-‘साइनोसाइटिस का योगिक प्रबंधन’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में योग विशेषज्ञ डॉ नंदलाल जिज्ञासु ने दी सलाह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। साइनोसाइटिस के प्रबंधन में योगिक चिकित्सा-जल नेति, सूत्र नेति या रबड़ नेति, तेल नेति एवं कपालभाति कारगर है, जिसे किसी भी योग विशेषज्ञ अथवा योग एवं प्राकृतिक चिकित्सक के निर्देशन में सीखकर अथवा प्रशिक्षण उपरांत किया जा सकता है।
यह सलाह छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के स्कूल ऑफ हेल्थ साइंसेज द्वारा आज 7 मई को ऑनलाइन आयोजित साप्ताहिक व्याख्यान श्रृंखला के आठवें व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ. नंद लाल जिज्ञासु, योग विशेषज्ञ, बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ ने दी। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के नेतृत्व में आयोजित किये जा रहे व्याख्यान की शृंखला के आठवें व्याख्यान का विषय ’’साइनोसाइटिस का योगिक प्रबंधन’’ था।
डॉ. नन्दलाल ने अपने विचार रखते हुए कहा सदियों से भारतीय योगी, ऋषि, मुनि एवं साधक स्वास्थ्य संवर्धन, स्वास्थ्य संरक्षण, शरीर शोधन, साधना एवं रोग निवारण के दृष्टि से अपने दैनिक जीवन में योगाभ्यास एवं षटकर्म को शामिल किए हुए थे। वर्तमान परिवेश में बढ़ते प्रदूषण, अस्त-व्यस्त दिनचर्या, आहार-विहार एवं विचारों में असंतुलन के कारण रोग एवं रोगियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है, इन्हीं रोगों में नाक संबंधी बीमारी साइनोसाइटिस है।
उन्होंने कहा कि साइनोसाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होना, अच्छी नींद न आना, घबराहट, बेचैनी, मानसिक तनाव का होना, नासिका के म्यूकस मेंब्रेन में सूजन हो जाना, आवाज का भारीपन, पीला या हरा बलगम का आना, थकावट कमजोरी लगना, दुर्गंध या सुगंध का एहसास ना होना आदि लक्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि साइनोसाइटिस के मरीज को मौसम के ताजे फल, हरी सब्जियां, अंकुरित अन्न, मोटे आटे की चोकर समेत चपाती एवं खजूर का सेवन करना चाहिए।
संस्थान के निदेशक डॉ. दिग्विजय शर्मा ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता डॉ. नन्दलाल जिज्ञासु सहित ऑनलाइन माध्यम से जुड़े सभी श्रोतागणों का संस्थान की ओर से स्वागत और अभिनंदन किया।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राम किशोर ने कार्यक्रम का संचालन किया। संस्थान के सहनिदेशक डा. मुनीश रस्तोगी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।