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1 अरब, 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 124 वर्ष की हो गयी सृष्टि

-नववर्ष चेतना समिति ने धूमधाम से मनाया विक्रम संवत भारतीय नववर्ष

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। 14 वर्षों से भारतीय नववर्ष को घर-घर में मनाये जाने की जागरूकता फैला रही नववर्ष चेतना समिति ने बुधवार 22 मार्च को शुरू हुए भारतीय नववर्ष विक्रम सम्‍वत 2080 का स्‍वागत धूमधाम से सांस्‍कृतिक भजन संध्‍या के साथ किया। रायबरेली रोड स्थित विक्रमादित्‍य पार्क में आयोजित समारोह में इस मौके पर एक स्‍मारिका का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में उत्‍तर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्‍कृति मंत्री जयवीर सिंह को आमंत्रित किया गया तथा विशिष्‍ट अतिथि के रूप में लखनऊ की निवर्तमान महापौर संयुक्‍ता भाटिया उपस्थित रहीं। इस मौके पर मुख्‍य वक्‍ता के रूप में उपस्थित राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ पूर्वी उत्‍तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र-संघचालक रामकुमार ने नववर्ष के प्रथम दिन की महत्‍ताओं के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी।

डॉ गिरीश गुप्‍ता

रंग लाने लगी है 14 वर्षों की यात्रा : डॉ गिरीश गुप्‍ता

समारोह की शुरुआत समिति के संस्‍थापक अध्‍यक्ष डॉ गिरीश गुप्‍ता के उद्बोधन से हुई, उन्‍होंने आये हुए सभी अतिथियों का स्‍वागत कर उन्‍हें नववर्ष की बधाई देते हुए नववर्ष चेतना समिति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसकी स्‍थापना 2009 में हुई थी। उन्‍होंने कहा कि समिति की 14 वर्षों की यात्रा रंग लाने लगी है। उन्‍होंने कहा कि भारतीय नववर्ष विक्रम सम्‍वत को मनाने के प्रति जन-जन को जागरूक करने के लिए समिति की स्‍थापना करने वाले डॉ एससी राय ने जो सपना देखा था, वह अब सच होता दिखने लगा है। उन्‍होंने कहा कि अब वह दिन दूर नहीं जब भारत वर्ष को हिन्‍दू राष्‍ट्र के रूप में जाना जायेगा। इस मौके पर समिति की प्रत्‍येक वर्ष निकलने वाली नवचैतन्‍य पत्रिका का विमोचन भी हुआ, डॉ गुप्‍ता ने बताया कि अब तक सात पत्रिकाएं निकल चुकी हैं, आज यह आठवीं पत्रिका है। उन्‍होंने विक्रमादित्‍य पार्क के नामकरण के लिए एक बार फि‍र याद करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित  निवर्तमान महापौर संयुक्‍ता भाटिया का आभार जताया।

रामकुमार

बहुत पवित्र है भारतीय नववर्ष का पहला दिन : रामकुमार

कार्यक्रम के अध्‍यक्ष और मुख्‍य वक्‍ता राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ पूर्वी उत्‍तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र-संघचालक रामकुमार ने शुरू हुए भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक तथ्‍यों को प्रस्‍तुत किया। उन्‍होंने कहा कि आज हिन्‍दू नववर्ष नहीं, भारतीय नववर्ष का पहला दिन है। उन्‍होंने कहा आज बहुत पवित्र दिन है इसके कई कारण हैं, इनमें पहला है वासंतिक नवरात्रि आज से शुरू हो रही हैं, आरोग्‍य प्रतिपदा भी है, उन्‍होंने कहा कि आज सृष्टि संवत के नववर्ष का पहला दिन है आज से 1 अरब, 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 124 वर्ष पूर्व ब्रह्माजी ने प्रात:काल धरती पर सृष्टि की रचना प्रारम्‍भ की थी। अनेक महापुरुषों का जन्‍म इस दिन हुआ। आर्य समाज सहित अनेक संगठनों की स्‍थापना आज ही के दिन हुई। भगवान राम के अयोध्‍या वापस लौटने पर उनके राज्‍याभिषेक का दिन भी आज ही है।  

डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस में रहकर की राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ की स्‍थापना

