-कमर दर्द में दवाइयों, मिप्सीज और सर्जरी की भूमिका पर हुई चर्चा
-डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सीएमई का आयोजन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। क्रॉनिक बैक पेन (लम्बे समय से कमर दर्द) हो तो पहले पेन मैनेजमेंट वाले पेन फिजीशियन से सम्पर्क स्थापित करना चाहिये। यह सलाह आज 1 अप्रैल को डॉ0 राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के एनेस्थीसिया विभाग द्वारा “पेन मेडिसिन” विशिष्टता के अर्न्तगत बैकपेन एव मिप्सीज पर आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) में विशेषज्ञों ने दी।
कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान की निदेशक एवं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो सोनिया नित्यानंद ने एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो दीपक मालवीय के साथ दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस दौरान प्रो अनिल अग्रवाल, प्रो कर्नल आरके त्रिपाठी, डॉ सिद्धार्थ वर्मा एवं संस्थान के समस्त संकाय सदस्य एवं रेजीडेन्ट उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक एवं पेन मेडिसिन विशेषज्ञ प्रो अनुराग अग्रवाल एवं डॉ शिवानी रस्तोगी ने बताया कि सीएमई का मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों और आम जनता को क्रॉनिक कमर दर्द से जागरूक करना एवं इसके सफल इलाज के लिए मिप्सी की विस्तृत जानकारी पर प्रकाश डालना है। डॉ शिवानी ने कमर दर्द के मुख्य कारणों जैसे -फेसेट के जोड़ों का दर्द, गठिया, डिस्क का दर्द, कैंसर का रीढ़ की हड्डियों में फैल जाना, ऑस्टियोपोरोटिक फ्रैक्चर के बारे में विस्तार में बताया एवं उसको पहचानने के तरीके भी बताये।
कार्यक्रम के वक्ताओं में एसजीपीजीआई लखनऊ के डॉ सुजीत गौतम ने कमर दर्द से सम्बन्धित पेन जनरेटर साइट को बारीकी से समझाया । डॉ संदीप खूबा ने डिस्क के सूखने, फटने, और हर्नियेट करने से उठने वाले कमर दर्द साईटिका पर प्रकाश डाला। केजीएमयू के डॉ मनीष सिंह ने कमर के छोटे जोड़ों जिन्हें फेसेट जोड़ कहते हैं, में सूजन गठिया या सूक्ष्म ट्रॉमा या गैप होने पर हड्डी के आगे पीछे खिसकना (लिस्थेसिस) की जानकारी दी। डॉ राखी ने सेक्रोइलियेक जोड़ पर एवं डॉ अमितेश ने रीढ़ की हड्डी में बोन सीमेंट पर चर्चा की। सहारा अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ देवेन्द्र सिंह ने दूरबीन विधि से स्पाइन की समस्या का इलाज जैसे- फोरामिनोप्लास्टी, डिस्केक्टमी पर बारीक बातें बताई।
कार्यक्रम के अंत मे पैनल डिस्कशन किया गया जिसमें लो बैक पेन और उसके रोकथाम के लिए चिकित्सकों द्वारा बताये गये महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की और बैक पेन मैनेजमेन्ट पेन फिजीशियन की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। इसके साथ ही क्रोनिक पेन से ग्रसित मरीज को सबसे पहले पेन फिजीशियन से कंसल्ट करने की सलाह दी गयी। पैनल डिस्कशन में डॉ अनुराग अग्रवाल, डॉ सरिता सिंह, डॉ0 वीरेन्द्रर सिंह गोगिया (विभागाध्यक्ष, पीएमआर), डॉ0 विनीत कुमार (ऑर्थोपेडिक्स विभाग), डॉ0 दीपक सिंह (न्यूरोसर्जरी विभाग), डॉ एके सिंह (न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष), डॉ0 देवेन्द्र सिंह, सहारा अस्पताल, डॉ0 ऋतु करोली (मेडिसीन विभाग), डॉ सिद्धार्थ वर्मा पैनलिस्ट थे।
पैनल में उन मरीजों के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया जो कमर दर्द से पीड़ित थे। कमर दर्द में दवाइयों, मिप्सीज और सर्जरी की क्या भूमिका है और किन मरीजों में मिप्सीज ज्यादा जरूरी है और कब हमें उन्हें सर्जरी के लिए भेजा जाना चाहिए पर चर्चा के साथ पेन फिजीशियन द्वारा मिप्सी के बाद कमर को मजबूत करने की एक्सरसाइज, कोर की एक्सरसाइज और ब्रिस्क वॉकिंग को भी अहम बताया गया। चर्चा में यह मंतव्य बना कि हमें एक मल्टी स्पेशियलिटी यूनिट बना कर मल्टी मॉडल थैरेपी से उपचार करना चाहिए। कार्यक्रम का समापन प्रो पीके दास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।