हड़ताली डॉक्टरों को भी याद दिलायी हिपोक्रेटिक ओथ
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति सुव्रा घोष की खंडपीठ ने राज्य सरकार से हड़ताली डॉक्टरों से बात करने और उन्हें फिर से काम शुरू करने के लिए राजी करने के आदेश दिये हैं। इस बीच हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में और ममता बनर्जी के तानाशाही रवैये से क्षुब्ध होकर विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के 155 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफे दे दिये हैं।
जैसा कि ज्ञात है कि बीते सोमवार को कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक 85 वर्षीय मरीज की मौत के बाद मरीज के परिजनों ने ड्यूटी पर तैनात जूनियर डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दो डॉक्टरों की जमकर पिटाई कर दी थी, इनमें एक आईसीयू में भर्ती है जबकि दूसरे को भी काफी चोटें आयी हैं। इसके बाद से एनआरएस मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर विरोध स्वरूप हड़ताल पर चले गये जबकि अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी विरोध के स्वर तेज हो गये ऐसे में ममता बनर्जी ने बजाय बातचीत कर रास्ता निकालने के डॉक्टरों को चार घंटे के अंदर हड़ताल खत्म करके काम पर लौटने को कहा, इससे डॉक्टर और भड़क गये, देखते ही देखते अन्य कॉलेजों के जूनियर डॉक्टरों के साथ ही दूसरे राज्यों के जूनियर डॉक्टर भी घटना के विरोध में खड़े हो गये।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में खड़ा हो गया और फिर शुक्रवार यानी आज का दिन पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करने के लिए तय किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आज 12 राज्यों में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन, रैली, नारेबाजी हुई जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ा। दूर-दराज से आये हुए मरीजों को परिजनों को बिना दिखाये वापस जाना पड़ा। हालांकि हड़ताली डॉक्टरों का कहना था कि कुछ डॉक्टरों को इसी लिए हड़ताल से बाहर रखा है जिससे कि मरीज को दिक्कत न हो। लेकिन मरीजों और उनके परिजनों ने जो व्यथा सुनायी उसमें बताया कि उन्हें किस-किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य के अस्पतालों में जूनियर डॉक्टरों द्वारा हड़ताल पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और राज्य सरकार से हड़ताली डॉक्टरों को काम फिर से शुरू करने और रोगियों को सामान्य सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा। अदालत ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह सोमवार रात शहर के एक अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों पर हुए हमले के बाद उठाए गए कदमों से अवगत कराए।
मुख्य न्यायाधीश ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान, हड़ताली डॉक्टरों को ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ’ की याद दिलाई जो वे सभी रोगियों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए लेते हैं। पीठ ने याचिका की आगे की सुनवाई के लिए 21 जून की तारीख तय की।
हड़ताली डॉक्टरों का कहना है कि वे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा व्यक्तिगत रूप से उनकी सुरक्षा के पुख्ता और विश्वसनीय आश्वासन मिलने पर कर्तव्यों को फिर से शुरू करेंगे।