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दो तिहाई लोगों में बचपन से व एक तिहाई में युवावस्‍था में शुरू हो जाता है अस्‍थमा

-विश्‍व अस्‍थमा दिवस पर केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में जागरूकता कार्यक्रम सम्‍पन्‍न

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। अस्‍थमा एक आनुवांशिक रोग है, तथा इसकी शुरुआत दो तिहाई लोगों में बचपन मे तथा एक तिहाई लोगों में युवावस्‍था में होती है। इस रोग में रोगी की सांस की नलियां अतिसंवेदनशील हो जाती हैं एवं कुछ कारकों के प्रभाव से उनमें सूजन आ जाती है जिससे रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसे कारकों में धूल (घर या बाहर की) या पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं, नमी, सीलन, मौसम परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड, मानसिक चिंता, व्यायाम, पालतू जानवर एवं पेड़ पोधों एवं फूलों के परागकण तथा वायरस एवं बैक्टीरिया के संक्रमण आदि प्रमुख हैं।  

यह जानकारी विश्‍व अस्‍थमा दिवस के मौके पर के.जी.एम.यू. के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग एवं यूपी चेप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में ’’अस्थमा जागरूकता कार्यक्रम’’ में रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त ने रोगियों व तीमारदारों को अस्थमा के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए दी। ‘विश्व अस्थमा दिवस’ प्रति वर्ष मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में अस्थमा की बीमारी और देखभाल के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम ’’अस्थमा केयर फॉर ऑल’’ अर्थात ’’अस्थमा से सभी की देख भाल’’ है।

विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा प्रतिवर्ष किया जाता है। सन् 1998 में, बार्सिलोना, स्पेन में पहली विश्व अस्थमा बैठक में 35 से अधिक देशों में पहला विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया था। ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA ) की स्थापना 30 साल पहले 1993 में की गयी थी । इसका उद्देश्य अस्थमा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में बेहतर अस्थमा देखभाल और प्रबंधन में वैज्ञानिक साक्ष्यों का आदान – प्रदान करने के लिए एक तंत्र प्रदान करना है। 

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि ग्लोबल बर्डन ऑफ अस्थमा रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 30 करोड़ लोग दमा से पीड़ित हैं। भारत में यह संख्या 3 करोड़ से अधिक है। दमा के इलाज में इन्हेलर चिकित्सा सर्वश्रेष्ठ है क्योकि इसमें दवा की मात्रा का कम इस्तेमाल होता है, असर सीधा एवं शीध्र होता है एवं दवा के कुप्रभाव बहुत ही कम होते हैं। 

इस अवसर पर उपस्थित डॉ आरएएस कुशवाहा ने इन्हेलर के तरीके व रख रखाव के बारे में चर्चा की एवं चिकित्सक की सलाह के अनुसार हमेशा अस्थमा के लिए दवाओं एवं इन्हेलर लेने के लिए आग्रह किया। डॉ अजय कुमार वर्मा ने लोगों को बताया कि बार बार छींक आना, बार बार या लम्बे समय तक जुकाम होना, एलर्जी आगे चल कर अस्थमा में परिवर्तित हो सकती है, इसलिए उक्त लक्षणों का ससमय व समुचित इलाज आवश्यक है। डा0 दर्शन बजाज ने बताया कि अस्थमा एक अंनुवाशिक बीमारी है इसलिए अस्थमा रोगी के परिवार वालों को भी सचेत रहना चाहिये व आवश्यकता पड़ने पर जांच भी करवानी चाहिऐ। डा0 आनन्द श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों के अस्थमा में अक्सर बच्चे उचित इलाज न मिलने पर सो नहीं पाते हैं जिससे उनका विकास में अवरुद्ध होता है। इसलिए बच्चों के इलाज में कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर विभाग द्वारा डा0 राम मनोहर लोहिया पार्क, गोमती नगर लखनऊ में निशुल्क जांच एवं परामर्श कैम्प का आयोजन किया गया, जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ सूर्यकान्त, डा0 अजय कुमार वर्मा व रेजिडेन्ट डाक्टर्स डॉ जय प्रकाश शुक्ला, डॉ विनीत, डा0 जगदीश, डा0 अमन व डा0 रंजीत ने उपस्थित जन समुदाय को अस्थमा के प्रति जागरूक किया एवं उपस्थित लगभग 50 लोगों की सांस की जांच की गयीं तथा आवश्यकतानुसार इन्हेलर दवायें भी प्रदान की गयीं।

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