उन्‍होंने बताया कि संघ के संस्‍थापक डॉ केशवराम बलिराम हेगड़वार का जन्‍मदिवस भी आज है। उन्‍होंने डॉक्‍टरी की पढ़ाई करने के बाद भी डॉक्‍टरी नहीं की, विवाह नहीं किया, उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार से डॉ केशवराम ने भारत को आजाद कराने के उद्देश्‍य को लेकर कांग्रेज ज्‍वॉइन की थी लेकिन जब उन्‍होंने महसूस किया कि कांग्रेस के रवैय्ये से आजादी मिलना आसान नहीं है और अगर मिल भी गयी तो ज्‍यादा समय तक कायम नहीं रह पायेगी इसलिए उन्‍होंने राष्‍ट्र को जागृत करने और उसका स्‍वाभिमान जगाने के लिए 1925 में राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ की स्‍थापना की, लेकिन कांग्रेस छोड़ी नहीं थी। उनकी मृत्‍यु 1940 में हुई थी, सिर्फ 15 वर्षों में उन्‍होंने राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ को अखिल भारतीय संगठन बना दिया। उन्‍होंने कहा कि आज नववर्ष चेतना समिति जैसे संघ के बहुत से अनुशांगिक संगठन खड़े हो गये हैं जो विभिन्‍न प्रकार के सामाजिक उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए अलख जगा रहे हैं। उन्‍होंने ग्रिगेरियन कैलेण्‍डर का भी इतिहास बताया। उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार आजादी के बाद तत्‍कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पंचांग सुधार समिति बनायी जिसके अध्‍यक्ष डॉ मेघनाद साहा थे, जो कि सूर्य सिद्धांत के विरोधी थे, जबकि सूर्य सिद्धांत कालगणना का आधार है, समिति में शामिल अन्‍य लोग भी भारत के ज्‍योतिष शास्त्रियों को काल गणना का निर्धारण करने वाला नहीं, सिर्फ जादूटोना करने वाला मानते थे, नतीजा यह हुआ कि 1953 में समिति ने सरकार से सिफारिश की कि सरकारी कामकाज करने के लिए आजादी के पहले से इस्‍तेमाल होने वाले अंग्रेजों द्वारा स्‍थापित किये गये ग्रिगेरियन कैलेण्‍डर को मान लिया जाये। समिति ने इसके साथ ही एक भारतीय कैलेण्‍डर शक सम्‍वत को भी राष्‍ट्रीय कैलेण्‍डर के रूप में मान्‍यता देने की सिफारिश की। शक संवत के बारे में रामकुमार ने बताया कि भारत के बाहर से आये शकों ने जब उज्‍जैन पर आक्रमण किया तो उज्‍जैन के राजा का क्‍या हुआ यह तो पता नहीं चला, लेकिन रानी अपने 10 वर्षीय पुत्र को लेकर वहां से चुपचाप जंगल में चली गयीं तथा सात वर्ष बाद जब वह पुत्र 17 वर्ष का हुआ तो उसने अपने पिता का बदला लेने के लिए उज्‍जैन पर आक्रमण करने वाले शकों से बदला लिया और उन्‍हें खदेड़ दिया इसके बाद आज ही के दिन वह उज्‍जैन का राजा बना, यही राजा सम्राट विक्रमादित्‍य थे। इस घटना को आज का समाज याद रखे इसलिए राजा विक्रमादित्‍य ने एक संवत्‍सर का प्रचलन करवाया जो विक्रम संवत के नाम से जाना गया। इस घटना को 2079 वर्ष हो गये आज से 2080 वां वर्ष प्रारम्‍भ हो गया है इसीलिए इसे विक्रम संवत 2080 कहा गया है। रामकुमार ने कहा कि इसके बाद 135 वर्ष बीत गये, शकों ने फि‍र से सिर उठाया, तब उज्‍जैन में शालीवाहन नाम के राजा ने सभी शकों का संहार कर दिया, भारत में एक भी शक जीवित नहीं रहा, इसके बाद आज ही के दिन शालीवाहन राजगद्दी पर बैठा तो उसने भी अपनी एक कालगणना प्रारम्‍भ की, जिसे शक संवत नाम दिया गया, इस घटना को कल 1944 वर्ष हो गये, आज से 1945 वां वर्ष प्रारम्‍भ हो गया है, इसी शक संवत को नेहरू सरकार ने राष्‍ट्रीय कैलेंडर का दर्जा दिया, जो अभी तक चल रहा है।  

मंदिरों में दुर्गा सप्‍तशती व रामायण का अखंड पाठ का शासनादेश : जयवीर सिंह

मुख्‍य अतिथि जयवीर सिंह ने भारतीय नववर्ष और चैत्र नवरात्रि की बधाई देते हुए कहा कि चैत्र नवरात्रि में मंदिरों में आज से लगातार नौ दिनों तक दुर्गा सप्‍तशती का पाठ कराने और नवमी को  अखण्‍ड रामायण पाठ कराने का उत्‍तर प्रदेश सरकार ने न सिर्फ निर्णय लिया है, बल्कि इसके पालन के लिए शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। हमारा उद्देश्‍य है कि भारत की सनातन परम्‍पराएं, सनातन संस्‍कृति का संरक्षण और संवर्धन दोनों तेज गति से किये जा रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि प्रदेश में हर जिले में इतिहास के पुनर्लेखन का कार्य शुरू कर दिया है, इतिहास लिखने में जो गल्तियां जानबूझकर की गयी हैं, उन्‍हें सुधारने का कार्य किया जा रहा है।  

इस मौके पर नववर्ष चेतना समिति के पदाधिकारी जो उपस्थित रहे उनमें मुख्‍य संरक्षक रेखा त्रिपाठी, सचिव डॉ सुनील अग्रवाल, पत्रिका की संपादक निवेदिता रस्‍तोगी, उपाध्‍यक्ष अजय सक्‍सेना, कोषाध्‍यक्ष ओम प्रकाश पाण्‍डेय, रंजना द्विवेदी, पुनीता अवस्‍थी, अरुण मिश्रा, गोपालजी, सुमित तिवारी, राधेश्‍याम सचदेवा शामिल रहे। इस मौके पर संस्‍कृति विभाग की टीम ने अपनी मधुर आवाज में भजन संध्‍या प्रस्‍तुत की। कार्यक्रम में पूर्व होम्‍योपैथी निदेशक डॉ बीएन सिंह, आईएमए के पूर्व अध्‍यक्ष डॉ पीके गुप्‍ता, डॉ पंकज श्रीवास्‍तव सहित अनेक गणमान्‍य नागरिक उपस्थित रहे।

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