगठनों को कमजोर करना चाहती है, जिससे वे पुरानी पेंशन एवं अन्य मांगों पर आन्दोलन न कर सकें।

वीपी मिश्र ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि प्रदेश के कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों का स्थानान्तरण करके संगठनों को कमजोर करने की नीति में बदलाव लायें, और कर्मचारी संगठनों के रोष को देखते हुये स्थानान्तरण नीति में संशोधन  कर जारी करें तथा कर्मचारियों की मांगों पर कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक करके मांगों पर सकारात्मक निर्णय करके आपसी सहमति बनाये।

वीपी मिश्र ने खेद  व्यक्त किया कि वर्तमान मुख्य सचिव ने अपने कार्यकाल में एक भी बैठक नहीं की तत्कालीन मुख्य सचिव ने 8 सितम्बर 2021 में जो सभी निर्णय  किये थे वे आज भी लम्बित हैं। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है और इसका बुरा प्रभाव आगमी लोकसभा चुनाव में पड़ेगा। कर्मचारी आन्दोलन करने पर कर्मचारी मजबूर है।

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