महाराष्ट्र के पालघर की घटना, सूरत में चल रहा इलाज
शराब कितनी बुरी चीज है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक आदमी ने नशे में अपना प्राइवेट पार्ट काट डाला. एक शख्स ने महाराष्ट्र के पालघर में शराब के नशे में अपनी जान जोखिम में डाल ली. सही ही कहा गया है कि शराब बुरी चीज है क्योंकि इसका नशा इंसान की सोचने-समझने की शक्ति छीन लेता है। फिलहाल इस युवक का इलाज सूरत में चल रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पालघर में शराब के नशे में चूर एक युवक ने अपना ही प्राइवेट पार्ट काट लिया। उसे फौरन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी बिगड़ती हालत देख सूरत के एक हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया है जहां उसका इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि युवक शराब पीने का आदी था। काफी दिनों से उसने शराब पीना बंद कर दिया था जिसके चलते उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शख्स का नाम विलास जयराम वावरे है। उसकी उम्र 23 साल है। खराब मानसिक स्थिति से गुजर रहे विलास ने एक दिन शराब पी ली और फिर नशे में उसे होश ही नहीं रहा कि कब उसने अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया। इस बात की जानकारी जब उसके भाई को हुई तो उसने फौरन विलास को वलसाड़ के अस्पताल में भर्ती कराया। वलसाड़ के अस्पताल में उसकी बिगड़ती हालत देख फौरन सूरत के अस्पताल में भर्ती कराया गया। बहरहाल उसका इलाज चल रहा है। हादसे की खबर पाकर विलास के घरवाले सदमे में हैं। उन्हें यकीन नहीं हो रहा है कि कोई नशे में खुद के साथ ऐसा कैसे कर सकता है।
ऐसा क्यों किया होगा
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अब सवाल यह उठता है कि युवक ने ऐसा क्यों किया होगा इस सवाल का जवाब लेने के लिए ‘सेहत टाइम्स’ ने मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी से बात की तो उन्होंने बताया कि शराब हो या कोई दूसरी नशीली वस्तु, इसका सेवन नहीं करना चाहिए लेकिन अगर इसकी आदत पड़ गयी है तो उसे जितनी जल्दी छोड़ दिया जाये बेहतर है. उन्होंने बताया कि चूँकि मैंने इस व्यक्ति की केस हिस्ट्री तो नहीं देखी है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि व्यक्ति ने शराब तो छोड़ी लेकिन वह किसी मनोचिकित्सक के संपर्क में नहीं रहा.
डॉ. अलीम ने बताया कि दरअसल होता यह है कि शराब छोड़ने की प्रक्रिया कुशल मनोचिकित्सक की देखरेख में करनी चाहिए, क्योंकि कुछ दवाएं और अन्य चीजे जैसे थाइमीन विटामिन (vitamin thiamine) लेना जरूरी होता है. क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति विथड्राल सिंड्रोम का शिकार हो जाता है. इसी विथड्राल सिंड्रोम का जटिल स्वरूप होता है वर्निक कोर्साकोफ साइकोसिस (Wernike Korsakoff Psychosis). इसमें मानसिक अवस्था ऐसी हो जाती है कि व्यक्ति को वे चीजें नजर आने लगती हैं जो वास्तव में नहीं होती हैं. ऐसी स्थिति में व्यक्ति इस कुछ भी कर सकता है, अपने को भी नुक्सान पहुंचा सकता है, दूसरे को भी नुकसान पहुंचा सकता है.
उन्होंने बताया कि अच्छा होगा नशे की लत न पड़े और अगर पड़ गयी है तो जितनी जल्दी छोड़ दें उतना अच्छा है, क्योंकि नशा दिमाग में इतना नुक्सान पहुंचाता है कि एक न एक दिन उसे सूद समेत चुकाना पड़ता है, इसलिए बेहतर होगा कि सूद न हो.
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