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केजीएमयू में यूपी के प्रथम पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर का लोकार्पण

-पूरे इलाज के बाद भी अगर फूल रही है सांस, तो जाइये इस सेंटर के पास

-श्वांस के रोगियों के लिए वरदान साबित होगा पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर : डॉ0 सोनिया नित्यानन्द

-प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करेगा पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर : डॉ0 सूर्य कान्त

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
श्वसन रोगियों की सुविधा के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्पिरेरी मेडिसिन विभाग में उत्तर प्रदेश के प्रथम पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर का औपचारिक लोकार्पण कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने किया। उन्होंने कहा कि विभाग में पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर का होना सांस के रोगियों के लिए वरदान साबित होगा। इस अवसर पर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सूर्यकांत ने इस केंद्र की विशेषता से सबको अवगत कराया। आपको बता दें कि संपूर्ण इलाज के बाद भी जिन लोगों की सांस फूलती है या परेशानी रहती है, ऐसे जटिल श्वसन रोगियों के लिए मुफ्त में पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन की सुविधा के तहत रेस्पिरेटरी फिजियोथैरेपी, डाइट परामर्श एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। यह पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर, सिप्ला फाउंडेशन के कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत स्थापित एवं संचालित हो रहा है।

ज्ञात रहे कि किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केंद्र बनाया गया है, जिसमें सांस के रोगी जैसे- अस्थमा, सी.ओ.पी.डी. इंटरस्टीशियल लंग डिजीज या फिर टी.बी. के संपूर्ण इलाज के बाद भी जिनकी सांस फूलती है या परेशानी रहती है, ऐसे रोगियों को कुछ शारीरिक व्यायाम, पोषण सलाह तथा काउंसलिंग के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता और उनकी कार्य करने की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इसमें कुछ योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान की भी सलाह दी जाती है। इस पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन केंद्र में रोगियों को डॉक्टर की सलाह पर पंजीकृत किया जाता है। उनकी काउंसलिंग के बाद उनको पोषण की सलाह दी जाती है। रोगी को प्रारंभ में केंद्र में आना पड़ता है और समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार रोगी को ऑनलाइन सेशन के द्वारा भी प्रशिक्षित किया जाता है।

इस कार्यक्रम को उसके उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए कुलपति ने अपनी शुभकामनाएं दीं और कहा कि श्वांस की बीमारी बेहद जटिल होती है ऐसे में दवा के साथ रोगियों को श्वांस की फिज़ियोथेरेपी, सही आहार तथा मनोवैज्ञानिक परामर्श लाभकारी सिद्ध होता है।

डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि देश में करीब 10 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी अस्थमा, सी.ओ.पी.डी., इंटरस्टीशियल लंग डिजीज या टी.बी. का पूर्ण उपचार होने के पश्चात भी सांस फूलती रहती है ऐसे रोगियों को दवाओं एवं इन्हेलर से पूरी तरह से आराम नहीं मिल पाता है। अतः इन रोगियों के लिए शोध के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन लााभप्रद है। इस पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन में सांस के रोगों के विशेषज्ञ, फिजियोथैरेपिस्ट, डाइट काउंसलर, सोशल वर्कर आदि की एक पूरी टीम की आवश्यकता होती है जो कि रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में मौजूद है जो जल्द ही उत्तर प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों को प्रशिक्षित करेगा जिससे कि इन मेडिकल कॉलेजों में भी श्वांस के रोगियों को पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर का लाभ मिल सकेगा।

सिप्ला फाउण्डेषन के प्रमुख अनुराग मिश्रा ने कार्यक्रम से सफल संचालन पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि सिप्ला फाउण्डेशन आगे आने वाले समय में भी अपना सहयोग केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग को प्रदान करता रहेगा।

इस आयोजन में सिप्ला फाउण्डेशन के प्रमुख अनुराग मिश्रा, संचार प्रमुख आरती कृष्णन, आपरेशन्स प्रमुख संजोग सोनिस के साथ-साथ, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉ0 एस. के. वर्मा, डॉ0 आर. ए. एस. कुशवाहा, डॉ0 संतोष कुमार, डॉ0 राजीव गर्ग, डॉ0 अजय कुमार वर्मा, डॉ0 आनन्द श्रीवास्तव, डॉ0 दर्शन बजाज, डॉ0 ज्योति बाजपेयी, डॉ0 अंकित कुमार एवं विभाग के सभी रेजिडेन्ट्स, पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेन्टर की टीम के कार्डियो-रेस्पिरेटरी फिजियोथेरेपिस्ट डॉ0 शिवम श्रीवास्तव, डाइटीशियन दिव्यानी गुप्ता, सोशल वर्कर कम काउंसलर सुकृति मिश्रा तथा डाटा मैनेजर पवन कुमार पाण्डेय उपस्थित रहे।

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