-पुरुष स्वास्थ्य जागरूकता माह में ‘आंखें खोलने वाली’ जानकारी दी डॉ गौरांग गुप्ता ने

सेहत टाइम्स
लखनऊ। पुरुषों विशेषकर युवकों को जो एक बड़ी समस्या महसूस होती है, वह है उनकी मर्दाना कमजोरी। वास्तव में इस समस्या को लेकर युवक जितने चिंतित हो जाते हैं, उतना चिंतित होने की जरूरत नहीं है, उनको जरूरत है सही मार्गदर्शन की। ऐसा नहीं होने पर वे जहां समस्या के भंवरजाल से बाहर नहीं निकल पाते हैं, वहीं गैर वैज्ञानिक और गलत इलाज के चक्कर में फंस जाते हैं, जो कहीं न कहीं उनकी समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ाता है। होम्योपैथिक चिकित्सक होने के नाते मैं इतना कह सकता हूं कि होम्योपैथिक दवाओं से इस प्रॉब्लम को बहुत ही आसानी से दूर किया जा सकता है। कुछ केसेज में दवाओं के साथ काउंसलिंग की भी जरूरत पड़ती है।

पुरुषों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए निर्धारित किये गये जून माह में ‘सेहत टाइम्स’ से विशेष बातचीत करते हुए यह बात गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च जीसीसीएचआर के कन्सल्टेंट डॉ गौरांग गुप्ता ने कही। डॉ गौरांग ने कहा कि यौन शिक्षा का ज्ञान हमारे देश में आम न होने के कारण, यौन समस्याओं और उनके सही समाधन की जानकारी युवाओं को मिल नहीं पाती है, जो जानकारी उन्हें मिलती है वो दोस्तों से मिलती है, जाहिर है वे दोस्त भी इस विषय के विशेषज्ञ न होने के कारण आधू-अधूरी, अधकचरी या यूं कहें कि गलत जानकारी परोसते हैं, जिससे मामला सुलझता तो नहीं है, बल्कि और बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है।
उन्होंने बताया कि कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं जो उतनी बड़ी नहीं होती हैं जितनी कि पीडि़त समझते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसे मामले आते रहते हैं। मुख्यत: जिन समस्याओं को लेकर लोग उनके पास आते हैं, उनमें प्री मेच्योर इजेकुलेशन यानी शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी स्तंभन दोष ज्यादा होती हैं। इसके अलावा एक और समस्या होती है यौन क्रिया के प्रति उत्साह में कमी आना। उत्साह में कमी आने की समस्या सीधे मन से जुड़ी होती है, जब मन को केंद्र में रखकर दवा दी जाती हैं तो जैसे-जैसे मन की समस्या दूर होती है वैसे-वैसे अनिच्छा इच्छा में परिवर्तित होने लगती है और जब थोड़ा भी परिवर्तन आता है तो व्यक्ति में एक विश्वास पैदा हो जाता है कि मेरी समस्या ठीक हो सकती है, यह विश्वास ही उसमें उत्साह भरता है और समस्या तेजी से ठीक हो जाती है।
उन्होंने बताया कि जैसा कि मैंने कहा कि इस पर सही सलाह नहीं मिल पाती है, इसका नतीजा यह होता है बहुत से पीडि़त व्यक्ति इसे बांझपन से जोड़ने लगते हैं, उन्हें लगता है कि जैसे इस समस्या से उन्हें जीवन भर छुटकारा नहीं मिल पायेगा और उन्हें नामर्द की श्रेणी में गिना जायेगा, लेकिन यह सच नहीं है। इसमें लोग बांझपन का टैग लगा देते हैं। शीघ्रपतन और स्तंभन दोष से बांझपन नहीं होता है।
डॉ गौरांग ने बताया कि इन समस्याओं के कारणों की बात करें तो एक वजह होती है चिंता, तनाव आदि से प्रभावित मन:स्थिति, दूसरी वजह होती है बहुत ज्यादा मास्टरबेशन यानी हस्तमैथुन करना। जो युवक अत्यधिक मास्टरबेशन करते रहे हैं उन्हें ये समस्याएं आती हैं। इसे साधारण शब्दों में समझें तो ज्यादा मास्टरबेट करने के कारण अंडकोष में वीर्य एकत्र होने की नौबत ही नहीं आ पाती है। दरअसल टेस्टिस को स्पर्म बनाने के लिए निश्चित समय देना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि उनकी पेशाब के साथ धात (एक पतला फ्ल्यूड) भी आता है, या फिर उनका वीर्य बहुत पतला निकलता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है, जो पतला फ्ल्यूड निकलता है, जिसे पीडि़त वीर्य समझते हैं, वास्तव में वह वीर्य नहीं होता है, वह प्रोस्टेट का फ्ल्यूड होता है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को ऐसी दिक्कत हो उन्हें बिना किसी झिझक और संकोच के योग्य चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये, जिससे कि इलाज सही दिशा में मिले ताकि वे समझ सकें कि जिस परेशानी को वह जीवन भर की बहुत बड़ी दिक्कत समझ रहे थे, वास्तव में वह न तो बहुत बड़ी है और न ही जीवन भर की है।

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