-संजय गांधी पीजीआई की महिला सशक्तिकरण समिति ने आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। महिला सशक्तिकरण आज के समय की आवश्यकता है। महिलाओं को उनकी प्रगति और उन्नति के सभी अवसर मिलने चाहिए। वर्तमान समय में ओलंपिक खेलों में भारत की तरफ से महिलाओं की प्रतिभागिता अचंभित कर देने वाली है क्योंकि प्रत्येक महिला खिलाड़ी ने कांस्य, रजत पदक लेकर भारत को सम्मान दिलाया है।
यह बात संजय गांधी पीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन ने आज राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा प्राप्त दिशा निर्देशों के अनुसार संस्थान की महिला सशक्तिकरण समिति द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए अपने स्वागत भाषण में कही। संस्थान द्वारा महिलाओं को उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और अधिकारों की दिशा में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गांवों, ब्लॉक स्तर पर प्रत्येक महिला को अपने अधिकारों, शिक्षा व स्वास्थ्य के विषय में जागरूक करना था। इस कार्यक्रम को वर्चुअली आयोजित किया गया, जिसे मोहनलालगंज,निन्दूरा व देवा ब्लाक से जोड़ा गया। कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी, बाराबंकी, एकता सिंह, खण्ड विकास अधिकारी, मोहनलालगंज, अजीत सिंह एवं निंदूरा और देवा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने प्रतिभागता की।
प्रोफेसर विनीता अग्रवाल, अध्यक्ष, महिला सशक्तिकरण समिति ने प्रतिभागियों का परिचय और अभिवादन किया। उन्होंने बताया कि संजय गांधी पीजीआई इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहा है और हमारा प्रयास है कि ये कार्यक्रम सुदूर गांवों और कस्बों तक पहुंचे।
बाराबंकी की मुख्य विकास अधिकारी एकता सिंह ने कहा कि बेटी का जन्म कोई बोझ न होकर एक स्वागत योग्य कदम होना चाहिए। सरकार ने महिलाओं के कौशल विकास, रोजगार के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं भी चलाई हैं। उन्होंने इन योजनाओं के विषय में विस्तार से बताया।
खंड विकास अधिकारी, मोहनलालगंज अजीत सिंह ने भी अपने ब्लॉक में चल रही कल्याणकारी योजनाओं से प्रतिभागियों को अवगत कराया।
तत्पश्चात संस्थान की इम्यूनोलाजी विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर अमिता अग्रवाल ने महिलाओं में ‘रक्त अल्पता को रोकने हेतु समुचित पोषण’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कुपोषण, भोजन में लौह तत्व और फोलिक एसिड की कमी व कृमि रोग ही मुख्य कारण हैं, जिनके कारण महिलाओं में एनीमिया की समस्या उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि भारत में बालिकाएं, गर्भवती महिलाएं व स्तनपान कराने वाली 50% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इसका मूलभूत कारण यही है कि भारत में ग्रामीण परिवेश में सामान्यतः महिलाएं पूरे परिवार को खाना देने के पश्चात भोजन करने बैठती हैं और अधिकांश स्थिति में उनका भोजन अपर्याप्त होता है। चूंकि महिला पूरे परिवार की धुरी होती है, इसलिए उसे पूरे परिवार को संभालने के लिए स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। डॉक्टर अग्रवाल ने अच्छा और पर्याप्त भोजन जिसमें अनाज, दालें व सब्जियां प्रचुर मात्रा में हों, पर बल दिया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, देवा की डाक्टर सुनीता वर्मा व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, निंदूरा की डाक्टर कनौजिया ने भी समान विचार व्यक्त किए कि उनके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आने वाली गर्भवती महिलाओं में अधिकांशतः महिलाएं रक्त अल्पता की समस्या से ग्रस्त होती हैं। उन्होंने कहा कि समय पर किया गया संतुलित और पोषक आहार रक्त अल्पता की समस्या को कम कर सकता है।
दूसरा महत्वपूर्ण व्याख्यान वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर अंजू रानी द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने किशोरियों और युवतियों को मासिक धर्म के समय स्वच्छता और सफाई के .विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक महिला और पुरुष को यह समझना होगा कि माहवारी स्त्री स्वास्थ्य से संबंधित एक सामान्य व स्वाभाविक प्रक्रिया है और यह बताती है कि बालिका किशोरावस्था में प्रवेश कर चुकी है। चूंकि रक्त संक्रमण का एक प्रभावी स्रोत है, अतः माहवारी के समय पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखना अनिवार्य है। इस पूरे कार्यक्रम के आयोजन में मनीष चंद्र, खंड विकास अधिकारी, बाराबंकी की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
कार्यक्रम का सफल संचालन महिला सशक्तिकरण समिति की अध्यक्ष प्रोफेसर विनीता अग्रवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम का अंत प्रतिभागियों से संवाद और उनकी प्रतिक्रियाओं के साथ हुआ। लगभग 4000 प्रतिभागी इस ऑनलाइन वर्चुअल कार्यक्रम के साथ जुड़े।