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आहार विशेषज्ञ ने बताया, परीक्षा के दिनों में कैसा खानपान हो बच्‍चों का

-खानापीना ऐसा हो, जो लाये स्‍फूर्ति और पैदा न करे आलस
सुनीता सक्सेना

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। एक बार फिर से वार्षिक परीक्षा के दिन आ गए। छात्र-छात्राओं को ऐसे समय तनाव होना स्वाभाविक है, क्योंकि पूरे साल की मेहनत इन परीक्षाओं पर निर्भर करती है। ऐसे में उनके खान-पान को लेकर माता-पिता का दायित्व और बढ़ जाता है कि वे उनके खाने के लिए ऐसी चीजों का चुनाव करें जिससे उनकी शरीर की जरूरत पूरी होती रहे और खाया हुआ खाद्य पदार्थ उनकी परीक्षा में बाधक न बने। इस बारे में सेहत टाइम्‍स ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की चीफ डायटीशियन सुनीता सक्सेना ने विशेष बात की, जिसमें उन्‍होंने अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दी।

 

उन्होंने बताया कि परीक्षा की चिंता और तनाव के कारण बच्चे इन दिनों में खाना-पीना कम कर देते हैं, समय से भोजन नहीं करते हैं जिसका असर उनके स्वास्थ्य पड़ता है, यही कारण है कि बच्चों में सिरदर्द, कमजोरी, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। सुनीता सक्सेना ने बताया कि बच्चों को समय से संतुलित एवं पौष्टिक भोजन देना चाहिए। अतः इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों का भोजन सुपाच्य,  अर्धतरल रूप में तथा कम मिर्चं-मसाले वाला हो। उन्होंने कहा कि‍ बच्चों को सुबह नाश्ते में दूध कॉर्नफ्लेक्स, पोहा, इडली, फलों का जूस या फल, सब्जियों के कटलेट्स, उबला अंडा या पनीर दे सकते हैं जिससे उन्हें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और विटामिन्‍स मिल सकें। उन्होंने बताया कि नाश्ते एवं दोपहर के खाने के बीच में नींबू पानी या सादा पानी या ग्लूकोज वाला पानी, नमकीन लस्सी जरूर देनी चाहिए जिससे कि शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहे।

उन्‍होंने बताया कि इसके अलावा दोपहर के खाने में दालें, राजमा, हरी सब्जियां, सलाद, फल, अना सूप का प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही यह ध्यान रखें कि खाना एक बार में भरपेट न खाएं बल्कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर लें इससे नींद और आलस बच्चों से दूर रहेगा। सुनीता सक्सेना ने बताया कि रात का खाना बहुत देर से न खायें। बेहतर होगा इसको 9 बजे तक जरूर ले लें और यह खाना हल्का लें, जैसे दाल, दलिया, खिचड़ी, सूप, कस्टर्ड या दही, फल जिससे पढ़ाई करने में उन्हें कोई कठिनाई महसूस न हो।

सुनीता सक्‍सेना ने एक खास बात यह बतायी कि परीक्षाओं के समय फास्‍ट फूड जैसे पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन आदि बच्चों को न दें, क्योंकि इस में वसा की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे अपच या एसिडिटी की शिकायत हो सकती है। बच्चों का खाना एकदम ताजा और विविधता लिए हुए हो जिससे बच्चे रुचि के साथ उसे खा सकें।

उन्होंने बताया कि परीक्षा के दिनों में अधिकतर बच्चे चाय-कॉफी का प्रयोग नींद और सुस्ती दूर करने के लिए करते हैं जोकि गलत है, इससे नुकसान होता है क्योंकि इसमें मौजूद कैफीन तत्व, पाचक एंजाइम, पाचक रस पर प्रभाव डालते हैं जिससे भूख नहीं लगती है अतः इसकी जगह विटामिन सी युक्त पेय जैसे नींबू पानी, संतरे का रस, मट्ठा आदि का प्रयोग करें जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत रहे। इसके अलावा पढ़ाई की दिनचर्या के बीच में हल्का-फुल्का व्यायाम या टहलना अच्छा रहता है, इससे भी पूरे शरीर में ताजगी और स्फूर्ति बनी रहती है और मन भी खुश रहता है।