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दो माह की बच्‍ची को जन्‍मजात मोतियाबिंद की शिकायत, प्रथम चरण में एक आंख की सफल सर्जरी

-नोएडा के पीजीआईसीएच में विशेषज्ञों ने की सफलतापूर्वक सर्जरी, दूसरी आंख का भी जल्‍द होगा ऑपरेशन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ/नोएडा। क्‍या आप सोच सकते हैं कि दो माह की बच्‍ची को मोतियाबिंद की शिकायत हो गयी हो, लेकिन ऐसा है, दरअसल इस बच्‍ची के दोनों आंखों में जन्‍म से ही मोतियाबिंद की शिकायत है, इस बच्‍ची को जब नोएडा स्थित पीजीआइसीएच के नेत्र रोग विभाग लाया गया था, संस्‍थान में फि‍लहाल मोतियाबिंद हटाने के लिए प्रथम चरण में बच्‍ची की एक आंख की सर्जरी की गयी है, दूसरी आंख की भी सर्जरी जल्‍दी ही किये जाने की योजना है।

यह जानकारी देते हुए संस्‍थान के निदेशक प्रो अजय सिंह ने बताया कि  जन्म से ही दोनों आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत के साथ एक दो माह की बच्ची को भर्ती किया गया था। नेत्र मूल्यांकन के बाद यह पाया गया कि बच्ची की दोनों आंखों में जन्मजात मोतियाबिंद की बीमारी है और बच्ची को दृष्टि हानि से बचाने के लिए मोतियाबिंद को जल्द से जल्द हटाया जाना था। इसी क्रम में मरीज की बायीं तरफ की आंख से  मोतियाबिंद हटाने के लिए Phacoemulsification द्वारा ऑपरेशन किया गया। एक सप्ताह के अंदर मरीज के दूसरी (दाहिनी) आंख की मोतियाबिंद की सर्जरी की योजना भी बनाई गई है।

प्रो अजय सिंह ने बताया कि मरीज की सर्जरी नेत्र सर्जन डॉ दिव्या जैन ने की जबकि एनेस्‍थीसिया टीम का नेतृत्‍व पीडियाट्रिक एनेस्थीसिया विभाग के डॉ मुकुल कुमार जैन ने किया।

उन्‍होंने बताया कि दृश्य पुनर्वास प्रिस्क्रिप्शन चश्मे से शुरू होगा तथा इसके बाद के चरण में इंट्रा ओकुलर लेंस का प्रत्यारोपण किया जाएगा। इस केस में मुख्य चुनौती मरीज की नाजुक उम्र और आंखों की छोटी संरचनाओं को देखते हुए सटीक सर्जरी की तकनीक थी। बाल नेत्र शल्य चिकित्सक एवं एक्सपर्ट पीडियाट्रिक एनेस्थेटिस्ट के टीम वर्क और ऑपरेशन थिएटर में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता ने अच्छे सर्जिकल परिणामों के साथ एक निर्बाध ऑपरेशन सुनिश्चित हुआ। 

उन्‍होंने बताया कि बच्चों में मोतियाबिंद के प्रति जनता को जागरूक होना होगा कि यदि इसका उपचार समय से शल्य चिकित्सा द्वारा नहीं किया जाता है तो यह दृश्य पुनर्वास शुरू करने में देरी का कारण बन सकता है, जिससे एंबीलिया (एक प्रकार की दृष्टि की हानि) हो सकती है।

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