-रोकथाम और शीघ्र डायग्नोसिस बन सकता है जीवन रक्षक

सेहत टाइम्स
लखनऊ। वायरल हेपेटाइटिस भारत में यकृत रोग और यकृत कैंसर का प्रमुख कारण है। इसका पता अक्सर रोग के अंतिम चरण में तब चलता है, जब यकृत रोग पहले ही विकसित हो चुका होता है। रोकथाम और शीघ्र निदान जीवन रक्षक हो सकता है और स्वास्थ्य सेवा एवं सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ कम करता है।
संस्थान द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार हेपेटोलॉजी विभाग द्वारा एसजीपीजीआई में 26 और 27 जुलाई को युवा डॉक्टरों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए “विश्व हेपेटाइटिस दिवस” के अवसर पर दो दिवसीय मास्टर क्लास का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस ई सहित हेपेटाइटिस के सामान्य कारणों के शीघ्र निदान, रोकथाम और उपचार पर एक समर्पित व्याख्यान शामिल होगा।
विज्ञप्ति के अनुसार कार्यक्रम में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा सहित वायरल हेपेटाइटिस की जटिलताओं के प्रबंधन पर भी चर्चा होगी। उत्तर प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिभागियों ने मास्टर क्लास के लिए पंजीकरण कराया है और लगभग 200 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के डीन और सीएमएस की उपस्थिति में निदेशक (प्रो.) आर. के. धीमन द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अमित गोयल अन्य वक्ताओं और संकाय सदस्यों के साथ इस आयोजन में शामिल होंगे और युवा चिकित्सकों को शिक्षित करेंगे।

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