-वेतन का शासनादेश पांच साल बाद भी लागू न किये जाने से नाराज कर्मचारी करेंगे पूर्ण कार्य बहिष्कार
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कर्मचारी कल 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करने जा रहे हैं। इस कार्य बहिष्कार में इमरजेंसी सेवाओं में लगे कर्मचारी भी शामिल हैं। माना जा रहा है की कर्मचारी परिषद के इस फैसले का असर ट्रॉमा सेंटर सहित केजीएमयू के अन्य विभागों में आने वाले मरीजों पर पड़ना तय है, क्योंकि मरीजों से जुड़े ऐसे कई कार्य होते हैं जो कर्मचारी ही करते हैं। आपको बता दें कि इमरजेंसी के एक से बढ़कर एक जटिल केस पूरे उत्तर प्रदेश से केजीएमयू रेफर किये जाते हैं।
इस बारे में कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार ने कहा है कि संजय गांधी पीजीआई के बराबर वेतन-भत्ते देने की तत्कालीन मुख्यमंत्री की घोषणा तथा कैबिनेट के अनुमोदन के पश्चात 23 अगस्त 2016 को शासनादेश निर्गत किया गया था। उन्होंने कहा है कि इस शासनादेश के अनुपालन में पूरे 5 वर्ष पश्चात भी अभी तक मात्र 2 संवर्गों का ही समवर्गीय पुनर्गठन (कैडर स्ट्रक्चरिंग) किया गया है, जिसमें भी सिर्फ़ एक ही सवर्ग के शासनादेश को लागू कर लाभ दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जनवरी माह में चिकित्सा शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, तत्कालीन विभागीय अपर मुख्य सचिव डॉ रजनीश दुबे, तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल, कुलसचिव तथा कर्मचारी परिषद के मध्य विधान परिषद स्थित मंत्री के कार्यालय में एक बैठक आहूत की गयी ,जिसमें मंत्री द्वारा कर्मचारी परिषद की मांग को जायज़ ठहराते हुए मार्च माह तक चार कैडर तथा सितम्बर माह तक समस्त कैडरों की कैडर स्ट्रक्चरिंग करने के लिए शासन के समस्त उच्चाधिकारियों को निर्देशित किया गया था।
उन्होंने कहा कि अनेक बार इस मसले को उठाए जाने के बावजूद शासन ने इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया। उन्होंने कहा कि 1 माह पूर्व 16 नवंबर को भी जब हम लोगों ने कार्य बहिष्कार शुरू किया था, उस समय भी महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण ने लिखित रूप से आश्वासन दिया था कि एक माह में हमारी 5 साल पुरानी लंबित मांग पूरी कर दी जाएगी।
कर्मचारी परिषद द्वारा 2 दिन पहले 14 दिसंबर 2021 को भी प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग को पत्र भेज कर 17 दिसंबर से ट्रॉमा सेंटर सहित पूर्ण कार्य बहिष्कार के बारे में सूचित किया जा चुका है। इस पत्र में कहा गया है कि महानिदेशक द्वारा 16 नवंबर 2021 के पत्र में अवगत कराया गया था कि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के संवर्गीय पुनर्गठन के संबंध में कार्यवाही अंतिम चरणों में है एवं इसका निस्तारण अधिकतम एक माह में किया जाना संभावित है।
कर्मचारी परिषद ने अपने पत्र में लिखा है कि चूंकि महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण द्वारा स्वर्गीय पुनर्गठन का निस्तारण अधिकतम एक माह में करने के लिए लिखित प्रतिबद्धता जताई गई थी इसलिए कर्मचारी परिषद ने अपना आंदोलन 16 दिसंबर तक के लिए स्थगित किया था लेकिन अब एक माह के उपरांत भी संवर्गीय पुनर्गठन नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में कर्मचारी परिषद 17 दिसंबर को ट्रॉमा सेंटर सहित पूर्ण कार्य बहिष्कार करने के लिए बाध्य है और इसका संपूर्ण उत्तरदायित्व शासन प्रशासन का होगा।