-नारायण हॉस्पिटल में बड़ी संख्या में हार्ट सर्जरी का राज बताया पद्मभूषण डॉ देवी शेट्टी ने
-स्वदेशी निर्मित आर्टिफिशियल हार्ट अगले दो सालों में
सेहत टाइम्स
लखनऊ। नारायण हॉस्पिटल, बंगलुरु के संस्थापक अध्यक्ष प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ पद्म भूषण डॉ देवी शेट्टी ने कहा है कि आज के बदलते दौर में हेल्थकेयर में डिजिटलाइजेशन की आवश्यकता है। उन्होंने कम समय में गुणवत्तापूर्ण उपचार के लिए स्मार्ट सॉफ्टवेयर के प्रयोग की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच साल में एक स्मार्ट सॉफ्टवेयर की डायग्नोसिस डॉक्टर की डायग्नोसिस से ज्यादा स्मार्ट होगी, क्योंकि तीस हजार बीमारियां हैं, और एक डॉक्टर अपने दिमाग में ज्यादा से ज्यादा 2000 बीमारियों के बारे में जानकारी रख पाता है, इसके बाद वह भी लैपटॉप का सहारा लेता है, जबकि सॉफ्टवेयर में सभी बीमारियों के लक्षणों, पैथोलॉजी जांचों, रेडियोलॉजी आदि की इमेजेस जैसी जानकारियों के आधार पर डायग्नोसिस मौजूद रहेंगी। उन्होंने कहा कि यह मरीज के लिए भी सुरक्षित और हितकारी होगा। उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर से डॉक्टर की वेल्यू कम नहीं होगी, बल्कि डॉक्टर का टेंशन कम होगा क्योंकि बड़ी संख्या में लक्षणों, जांचों के बारे में जानकारियां डॉक्टर के लिए दिमाग में रखना संभव नहीं है।
डॉ शेट्टी ने यह सलाह आज यहां डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थापना दिवस पर आयोजित ‘डिजिटल हेल्थ : रीइमेजिंग हेल्थकेयर फॉर ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ विषय पर अपने व्याख्यान में दी। उन्होंने सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस सॉफ्टवेयर का खर्च कम करने के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाकर उसकी कॉपी दूसरे अस्पतालों में दी जा सकती है। इससे सभी अस्पतालों को अलग-अलग सॉफ्टवेयर बनवाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत में बनने वाले सॉफ्टवेयर विश्वस्तरीय है, इन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि आज स्वास्थ्य क्षेत्र में मरीजों की भीड़ बहुत बढ़ गयी है और उनमें से आधे मरीजों की मांग किसी भी कीमत पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा पाने की है, ऐसे में बहुत संभव है कि आने वाले 7 से 10 सालों में मरीज का ट्रीटमेंट शुरू करने से पूर्व स्मार्ट सॉफ्टवेयर से सेकंड ओपीनियन लेना कानूनन अनिवार्य हो जाये।
देश की 14 प्रतिशत हार्ट सर्जरी करने का राज
उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि ईएमआर (इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड) मेन्टेन किया जाये। उन्होंने अपने डेवलप किये हुए ईएमआर के बारे में प्रेजेन्टेशन के माध्यम से बताया कि व्हाट्सअप जैसे प्रोग्राम वाली एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर पूरे भारत में होने वाली कार्डियक सर्जरी में 14 प्रतिशत हार्ट सर्जरी उनके अस्पताल द्वारा किया जाना संभव हो सका है। उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर में उन्होंने करीब 20 डॉक्टरों को जोड़ रखा है, जब मरीज आता है तो उसकी फोटो सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दी जाती है और उसकी केस हिस्ट्री बनना शुरू हो जाती है, इसमें उस मरीज के लिए अस्पताल में होने वाले इलाज का सारा डेटा इकट्ठा होता जाता है। मरीज के इलाज के बारे में सभी 20 डॉक्टरों को पूरी जानकारी होती है, इससे होता यह है कि किसी भी डॉक्टर को मरीज के इलाज की दिशा तय करने में किसी तरह की दिक्कत नहीं आती है, यदि मरीज को किसी और बीमारी के विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है तो उस विशेषज्ञ से मरीज के बारे में सारी जानकारी, जांच रिपोर्ट आदि साझा कर ली जाती है, इससे उस विशेषज्ञ को भी अपना लाइन ऑफ ट्रीटमेंट तय करने में समय नहीं लगता है, जिससे मरीज को बिना समय गंवाये आवश्यक ट्रीटमेंट मिल जाता है।
डॉ शेट्टी ने बताया कि मोबाइल फोन पर मौजूद इस एप्लीकेशन पर काम करने का एक और लाभ यह है कि डॉक्टर किसी भी स्थान पर रहकर उपचार करने वाली अपनी टीम का हिस्सा बने रहते हैं। उन्होंने आज का ही उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार एक महिला के बारे में यहीं लखनऊ से ही अपनी टीम को सलाह दे दी। उन्होंने कहा कि इस एप्लीकेशन की मदद से एक बीमारी के साथ अनेक दूसरी बीमारियां लेकर आने वाले गंभीर स्थिति वाले मरीजों को अलग-अलग स्पेशियलिस्ट एकसाथ देखते हैं जिससे यह देखा गया है कि मृत्युदर में 25 फीसदी तक की कमी आयी है।
उन्होंने कहा कि मेरी सलाह है कि डॉक्टर चाहें एक माइनर ऑपरेशन ही कर रहे हों लेकिन मरीज के परिजनों की सहमति जरूर प्राप्त कर लें। सहमति प्राप्त करने के लिए भी उन्होंने वीडियोग्राफी पर जोर देते हुए कहा कि वीडियो बनाकर उसी एप्लीकेशन पर उसे भी अपलोड कर दें ताकि जरूरत पड़ने पर मरीज की केस हिस्ट्री के साथ ही उसे भी कहीं भी सबूत के रूप में पेश किया जा सके।
स्वदेशी निर्मित आर्टिफिशियल हार्ट अगले दो सालों में
उन्होंने कहा कि भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और अगले दो साल में पूरी उम्मीद है कि भारत में निर्मित आर्टिफिशियल हार्ट बाजार में आ जायेगा। अभी तक विदेश में बना यह दिल लगभग 70 लाख रुपये में उपलब्ध है।