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…तो पशुओं के साथ ही दूध का सेवन करने वाले मनुष्‍यों को भी खतरा

-पशुपालन विभाग में दवाएं बांटने के लिए फार्मासिस्‍ट की अनिवार्यता करने की मांग

-फार्मासिस्‍ट फेडरेशन ने भी किया पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट संघ की  मांग का समर्थन

सुनील यादव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा फार्मेसिस्ट संघ ने पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक को पत्र लिखकर पशुपालन विभाग में दवाइयों के वितरण के लिए फार्मासिस्ट की अनिवार्य रूप से पद स्थापना करने के लिए कहा है, क्‍योंकि किसी अन्‍य द्वारा दवा बांटना न सिर्फ फार्मेसी एक्‍ट का उल्‍लंघन है, साथ ही अगर पशु को भी दवा गलत दे दी गयी तो वह पशुओं के साथ ही उसके दूध का सेवन करने वाले मनुष्‍यों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

संघ के अध्यक्ष पंकज शर्मा और महामंत्री शारिक हसन खान ने कहा है कि पशुपालन विभाग में सदर अस्पताल से जनपद के अन्य पशु अस्पतालों में दवाइयों का वितरण होता है। विभाग में पशुओं के इलाज के लिए एलोपैथिक दवाइयां ही खरीदी और बांटी जाती हैं और एलोपैथिक दवाइयों पर ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 तथा फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत पंजीकृत फार्मेसिस्ट का होना अनिवार्य है, लेकिन विभाग में विगत कई वर्षों से फार्मासिस्ट की भर्ती नहीं होने के कारण पद रिक्त चल रहा है तथा चीफ फार्मासिस्ट के पद पर पदोन्नति ना होने से बड़े चिकित्सालयों में भी पद रिक्त है। इसी का फायदा उठाकर  विभागीय अधिकारियों ने अपने चहेते अन्य संवर्ग के कर्मचारियों को दवाइयों के वितरण और रखरखाव का कार्य अनियमित रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए करवा रहे हैं। विभाग के केंद्रीय भंडार पॉलीक्लिनिक बादशाह बाग को हटाकर बीपी सेक्शन बादशाह बाग में कर दिया गया जहां पर किसी भी वेटरनरी फार्मासिस्ट की पदस्थापना नहीं है। अवैध रूप से लिपिक संवर्ग द्वारा दवाएं प्राप्ति और वितरित कराई जा रही है।  इसी तरह का एक मामला जनपद हरदोई में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा सदर पशु चिकित्सालय के केंद्रीय भंडार में लिपिक को आदेश करके दवा का रखरखाव व वितरण का आदेश किया है जिसके विरुद्ध संघ ने विभागीय उच्च अधिकारियों के साथ-साथ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और फार्मेसिस्ट महासंघ को भी पत्र लिखकर अवगत कराया है।

फार्मासिस्ट फेडरेशन (महासंघ) के अध्यक्ष और फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमैन श्री सुनील यादव ने कहा है कि पशुओं की एलोपैथी दवाइयों का वितरण फार्मेसिस्ट द्वारा ही किया जाए ऐसी व्यवस्था पशुपालन विभाग में सुनिश्चित किया जाए फार्मेसिस्ट के अतिरिक्त किसी और द्वारा एलोपैथी औषधियों का वितरण, भंडारण फार्मेसी एक्ट के अनुसार दंडनीय अपराध है। पशुओं को दी जाने वाली दवाएं केवल उनके लिए ही नहीं मानव जीवन पर भी प्रभाव डालती हैं क्योंकि दुग्ध पदार्थ सीधे मानव जीवन से जुड़ा है, औषधियां अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवन पर विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं, इसलिए बिना फार्मेसिस्ट कोई भी वेटेनरी औषधि नही बांटी जा सकती।

फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार ने बताया कि पशुपालन विभाग में फार्मेसी एक्ट के साथ ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के उल्लंघन करने की मंशा अवैधानिक और पशुओं के जीवन से खिलवाड़ है।

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