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झोलाछाप के इंजेक्‍शन बने वोकल कॉर्ड व ट्रैकिया में फंगस का कारण

-60 वर्षीय महिला हुई एंडोब्रॉन्कियल कैन्डिडियासिस का शिकार
समय रहते डायग्‍नोस कर किया गया इस रेयर डिजीज का इलाज

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

डॉ आशीष जायसवाल

लखनऊ। झोलाछाप डॉक्‍टर के चक्‍कर में पड़कर एक 60 वर्षीय महिला की जान पर बन आयी, ताकत के इंजेक्‍शन के नाम पर लगातार सात दिन तक लगाये गये सात स्‍टरॉयड के इंजेक्‍शनों ने महिला की स्‍वरनली व श्‍वास नली (ट्रैकिया) में फंगस का संक्रमण यानी एंडोब्रॉन्कियल कैन्डिडियासिस (endobronchial candidiasis) पैदा कर दिया। समय रहते विशेषज्ञ चिकित्‍सक के पास पहुंचने से महिला की न सिर्फ जान बची बल्कि संक्रमण ठीक हो गया।  मरीज को आज अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी।

महिला का उपचार करने वाले आलमबाग स्थित अजंता हॉस्पिटल के पल्‍मोनरी रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष जायसवाल ने बताया कि सोनभद्र की रहने वाली 60 वर्षीय महिला को बीते 9-10 माह से परेशानी थी, भूख नहीं लग रही थी, बुखार आ रहा था, खांसी आ रही थी, साथ ही पिछले 6-7 महीनों में उनका करीब 20 किलो वजन कम हो गया था। हीमोग्‍लोबिन 5.8 आ गया था। इस बीच घरवालों ने सोनभद्र में कई जगह दिखाया लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था।

डॉ आशीष ने बताया कि उनके पास जब महिला आयीं तो एक्‍सरे कराया गया जिसमें फेफड़े में बायीं तरफ एक गांठ जैसी नजर आयी, उन्‍होंने बताया‍ कि पहली नजर में लगा कि यह गांठ कैंसर की हो सकती है क्‍योंकि इस उम्र में अचानक इतना वजन गिरना, हीमोग्‍लोबिन इतना कम होना, मरीज का दुबला-पतला होना, में संभावना यही रहती है कि कैंसर हो, इसके बाद मरीज का सीटी थोरेक्‍स कराया तो उसमें दिखा कि बायें फेफड़े में सॉलिड लीजन जैसा दिखा, गांठ है या नहीं यह क्‍लीयर नहीं हो रहा था।

डॉ आशीष ने बताया कि इसके बाद ब्रॉन्‍कोस्‍कोपी (दूरबीन को नाक के रास्‍ते फेफड़े तक ले जाकर फेफड़े का देखना) से पता चला कि महिला की वोकल कॉर्ड, ट्रैकिया में फंगस जमा हुआ था। जो गांठ जैसी दिख रही थी, वह फंगस का इन्‍फैक्‍शन जमा हुआ था। फि‍र उसे साफ किया गया तथा जांच करायी तो उसके फंगस होने की पुष्टि हुई। डॉ आशीष ने बताया कि पिछले चार हफ्तों से महिला का इलाज कर रहा हूं उनकी तबीयत अब अच्‍छी है तथा उनका दो किलो वजन बढ़ा भी है, हीमोग्‍लोबिन भी बढ़ गया है।