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एसजीपीजीआई अपने आसपास के गांवों में जाकर खोजेगा टीबी मरीज

-माइक्रोबायोलॉजी व पल्‍मोनरी विभागों के संयुक्‍त अभियान की 14 मार्च को होगी शुरुआत

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर माइक्रोबायोलॉजी और पल्मोनरी मेडिसिन विभागों द्वारा एक जागरूकता अभियान प्रारंभ किया गया है। इस उद्देश्य से 14 मार्च को संजय गांधी पीजीआई के आसपास के कुछ गांवों जैसे सभा खेड़ा, बाबू खेड़ा, अमोल, रैदास खेड़ा, गजरियन खेड़ा और कल्ली पश्चिम में सक्रिय क्षय रोग खोज और ग्राम दत्तक ग्रहण अभियान  प्रारंभ किया जाएगा।

संस्‍थान द्वारा जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि इस अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता  चयनित क्षेत्र में प्रत्येक घर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों की खोज करेंगे। निदान पोषण योजना के अंतर्गत समस्त चिन्हित और उपचारित क्षय रोगियों को 500 रुपये  प्रति माह का भुगतान किया जाएगा। इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए प्रत्येक टीबी मरीज अपनी खाता संख्या और आधार कार्ड की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे।

सरकार द्वारा ट्यूबरकुलोसिस के समूल नाश के अभियान के अंतर्गत ग्रामीणों से बातचीत कर के तय किया  जाएगा कि किसी को 2 हफ्ते से लगातार खांसी,  बुखार, भूख न लगना या वजन में गिरावट जैसे लक्षण तो नहीं है। ऐसे लक्षणों के पाए जाने पर समुचित और नियमित उपचार की व्यवस्था होगी। संदिग्ध टीबी रोगियों से थूक के नमूने एकत्र किये जायेंगे और माइक्रोस्कोपी के लिए मुफ्त परीक्षण एसजीपीजीआईएमएस में डॉट्स केंद्र में किया जाएगा।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता रोगियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करेंगे कि किसी भी हाल में डॉट्स का कोर्स अधूरा ना छोड़े। क्षय रोग से ग्रस्त रोगियों व गांवों को गोद लिये जाने का उद्देश्य यही है कि उनका नियमित और समुचित उपचार हो व उनके पोषण की भी उचित देखरेख की जा सके।

संपूर्ण कार्यक्रम की रूपरेखा संस्थान के निदेशक प्रो आर के धीमन के कुशल मार्गदर्शन में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रो आलोक नाथ और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ ऋचा मिश्रा द्वारा  तैयार की गई है।

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