जन्म देने वाली मां के दूध से वंचित 60 बच्चों को दिया गया 25 लीटर
विश्व स्तनपान सप्ताह पर ह्यूमैन मिल्क बैंक की चार माह की रिपोर्ट पेश
कुलपति ने कहा, धात्री सेवा से दूध पिलाने की परम्परा यशोदा मां से शुरू हुई
लखनऊ। धात्री सेवा के माध्यम से दूध पिलाने की परम्परा आज नयी नहीं है, यशोदा माता पहली धात्री थीं जिन्होंने देवकी के पुत्र कृष्ण को अपना दूध पिलाया था, इस इसी तरह पन्ना धाय के बारे में भी सभी ने पढ़ा होगा। इसलिए यह भारत वर्ष की विशाल परम्परा रही है। आजकल जब सिर्फ 27 फीसदी मातायें ही अपने बच्चे को पर्याप्त दूध पिला पाती हैं, और सिर्फ 45 फीसदी मातायें अपने बच्चे को छह माह तक दूध पिला पाती हैं, तो यह बहुत दुखद है। केजीएमयू ने इस दिशा में कार्य करते हुए चार माह पूर्व धात्री अमृत कलश (मिल्क बैंक) की स्थापना की और मुझे खुशी है कि इसका संचालन सफलतापूर्वक हो रहा है।
यह विचार केजीएमयू के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने आज बुधवार को स्तनपापन सप्ताह के अवसर पर विवि के ब्राउन हॉल में पीडियाट्रिक्स विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम “ An Update on Dhatri Amrit Kalash” (Milk Bank) में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि इस मिल्क बैंक का विचार सबसे पहले संजय गांधी पीजीआई के डॉ गोडबोले ने उन्हें दिया था। जिसे एनएचएम और पाथ की मदद से पूरा किया गया।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्कूलों में बच्चों को मिड-डे-मील दिया जाता है उसी प्रकार गर्भवती माताओं और दूध पिलाने वाली माताओं को आहार दिया जाना चाहिये क्योंकि उनके स्वास्थ्य पर भी देश की भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य निर्भर है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य का विषय है कि धरती पर जितने भी जीव-जंतु हैं उनमें मानव जाति ही अकेली ऐसी है जिसे शिक्षित, प्रशिक्षित और सभ्य होने के बावजूद स्तनपान के लिए प्रशिक्षित करना पड़ रहा है। उन्होंने मिल्क बैंक की स्थापना के लिए एनएचएम और पाथ फाउण्डेशन की सराहना करते हुए इसके सफल संचालन के लिए डॉ माला कुमार, डॉ रेनू सिंह, डॉ शैली अवस्थी, डॉ शालिनी त्रिपाठी, डॉ शीतल वर्मा, डॉ अंशिका रस्तोगी एवं डॉ अर्पिता रस्तोगी, टेक्नीशियन जयेश शुक्ला को सफल संचालन की शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस सेवा भाव के कार्य से केजीएमयू का नाम विश्व भर में और ऊंचे स्थान पर पहुंचेगा।
इस अवसर पर पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रोफेसर एवं कॉम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर की नोडल अफसर डॉ माला कुमार ने मिल्क बैंक के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि करीब चार माह पुराने इस बैंक में अभी तक 75 माताओं ने 42 लीटर दूध दान किया है, 60 बच्चों को 25 लीटर दूध बैंक से उपलब्ध कराया गया है।
डॉ कुमार ने उत्तर प्रदेश के इस पहले ह्यूमन मिल्क बैंक (धात्री अमृत कलश) की स्थापना किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में एनएचएम के वित्तीय तथा पाथ फाउण्डेशन के तकनीकी सहयोग से 5 मार्च 2019 को उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह द्वारा किया गया। नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा इस केंद्र की स्थापना के लिए 99.5 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
डॉ माला कुमार ने बताया कि इस मिल्क बैंक की दो इकाइयां हैं, एक ट्रॉमा सेंटर की 5वीं मंजिल में स्थित है और इसका नाम कॉम्प्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर (सीएलएमसी) है, वहीं इसकी दूसरी इकाई लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट (एलएमयू) है जोकि क्वीन मैरी हॉस्पिटल (मेटर विंग) की दूसरी मंजिल पर स्थित है।
डॉ माला कुमार ने बताया कि केजीएमयू में सीएलएमसी उत्कृष्टता के एक केंद्र के रूप में कार्य करने के साथ ही सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में स्तनपान प्रबंधन केंद्रों की स्थापना एवं उनका मार्गदर्शन करेगी और इस प्रकार सभी शिशुओं के लिए मानव दूध की पहुंच बढ़ाएगी। उन्होंने बताया कि सीएलएमसी पूर्ण रूप से कुशल टेक्नीशियन एवं कर्मचारियों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इस यूनिट को सीएलएमसी प्रबंधक, लैब टेक्नीशियन, स्वच्छता सहायक, लैक्टेशन काउंसलर सहित नोडल अधिकारी सीएलएमसी, प्रो माला कुमार, पीडियाट्रिक्स विभाग, डॉ रेणु सिंह, प्रसूति रोग विशेषज्ञ, डॉ शालिनी त्रिपाठी, पीडियाट्रिक्स विभाग और डॉ शीतल वर्मा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहयोग से सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।
इस अवसर पर उप कुलपति प्रो मधुमति गोयल, डीन, मेडिसिन डॉ विनीता दास, पीडियाट्रिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ शैली अवस्थी, नेशनल हेल्थ मिशन, चाइल्ड हेल्थ के जनरल मैनेजर डॉ वेद प्रकाश ने मिल्क बैंक के सफल संचालन पर शुभकामनाएं देते हुए अपने विचार व्यक्त किए तथा मुख्य रूप से विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष एवं चिकित्सक उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम से पूर्व एक स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था, जिसमें सिस्टर रमा शुक्ला को प्रथम, सिस्टर भारती को द्वितीय और सिस्टर अंजू बालू को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। कार्यक्रम के समापन पर पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रो एसएन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।