एसोसिएशन ऑफ स्पाइनल सर्जरी ऑफ इंडिया के आउटरीच प्रोग्राम के तहत वर्कशॉप आयोजित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। किसी भी व्यक्ति की रीढ़ की हड्डी की टीबी का इलाज शुरू करने से पहले उसकी रीढ़ की हड्डी की बायप्सी जरूर करा लेनी चाहिये जिससे मरीज को स्पाइन टीबी होने की सटीक पुष्टि हो जाये क्योंकि 15 फीसदी केस में स्पाइन टीबी का गलत इलाज शुरू हो जाता है जबकि मरीज को स्पाइन टीबी न होकर दूसरी बीमारी होती है।
देखें वीडियो – डॉ गौतम जावेरी ने स्पानइन इंजरी व स्पाइनल टीबी के बारे में दी महत्वपूर्ण जानकारी
यह जानकारी यहां होटल क्लार्क्स अवध में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ऑर्थोपैडिक विभाग द्वारा एसोसिएशन ऑफ स्पाइनल सर्जरी ऑफ इंडिया (ASSI) स्पाइन आउटरीच प्रोग्राम 2019 के आयोजन के मौके पर मुंबई से आये डॉ गौतम जावेरी ने दी। उन्होंने बताया कि दरअसल पायोजेनिक संक्रमण के लक्षण भी टीबी से मिलते-जुलते हैं, इसलिए चिकित्सक टीबी की दवा शुरू कर देते हैं, लेकिन अगर बायप्सी करा ली जायेगी तो सटीक पता चल जायेगा कि टीबी है या फिर दूसरी बीमारी।
दुर्घटना के फौरन बाद स्पाइनल इंजरी की पहचान जरूरी
डॉ जावेरी ने बताया कि दुर्घटना में घायल करीब 30 से 35 फीसदी लोगों की रीढ़ की हड्डी की चोट प्राथमिक स्तर पर डॉक्टर समझ नहीं पाते हैं, और उसका इलाज उस समय नहीं होता है, नतीजा यह है कि कुछ दिन बाद जब रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने लगती है तब उसका पता चलता है। इसलिए आवश्यक यह है कि हड्डी के डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी जाये कि दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट को शुरुआत में ही कैसे पहचाना जाये।
उन्होंने कहा कि स्पाइन इंजरी का इलाज यहां केजीएमयू में भी अच्छे तरीके से योग्य चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इसे उत्तर प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी किया जाये इसके लिए चिकित्सकों को जानकारी देने के लिए आज के वर्कशॉप का आयोजन किया गया है।
90 फीसदी स्पाइनल इंजरी बिना सर्जरी ठीक हो सकती हैं
इस कोर्स के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डॉ शाह वलीउल्लाह ने बताया कि इस कोर्स का आयोजन डॉ विनीत शर्मा, विभागाध्यक्ष, ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग व डॉ आर एन श्रीवास्तव, हेड स्पाइन सर्जरी यूनिट की अध्यक्षता में हुआ। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं व बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन्स को ट्रेनिंग देना था। कार्यक्रम में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता व चेन्नई से आये हुए एक्सपर्ट स्पाइन सर्जन ने अपने-अपने विचार साझा किए। इस कार्यक्रम में स्पाइन की टीबी, बच्चों व वयस्कों में होने वाले कमर दर्द के बारे में उचित सलाह दी गई। एक्सपर्ट ने बताया कि 90 परसेंट कमर के दर्द को उचित सलाह व कसरत के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। केवल 10 फीसदी केसेस में सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस आउटरीच कोर्स में लखनऊ व प्रदेश के विभिन्न संस्थानों के 100 से अधिक स्पाइन व ऑर्थोपैडिक सर्जन ने भाग लिया।