-इलाज में अपने परिजनों की उपेक्षा से नाराज कर्मियों में बहुत गुस्सा, दिया धरना
-रेजीडेंट्स डॉक्टर्स ने भी कर्मियों के आरोपों पर सहमति जताते हुए लिखा निदेशक को पत्र
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई संस्थान इस समय अपने ही लोगों के आक्रोश के बारूद के ढेर पर बैठा है, यहां की नर्सों सहित अन्य पैरामेडिकल स्टाफ, कर्मचारियों के परिजनों को संस्थान में इलाज न मिलने से आक्रोशित कर्मचारियों ने जहां आज प्रशासनिक भवन पर पहुंचकर धरना दिया, वहीं नर्सिंग व अन्य कर्मचारियों के साथ ही रेजीडेंट के परिजनों के भी इलाज में भी उपेक्षा बरतने पर रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी नाराज है। कहा जा सकता है कि कोविड की लड़ाई लड़ रहे इन फ्रंटलाइन वर्कर्स का गुस्सा इस कोविड काल में आरपार की चेतावनी दे रहा है, लेकिन संस्थान प्रशासन सिर्फ कागजी कार्यवाही तक सीमित दिख रहा है, हालात ये हैं कि निदेशक द्वारा गठित कमेटी जो इन चिकित्सा कर्मियों की दिक्कतों को हल करने के लिए बनायी गयी थी, वह भी सिर्फ गठित होने तक ही सीमित है।
यहां काम करने वाले कर्मियों के परिजनों को इलाज न दिये जाने के की मांग को लेकर हमेशा मुखर रहने वाली संस्थान की नर्सिंग एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला ने अपने साथियों के परिजनों को इलाज न दिये जाने के चलते उनकी मौत हो जाने जैसी कई घटनाओं को लेकर बहुत आक्रोशित नजर आयीं, उनका कहना है कि वीआईपी की देखरेख में डूबा संस्थान प्रशासन हम लोगों, हमारे परिजनों के इलाज को लेकर कोई संवेदनशीलता नहीं दिखा रहा है, अब स्थितियां बर्दाश्त से बाहर हो गयी हैं, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निदेशक द्वारा गठित कमेटी अब तक कोई राहत नहीं दे पायी है। उन्होंने इस मसले पर मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है।
चिकित्सा कर्मियों के इन सभी मुद्दों पर सहमति जताते हुए यहां की रेजीडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी एक बार फिर निदेशक को पत्र लिखा है कि एक ऑनलाइन मीटिंग कर सभी मुद्दों को सुलझाने, कोविड प्रबंधन को बेहतर करने, वीआईपी कल्चर पर लगाम कसने एवं मरीज भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने का प्रयास करें अन्यथा आने वाला वक़्त संस्थान के लिए मुश्किलों भरा होना तय है।
रेजीडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आकाश माथुर व जनरल सेक्रेटरी डॉ अनिल गंगवार ने निदेशक को भेजे पत्र में लिखा है कि विगत कुछ दिनों में बार-बार पत्राचार के बावजूद कोविड प्रबंधन की स्थिति में कुछ सुधार न होता देख हम सभी रेसिडेंट डॉक्टर अत्यंत व्यथित हैं। रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ ही जिस तरह से नर्सिंग व अन्य कर्मचारियों को भी प्रशासनिक अनदेखी का शिकार होना पड़ रहा है वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। विगत कुछ दिनों में संस्थान की छवि सिर्फ वीआईपी मरीज़ों को सेवाएं प्रदान करने वाले संस्थान के रूप में बन गयी है। अंतिम पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के हमारे ध्येय की पूर्ति न होती देख संस्थान के सभी कर्मचारी दुखी हैं।
पत्र में लिखा है कि एक डॉक्टर के रूप में हमारे लिए सभी स्वास्थ्यकर्मियों (नर्सिंग तथा अन्य कर्मचारियों) का सहयोग बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए अत्यंत आवश्यक है। संस्थान के लगभग सभी कर्मचारी पिछले कुछ दिनों से निराशा से घिर गए हैं जिसका सीधा असर आने वाले दिनों में स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा। यहां हम सभी के लिए यह भी समझना आवश्यक है संस्थान के हर छोटे मुद्दे के लिए साधारण कर्मचारी आप तक नहीं पहुंच सकता, ऐसे में हम व्यक्ति केंद्रित न होकर एक इस तरह की व्यवस्था संस्थान में बनाएं जिससे कि सभी कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जा सके। नेताद्वय ने लिखा है कि यदि 21वीं सदी में भी अस्पताल में कार्यरत किसी कर्मचारी का परिवारीजन स्वस्थ्यसेवाओं के अभाव में अपनी जान खोता है तो इससे बड़ी विडंबना शायद कुछ और नहीं हो सकती। डॉ आकाश व डॉ अनिल ने लिखा है कि Zoom मीटिंग कर कोविड प्रबंधन की ख़ामियों पर चर्चा कर उन्हें दूर करने का प्रयास करने के हमारे आग्रह को अभी तक आपके द्वारा नज़रंदाज़ किया जाना हमारी समझ से परे है। इस पत्र के माध्यम से हम एक बार फिर आपसे आग्रहः करते हैं कि एक ऑनलाइन मीटिंग शीघ्र आहूत करें।