लखनऊ। न राम नारायण को और न ही उसके परिजनों उम्मीद थी कि उसका जो हाथ तीन साल से बेजान जैसा पड़ा था वह फिर से काम करने लायक बन जायेगा लेकिन केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.एके सिंह के निर्देशन में डॉ. दिव्य नारायण उपाध्याय और उनकी टीम ने सर्जरी करके राम नारायण के निर्जीव हो चुके हाथ में जान डालकर उसके जीवन की झोली में खुशियां भर दीं। अब उसका हाथ पहले की तरह काम करने लगेगा। ट्रांसफरिंग ऑफ मसल्स, माइक्रो तकनीक सर्जरी में पैर से मांसपेशियां लेकर निर्जीव हो चुकी खून की धमनियों और नर्व के स्थान पर प्रत्यारोपित कर दिया। डाक्टर्स का कहना है कि अगले दो माह में दाहिना हाथ पूर्व की भांति सामान्य संचालित होने लगेगा।
ब्रैकियल प्लेक्सस हो गयी थीं डैमेज
डॉ. दिव्य नारायण ने बताया कि कुछ माह पूर्व पनकी कानपुर निवासी राम नारायण, उनकी ओपीडी में आया था। उस दौरान उसका दाहिना हाथ व पैर ने काम करना छोड़ दिया था। उन्होंने बताया कि उसका हाथ पूर्णतया पैरालाइज हो चुका था। हमने जांचें करवायी तो पता चला कि उसकी ब्रैकियल प्लेक्सस डैमेज हो चुकी थी। ये ब्रैकियल प्लेक्सस ही होती है जो कि कन्धे से हाथ की नसों में रक्त प्रवाह के साथ ही संवेदना का अहसास कराती हैं। डैमेज होने से हाथ निष्क्रिय हो चुका था। इसके लिए पहले प्रपीजियश ट्रांसफर सर्जरी की गई, इस सर्जरी को मसल्स ठीक होने व नर्व खराब होने की दशा में किया जाता है। अफसोस जब यह सर्जरी कारगर नही हुई तो इसके बाद दोबारा फ्री फंक्शनिंग मसल्स ट्रांसफर सर्जरी प्लान की और बीती 28 फरवरी को बायें पैर की जांघ से ग्रैसिलिस मसल्स को निकालकर हाथ में खराब हो चुकी मसल्स के स्थान पर और खून को धमनियों को प्रत्यारोपित किया। अंदर रक्त प्रवाह करने वाली एक-एक मसल को खून की धमनियों को जोड़ा गया। डॉ दिव्य नारायण ने बताया कि अगले कुछ समय तक नर्व व नस अपना स्थान स्थापित कर लेगी ओर रक्त का संचार भी शुरू हो जायेगा। रक्त संचार शुरू होते ही हाथ भी काम करना शुरू कर देगा ओर पूर्व की भांति काम करेगा। सर्जरी करने वाली टीम में डॉ. मुक्ता वर्मा और डॉ. पवन दीक्षित भी शामिल थे। डॉ.दिव्य ने बताया कि गर्दन के अंदर हिस्से में दिमाग से शरीर में संवेदना पहुंचाने वाली नर्व को माइक्रो सर्जरी तकनीक से नई नर्व प्रत्यारोपित की गईं।
अपाहिज सा जीवन जी रहा था राम नारायण
कानपुर निवासी भुक्तभोगी राम नारायण (40)ने बताया कि वह वर्ष दिसम्बर 2014 में वह खुद मोटर साइकिल से गिर पड़ा था। गिरने की वजह से दाहिना हाथ व पैर ने काम करना बंद कर दिया था। खूब इलाज कराया, पैर ने काम करना शुरू कर दिया था। इसके बाद निष्क्रिय हाथ को जीवन की नियति मानकर बैठ चुके थे। हाथ पैरालाइज होने की वजह से दैनिक दिनचर्या प्रभावित हो चुकी थी।
बाइक चलाते समय न करें मोबाइल पर बात
डॉ. दिव्य ने बताया कि यह समस्या, मोटर साइकिल चलाते समय दुर्घटना होने पर हो जाती है। इसमें दिमाग से अंगों में संवेदनाएं पहुंचाने वाली ब्रैकियल नर्व डैमेज हो जाती हैं। जिनमें माइक्रो सर्जरी तकनीक से पैर की नर्व को हाथ में प्रत्यारोपित कर देते हैं। उन्होंने सलाह दी कि मोटर साइकिल चलाते समय मोबाइल का उपयोग हर हाल में बंद देना चाहिये।