लखनऊ। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य का एक-दूसरे से गहरा सम्बन्ध है। मानसिक रोग सम्बन्धित समस्यायें अनेक शारीरिक बीमारियों जैसे मधुमेह, दिल सम्बन्धित विकार, कैंसर आदि रोगों की अवधि, रोग के सही होने की संभावना एवं उपचार को प्रभावित करते हैं। तनाव एवं मानसिक विकार हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करते हैं एवं हृदय सम्बन्धित रोग और मेटाबोलिक विकारों को बढ़ावा देते हैं। यह बात यहां इसलिए आवश्यक है कि हमारी चिकित्सा प्रणाली इस प्रकार की होनी चाहिये कि एक ही परिसर में संयुक्त संधाधनों द्वारा शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का समुचित उपचार किया जा सके। पूरे विश्व में आजकल चिकित्सा प्रणाली को इस प्रकार विकसित किया जा रहा है जिससे कि मानसिक एवं शारीरिक रोगों का उपचार साथ-साथ किया जा सके।
केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग ने मनाया स्थापना दिवस
यह जानकारी यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में दी गयी। तीन दिवसीय समारोह में ढाई दिन वर्कशॉप चली तथा शनिवार को पीजीआई चंडीगढ़ के मानसिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ अजीत अवस्थी ने व्याख्यान दिया। समारोह के मुख्य अतिथि केजीएमयू के कुलपति प्रो रविकांत थे। मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो पीके दलाल की ओर से कार्यक्रमों की जानकारी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आदर्श त्रिपाठी ने दी।
यौन सुख का आनंद न ले पा रहे हों तो…
प्रो त्रिपाठी ने बताया कि व्यक्ति यदि यौन सुख का पूरा आनंद नहीं ले पा रहा है और उसका विशेष अंग जो उसके एकांत के पलों में उसका पूरा साथ नहीं निभाता है तो हो सकता है कि वह ऐथिरोस्क्लेरोसिस यानी आर्टरीज में फैट जमने के कारण उनका दायरा संकुचित होना और उसमें खून का बहाव कम होना नाम की बीमारी से ग्रस्त हो, ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि वह तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करें और अपना इलाज कराये। क्योंकि यदि शर्म या झिझक के कारण इसे नजरंदाज किया गया तो भविष्य में लगभग दस वर्षों बाद हृदयाघात होने की संभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने बताया कि ऐथिरोस्क्लेरोसिस की स्थिति में फैट धमनियों में जमा हो जाता है जिससे खून का वेग प्रभावित होता है जिससे लिंग में कड़ापन न होने की समस्या पैदा हो जाती है। इसे कुछेक दवाओं और व्यायाम से ठीक किया जा सकता है।
अज्ञानता के कारण ठगे जाते हैं लोग
उन्होंने बताया कि ऐसा देखा गया है कि शर्म और झिझक की वजह से सेक्स शिक्षा लोग प्रॉपर तरीके से नहीं लेते हैं, उन्हें यह शिक्षा मित्रों से, सस्ती किताबों से, पॉर्न फिल्मों से ही मिलती है जो कि उनके अंदर अनेक प्रकार के भ्रम पैदा करती है। नतीजतन वह समस्याओं से ग्रस्त होकर कुंठा में जीते रहते हैं। उन्होंने बताया कि बहुत बार ऐसा भी होता है कि लोग सिर्फ भ्रम और अशिक्षा के शिकार होते हैं, उन्होंने बताया कि ज्यादातर ऐसा होता है कि जिन परेशानियों को लोग बीमारी मानते हैं वे दरअसल बीमारियां नहीं हैं, जैसे कि हस्त मैथुन, स्वप्नदोष जैसी स्थिति को युवक बीमारी मानकर अपने आप में परेशान होतेे रहते हैं, जबकि यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि अनेक समस्याओं से ग्रस्त लोग नीमहकीम या कथित चिकित्सकों के चक्कर में पडक़र काफी पैसा खर्च देते हैं जबकि उनके हाथ कुछ नहीं आता है।
असफलता की शंका को अपने ऊपर हावी न होने दें
डॉ आदर्श ने बताया कि केजीएमयू में प्रत्येक सोमवार को चलने वाली यौन रोग क्लीनिक में आने वाले मरीजों में 25 से 30 प्रतिशत केस ऐसे होते हैं जो बीमार नहीं होते हैं लेकिन अज्ञानता के कारण अपने को बीमार समझते और तनाव में रहते हैं। बहुत से लोग सेक्स में सफलता मिलने को लेकर मन ही मन बहुत आशंकित रहते हैं कि शायद उन्हें सफलता नहीं मिलेगी, चूंकि सेक्स का संबंध सीधा मस्तिष्क से होता है ऐसे में उसकी शंका इतनी हावी हो जाती है कि वह वाकई सेक्स में अपेक्षित सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है। ऐसे लोगों को सिर्फ काउंसलिंग करके ही ठीक किया जा सकता है।
अर्ली इंटरवेंशन व ट्रेनिंग सेंटर खुलेगा
डॉ.आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि मानसिक चिकित्सा विभाग में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन व ट्रेनिंग सेंटर बनेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत शुरू होने वाले इस सेंटर में जन्म के तुरंत बाद ही किसी बच्चे में भविष्य में होने वाली बीमारी की पहचान की जायेगी और उनका इलाज किया जाएगा। आठ करोड़ की लागत से शुरू होने वाले इस सेंटर में बाल रोग विशेषज्ञ, आंख, नाक, कान व गला, हड्डी रोग, दंत सहित विभिन्न के विशेषज्ञ होंगे। वे बच्चे में बीमारी की पहचान कर इलाज करेंगे जिससे भविष्य में बच्चे में उक्त क्षमता के पूर्णतया खो जाने से रोका जा सके।
33 करोड़ रुपये से होगा विभाग का उत्थान
प्रो. दलाल ने बताया कि केजीएमयू के मानसिक चिकित्सा विभाग को सेंटर फॉर एक्सीलेंस चुना गया है। भारत सरकार व राज्य सरकार की आेर से एेसा किया गया है। इसके तहत विभाग के उत्थान के लिए 33 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट आया है जिसकी मदद से विभाग को और भी बेहतर ढंग से विकसित किया जाएगा। उपकरण आदि बढे़ंगे और मरीजों के इलाज की सुविधाआें में भी इजाफा होगा।