Sunday , November 24 2024

भारत क्‍लीनिकल रिसर्च में अच्‍छा करने के बाद भी अमेरिका-चीन से पिछड़ रहा, आखिर क्‍यों ?

-एक्‍स्‍टर्नल ओरेशन के तहत अमेरिका के प्रो अनन्‍य ने कहा-शिक्षकों व शोधकर्ताओं के बीच प्रेरणा की कमी

-संजय गांधी पीजीआई में शोध दिवस के दूसरे दिन भी वक्‍ताओं ने रखे विचार

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। भारत क्लीनिकल रिसर्च में अच्छा कर रहा है, लेकिन फिर भी अमेरिका और चीन से पिछड़ रहा है. इसके पीछे एक कारण शिक्षकों और शोधकर्ताओं के बीच प्रेरणा की कमी है। यह विचार क्रियटन यूनिवर्सिटी अमेरिका केे मेडिसिन के प्रोफेसर अनन्‍य दास ने एक्‍स्‍टर्नल ओरेशन प्रस्‍तुत करते हुए व्‍यक्‍त किये। ज्ञात हो प्रो अनन्‍य ने 1993 में एसजीपीजीआई से डीएम, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी की डिग्री हासिल की थी।

संजय गांधी पीजीआई में शोध दिवस के दूसरे दिन प्रो अनन्‍य ने शोध गुणवत्ता और गति को कैसे बनाए रखा जाए, इस पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि भारत क्लीनिकल रिसर्च में अच्छा करने के बावजूद अमेरिका और चीन से पिछड़ रहा है इसका एक बड़ा कारण शिक्षकों व शोधकर्ताओं के बीच प्रेरणा की कमी होना है, इसके लिए भारत को अपनी नीति पर गौर करना होगा। उन्‍होंने क‍हा कि भारतीय शोधकर्ताओं में शोध के प्रति अभिरुचि में कोई कमी नहीं है।

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमान और डीन प्रोफेसर अनीश श्रीवास्तव के नेतृत्व में आयोजित हो रहे इस समारोह में आज लगभग 240 पेपर प्रस्तुत किए गए, इनमें से 100 के करीब संस्थान के संकाय सदस्यों के थे और बाकी छात्रों के थे। समारोह के तीसरे दिन कल 12 फैकल्‍टी और 10 छात्रों को मिलाकर कुल 22 पुरस्कार दिए जाएंगे।

इस मौके पर आईआईटी, खड़गपुर के प्रोफेसर सुदीप्तो मुखोपाध्याय ने भारत में चिकित्सा अनुसंधान और इंजीनियरिंग अनुसंधान जैसी हाइब्रिड रिसर्च की जरूरत पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत को उपकरणों का उत्पादन करने और इस स्वदेशी उपकरणों का पेटेंट प्राप्त करने की आवश्यकता है, तभी भारत इन उपकरणों का आयात बंद कर सकता है और इन स्वदेशी उपकरणों को बाजार में आने दे सकता है जो कि किफायती है।

इसके बाद डॉ गौरव अग्रवाल, प्रोफेसर, एंडोक्राइन और ब्रेस्ट सर्जरी ने स्तन कैंसर के लिए मितव्ययी प्रहरी लिम्फनोड बायोप्सी के विकास पर “थोड़ा ही ज्‍यादा है” पर एक वार्ता की। उन्हें उनके शोध के लिए वर्ष 2020 में प्रोफेसर एस आर नाइक से सम्मानित किया जा चुका है।

वर्ष 2020 के एसएस अग्रवाल पुरस्‍कार विजेता डॉ संगम रजक ने अपने बुनियादी विज्ञान प्रयोगशाला कार्य के बारे में विस्तार से बताया। अनुसंधान अनुसंधान प्रकोष्ठ के सहायक संकाय प्रभारी डॉ सी पी चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.