संजय गांधी पीजीआई में आयोजित कार्यशाला में सिखाये गये खून रोकने के तरीके
अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन्स के साथ टीम तैयार, पूरे उत्तर प्रदेश को सिखायेंगे तरीके
लखनऊ। सड़क दुर्घटना हो या कोई और हादसा, अगर इंजरी ज्यादा हो गयी है, और खून लगातार बह रहा है तो फिर डॉक्टर के पास पहुंचने तक रक्त रोका जाना जरूरी है, क्योंकि ज्यादा रक्त बहने से जान जाने तक का खतरा हो सकता है, चूंकि दुर्घटना कहीं भी हो सकती है, इसलिए यह आवश्यक है कि हर वर्ग के लोगों को यह जानकारी हो कि वे खून को बहने से कैसे रोक सकते हैं, तीन तरह से खून को बहने से रोका जा सकता है। इनके बारे में संजय गांधी पीजीआई में आज एक वर्कशॉप ‘सेव अ लाइफ बाय स्टॉप द ब्लीड’ का आयोजन किया गया।
कमेटी ऑन ट्रॉमा, अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन्स, अमेरिका के तत्वावधान में वील कॉर्नेल मेडिकल स्कूल, न्यू यॉर्क यूएसए के ट्रॉमा सर्जन और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ मयूर नारायण द्वारा शुरू किये गये कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को प्रशिक्षित करने का बीड़ा यहां केजीएमयू के प्रो संदीप तिवारी, संजय गांधी पीजीआई के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संदीप साहू ने वील कॉर्नेल मेडिकल स्कूल, न्यूयॉर्क, यूएसए के साथ मिलकर उठाया है। एक टीम के रूप में पूरे उत्तर प्रदेश को प्रशिक्षित करने के बारे में डॉ संदीप साहू ने बताया कि यह प्रशिक्षण एक घंटे का होगा और लोगों को इसे फ्री में सिखाया जायेगा।
डॉ संदीप साहू ने बताया कि सामान्य तौर पर शरीर का 30 प्रतिशत खून निकलने के बाद ब्लड प्रेशर लो हो जाता है और मस्तिष्क को ऑकसीजन कम पहुंचने लगती है, और वह बेहोश हो जाता है। और अगर खून 40 प्रतिशत से ज्यादा निकल गया तो फिर जान बचाना मुश्किल हो जाता है। वर्कशॉप में मौजूद डॉ मयूर नारायण ने खून बहने की स्थितियों में उठाये जाने वाले कदमों को पुतलों पर प्रशिक्षण देकर दिखाया।
डॉ मयूर ने बताया कि पहली स्थिति में खून तेजी से निकल रहा है और घाव गहरा नहीं है तो जहां से खून निकल रहा है उस स्थान को कस कर दबायें और लगातार दस मिनट तक दबाये रखें, दूसरी स्थिति में अगर घाव गहरा हो गया है तो फिर सिर्फ हाथ रखकर दबाने से काम नहीं चलेगा, इस स्थिति में रूमाल या कोई भी कपड़ा लेकर उसे घाव वाले स्थान में ठूंस दें और फिर दबायें, ऐसा दस मिनट करने से रक्त में थक्का बन जायेगा और खून रुक जायेगा।
उन्होंने बताया कि 80 प्रतिशत खून इन दोनों तरीकों से रुक जायेगा लेकिन तीसरी स्थिति में 20 प्रतिशत खून न रुकने की संभावना तब बनी रहती है जब दुर्घटना में अंग हाथ या पैर कट गया हो, उनकी नस, आर्टरी कट गयी हो, ऐसी स्थिति में करीब दो से तीन सेन्टीमीटर दूर किसी डोरी जैसी चीज से इतनी कस कर बांधें जिससे खून का प्रवाह रुक जाये, इस तरह की स्थिति में हाथ को एक घंटे और पैर को डेढ़ घंटे तक बांधा जा सकता है, इस अवधि के बीच व्यक्ति को डॉक्टर के पास अवश्य पहुंचा देना चाहिये।
उस समय इन्फेक्शन से कीमती है जान
डॉ संदीप साहू ने कहा कि एक सवाल यह उठता है कि घाव में ठूंसा जाने वाला कपड़े से संक्रमण होने की आशंका रहेगी तो इस विषय में यह बताना है कि कपड़ा साफ हो, भले ही मेडीकेडेड न हो, और अगर कपड़े से कोई इन्फेक्शन होता भी है तो उसे घंटे भर के अंदर दवा देकर रोका जा सकता है, और घंटे भर के अंदर तो मरीज को चिकित्सक के पास पहुंचाया जाना किसी भी दशा में जरूरी है ही।
इस बात का रखें ध्यान
डॉ संदीप साहू ने कहा कि एक और प्रश्न आता है कि जो व्यक्ति खून रोकने में जिस व्यक्ति की मदद कर रहा है, उस व्यक्ति को अगर हेपेटाइटिस, एड्स जैसा खून से फैलने वाले संक्रमण का रोग हो तो बचाने वाला व्यक्ति संक्रमण की चपेट में आ जायेगा, इस बारे में यह है कि अगर मदद करने वाले व्यक्ति के पास ग्लब्स (दस्ताने) हो तो अच्छा है, लेकिन अगर नहीं हैं, और अगर उसके कहीं कटा-पिटा नहीं है तो खतरा नहीं है।