-गुजरात की एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र ललानी ने उठाया सवाल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। आयुर्वेद चिकित्सकों को प्रशिक्षण देखकर चुनिंदा सर्जरी के लिए तैयार करने के पुराने नियम पर सरकार की अधिसूचना को खिचड़ी या मिक्सोपैथी की संज्ञा देने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से गुजरात की एसोसिएशन ऑफ पैथोलॉजिस्ट्स एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र ललानी ने आईएमए द्वारा किये जा रहे विरोध पर अपनी सहमति जताते हुए एक सवाल पूछा है। ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष वार्ता में डॉ राजेन्द्र ललानी ने कहा कि 12वीं या बी एससी पास टेक्नीशियन जब चिकित्सक के अस्पताल में पैथोलॉजी चला रहा हो या चिकित्सक ऐसे टेक्नीशियन द्वारा संचालित की जा रही पैथोलॉजी में जांच के लिए मरीजों को भेजता है जहां रिपोर्ट वही टेक्नीशियन तैयार करता है तो इसे क्या मिक्सोपैथी माना जाना चाहिये कि नहीं।
आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी का प्रशिक्षण देने का विरोध कर रहे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने आज 8 दिसंबर को मध्यान्ह 12 बजे से अपरान्ह 2 बजे तक सांकेतिक हड़ताल तथा 11 दिसंबर से प्रातः 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक पूर्ण हड़ताल का आह्वान किया गया है। इस हड़ताल से इमरजेंसी सेवाओं और कोविड सम्बन्धी चिﴲकित्सा को अलग रखा गया है।
ज्ञात हो कट और कमीशन के खेल में चिﴲकित्सक और टेक्नीशियंस दोनों ही लिप्त हैं, टेक्नीशियन को काम मिलता है, चिﴲकित्सक को कमीशन, जेब कटती है मरीज की। यही नहीं अयोग्य व्यक्ति द्वारा जांच कर तैयार की गयी रिपोर्ट मान्य नहीं है, लेकिन कुछ पैथोलॉजिस्ट की मिलीभगत से उनके नाम पर यह खेल लम्बे समय से चल रहा है, चिﴲकित्सक अपने डिजिटिल हस्ताक्षर का इस्तेमाल करने का अधिकार ऐसी लैब चलाने वाले टेक्नीशियंस को दे देता है, बदले में उससे मोटी रकम वसूल करता है, यानी हर तरफ सबकी सेटिंग, मरीज को नुकसान हो तो हुआ करे।
आपको बता दें कि पैथोलॉजी रिपोर्ट की गुणवत्ता पर मरीज का जीवन निर्भर करता है, क्योंकि उसके रोग के इलाज की दिशा इसी रिपोर्ट पर टिकी होती है, ऐसे में जांच या रिपोर्ट में हुई चूक का खामियाजा मरीज को ही भुगतना होता है। इसीलिए पैथोलॉजी संचालन का अधिकार पैथोलॉजी में एमडी या माइक्रोबायोलॉजी के डिग्रीधारक डॉक्टर को दिया गया है, लेकिन सीएमओ ऑफिस की अनदेखी, डॉक्टर की मिलीभगत से सबकुछ चल रहा है। महाराष्ट्र में हाल ही में महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल ने एक ऐसी ही चिकित्सक पुणे की डॉ सिरिशा मोहन जो पैथोलॉजिस्ट से एमडी हैं, का लाइसेंस निलम्बित किया है। पुणे जिले में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित कई पैथोलॉजी में इन चिकित्सक के डिजिटल हस्ताक्षरों से पैथोलॉजी रिपोर्ट्स तैयार की जा रही थीं।
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