लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय में आने वाले वाले मरीजों की वार्षिक दिक्कत शुरू होने वाली है। क्योंकि 16 मई मंगलवार से संस्थान में ग्रीष्म कालीन अवकाश शुरू हो रहें हैं। पहले चरण में 50 फीसदी चिकित्सक एक माह के लिए अवकाश पर होंगे, फिर शेष अन्य 50 फीसदी अवकाश लेंगे। ऐसे में अगले दो माह 50 फीसदी चिकित्सकों के भरोसे ही मरीज देखे जायेंगे।
दो माह तक आधे डॉक्टर ही देखेंगे मरीजों को
550 शिक्षको में 275 डॉक्टर पूरे एक माह के अवकाश पर जा रहें हैं। अवकाश पर जाते ही विभिन्न वार्डो में तमाम मरीजों के इलाज पर सीधा असर पड़ेगा, हालांकि कागजों में भर्ती मरीज संबन्धित चिकित्सक को ट्रांसफर कर दिये जाते हैं, मगर वास्तविकता यह है कि चिकित्सक अपने ही मरीजों के इलाज में तवज्जो देते हैं जबरदस्ती की मिली जिम्मेदारी को टालमटोल के अंदाज में निभाते हैं, इनमें कई को छुट्टी लेकर वापस जाने की सलाह देते हैं।
क्वीनमैरी, जनरल सर्जरी व न्यूरो सर्जरी विभाग में आयेगी सबसे ज्यादा दिक्कत
ऐसी स्थिति में सर्वाधिक समस्या न्यूरो सर्जरी व सर्जरी विभाग में भर्ती मरीजों को उठानी पड़ेगी, तमाम मरीज महीनों से प्रस्तावित सर्जरी का इंतजार कर रहे हैं, सर्जरी के लिए जरूरी जांच आदि भी करा चुके हैं, कुछ की सर्जरी तो सर्जन के अवकाश पर जाने से और कुछ में तो संबधित एनेस्थेटिक डॉक्टर के अवकाश पर जाने के कारण सर्जरी टलेगी। कुछ मरीजों ने तो छुटटी करा ली हैं, कुछ दूसरे डॉक्टरों से ही सर्जरी कराने को तैयार हैं और वार्डो में भर्ती हैं। कमोवेश यही हाल क्वीन मैरी का होगा, यहां मरीजों एवं बच्चों की जबरदस्त भीड़ को इलाज देना क्वीन मैरी प्रशासन की चुनौती होगा। विभाग की 50 फीसदी चिकित्सकों के अवकाश पर जाने से इमरजेंसी समेत ओपीडी प्रभावित होना स्वाभाविक है। ज्ञात हो शिक्षण संस्थाओं में ग्रीष्म व शीतकालीन अवकाश अनुमन्य है। पूरे वर्ष लगातार मरीजों का उपचार करने वाले शिक्षकों को भी एक माह का अवकाश प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत 16 मई से 15 जून तक आधे शिक्षक एवं शेष अन्य शिक्षकों को 16 जून से 15 जुलाई तक अवकाश स्वीकृत किया गया है। अवकाश प्रदान करते हुए इस बात का ध्यान रखा जाता है कि विभाग में संबधित विभाग के डॉक्टरों का आभाव न रहें। केजीएमयू के 65 विभागों में कार्यरत लगभग 550 शिक्षकों में लगभग 275 शिक्षकों को एक साथ अवकाश प्रदान किया गया है।