उत्तर प्रदेश में भी उठी पटाखों पर प्रतिबन्ध की मांग
लखनऊ. क्या आप जानते हैं कि पटाखों से होने वाला प्रदूषण किस तेजी से हवा में घुल रहा है. भारतीय विष अनुसंधान केन्द्र की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि दीपावली पर होने वाला प्रदूषण एक साल में 152 प्रतिशत बढ़ गया था. इन सभी परिस्थितियों के मद्देनजर दिल्ली की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग शुरू हो गई है। जनहित में यह मांग केजीएमयू में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.सूर्यकांत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। उन्होंने कहा है कि दीपावली के दिन बेतहाशा होने वाली आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण से वातावरण प्रदूषित होने के साथ ही पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। यह प्रदुषण जल, थल व वायुमंडल के लिए मुसीबत बन रहा है।
इंडियन चेस्ट सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो.सूर्यकांत का कहना है कि दीपावली, प्रकाश उत्सव है, दीपक की रोशनी से संसार जगमग होना चाहिये, जबकि वर्तमान में लोगों ने आतिशबाजी में खुशियाँ ढूढऩा शुरू कर दिया है, जिससे शहर का वायु और ध्वनि प्रदूषण अपने चरम से अधिक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि भारतीय विष अनुसंधान केन्द्र के रिकार्ड बताते हैं कि गत दीपावली में आतिशबाजी से होने वाला प्रदूषण 2015 की तुलना में 152 प्रतिशत बढ़कर मिला था। खतरे के पैमाने से अधिक होने की वजह से ही सांस, सीओपीडी, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट पेशेंट आदि बीमारियों के पीडि़तों के लिए शुद्ध सांस लेना दूभर हो जाता है, लिहाजा अस्थमा अटैक पडऩे की संभावना हो जाती है। इतना ही नहीं, प्रदूषित वायु में सांस लेने से बच्चों में भी प्रदूषण पहुचता है, जोकि नुकसानदेह है। प्रो.सूर्यकांत ने बताया कि पटाखों व आतिशबाजी से होने वाले वायु प्रदुषण से सांस एवं हृदय रोगियों के लिए मुसीबत होने के साथ ही सामान्य लोगों के लिए खतरा बना रहता है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रदेश में आतिशबाजी पर प्रतिबन्ध लगाया जाये, अगर किसी कारण से तुरन्त संभव नही है तो वे पटाखे और आतिशबाजी जिनके कारण वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ज्यादा होता है, उन पर प्रतिबन्ध लगाया जाये।
पटाखों व आतिशबाजी से नुकसान
– पटाखों से आग लगने व खुद के जलने की संभावना अधिक होती है
– 50 प्रतिशत से ज्यादा बर्न होने पर व्यक्ति का बचना मुश्किल होता है
-आग की घटना से घर व दुकान के अलावा आर्थिक क्षति भी होती है
– प्रदूषण से सिर दर्द, माइग्रेन का दर्द उभर आता है
– नाक, आंख और त्वचा की एलर्जी उभर आती है
– आतिशबाजी की वजह से हार्ट अटैक या अस्थमा का अटैक पडऩे पर सामान्य दिनों की अपेक्षा इलाज कई गुना अधिक कठिन हो जाता है।