-दस महाविद्याओं के रूप में विद्यमान देवी की मूर्तियां भी स्थापित हैं यहां
-उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बख्शी का तालाब के नवी नन्दना में बना है यह तीर्थ
धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बख्शी का तालाब में नवी कोट नंदना में बने 51 शक्तिपीठ स्थल की विशेषता यह बतायी जाती है कि यहां सभी 51 शक्ति पीठों के दर्शन एक ही स्थान पर होते हैं। इसके संस्थापक पं रघुराज दीक्षित ‘मंजु’ ने एक परिकल्पना की थी कि भारत स्थित 41 तथा बांग्लादेश में 4, नेपाल में 3 और पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत में 1-1 शक्तिपीठों तक जो भक्त नहीं पहुंच सकते हैं, उन्हें मां के उन स्वरूपों का दर्शन एक ही स्थान पर हो सके। इस परिकल्पना को साकार करते हुए इसके लिए उन्होंने यहां 51 शक्तिपीठ स्थल के निर्माण की ओर कदम बढ़ा दिये।
भूतल के अलावा पांच तलों तक बने इस मंदिर में 51 शक्तिपीठों में स्थित मां के स्वरूपों वाली मूर्तियों को स्थापित किया गया है, इनके साथ ही वहां स्थित भैरों बाबा को भी उसी रूप में स्थापित किया गया है। इसके साथ ही सभी 51 शक्तिपीठों की रज अलग-अलग कलशों में रखी है, जिसके दर्शन से भक्त धन्य हो जाते हैं, भक्तों को इस रज की तीन परिक्रमा करने की सलाह भी दी गयी है।
इसके संस्थापक पं.रघुराज दीक्षित ‘मंजु’ बीती 1 दिसम्बर, 2020 को परलोक सिधार चुके हैं, उनके बाद इस ट्रस्ट को चलाने की जिम्मेदारी उनकी पुत्री तृप्ति तिवारी पर आ गयी है, जिसे वह पूरी श्रद्धा और लगन के साथ निभा रही हैं। इस मंदिर की विशेषता के बारे में ‘सेहत टाइम्स‘ ने ट्रस्ट की अध्यक्ष तृप्ति तिवारी से बात की तो उन्होंने इस 51 शक्तिपीठ तीर्थ की स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि किस तरह उनके पिता पं. रघुराज दीक्षित ने अपनी पैतृक सम्पत्ति को बेचकर यहां जमीन खरीदी तथा अपनी मोटरसाइकिल पर एक-एक बोरी सीमेन्ट लाकर इस तीर्थस्थल को बनाने की शुरुआत की थी, और इसके बाद धीरे-धीरे लोग जुड़ते गये और सहयोग मिलता गया।
तृप्ति तिवारी ने बताया कि यहां न सिर्फ 51 शक्तिपीठों में स्थापित मूर्तियों की स्थापना की गयी है बल्कि शक्तिपीठों से पहले की कहानी जिसमें माता पार्वती को मायके जाने से मना करने पर शिवजी को पार्वती ने दसों दिशाओं से घेरा था, इन दसों रूपों की मूर्तियां भी यहां स्थापित हैं। उन्होंने बताया कि अभी इसमें 64 योगिनियों की मूर्तियां की स्थापना के साथ ही कई और कार्य भी बाकी हैं।
तृप्ति तिवारी ने अपील की कि लोग इस तीर्थस्थल से जुड़ें और विश्व के इस इकलौते अपने तरह के तीर्थस्थल को विस्तार देने में ट्रस्ट का साथ दें। उन्होंने कहा कि पिता के परलोक सिधारने के बाद उनके इस तीर्थस्थल के निर्माण को लेकर अधूरे सपनों को पूरा करने में सभी के साथ की आवश्यकता है।
देखिये वीडियो इस शक्तिपीठ के सम्बन्ध में तृप्ति तिवारी ने क्या-क्या खास और रोचक जानकारियां दीं..