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होम्योपैथी रिसर्च इंस्टीट्यूट को नया भवन देकर आयुर्वेद शोध संस्थान का वादा कर गये केंद्रीय राज्यमंत्री

-यूपी के आयुष राज्य मंत्री डॉ दया शंकर मिश्र दयालु की इच्छा का पूरा सम्मान किया डॉ मुंजपारा महेन्द्रभाई कालूभाई ने

सेहत टाइम्स / धर्मेन्द्र सक्सेना

लखनऊ। केंद्रीय राज्यमंत्री आयुष एवं महिला व बाल विकास मंत्रालय डॉ मुंजपारा महेन्द्रभाई कालूभाई ने कहा है कि आयुष मंत्रालय सभी आयुष विधाओं की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, चिकित्सा, रिसर्च, विकास, प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य आयुष विधाओं को विश्वस्त तरीके से पहचान दिलाने के साथ राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी दिलाना है। आयुष प्रणालियां विशेषकर होम्योपैथी प्रत्येक व्यक्ति की विशेषता को पहचान कर उसके अनुसार उपचार को आधार बनाकर समग्र दृष्टिकोण के साथ बेहतर स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करती है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अगर आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव आता है तो निश्चित रूप से मंजूरी दी जायेगी।

डॉ मुंजपारा महेन्द्रभाई कालूभाई 9 जनवरी को यहां राजधानी लखनऊ में केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ की नई इमारत का उद्घाटन करने आये थे। उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि आयुष विधाओं का उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है। आज जो नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है उसकी बुनियाद होम्योपैथी से रखी गयी थी।

उन्होंने कहा कि आयुष पद्धतियों को जो बढ़ावा मिल रहा है, इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है जिन्होंने 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आयुष विभाग को पृथक मंत्रालय का दर्जा दिया था। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय के गठन के बाद केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के बुनियादी ढांचे के विकास में अनेक उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उन्होंने कहा कि आज जिस भवन का उद्घाटन हुआ है इसके लिए जमीन 2015 में खरीदी गयी थी तथा 2020 में इस भवन का निर्माण शुरू हुआ था, जो कि 2023 में पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि यह संस्थान अपनी मेहनत और समर्पण से एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करेगी। होम्योपैथी के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा कि कोविड काल में कोविड-19 से बचाने के लिए 34 लाख से ज्यादा आबादी को होम्योपैथिक दवा की खुराक बड़े पैमाने पर बांटी गयी थीं।

इस मौके पर विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री, आयुष, उत्तर प्रदेश सरकार दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, ने कहा कि इस शोध संस्थान को भेंट करने के लिए बहुत-बहुत हृदय से आभार।वर्तमान में हिंदुस्तान की सबसे ज्यादा डॉक्टर वाली होम्योपैथी का डॉक्टर आपको गली-मोहल्ला तक में मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि मुझको लगता है कि यह विधा शायद जर्मनी में जितनी नहीं फली-फूली होगी उससे कहीं ज्यादा इस भारत देश में उसको फलने फूलने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा​ कि एक और आयुष विधा ऋषि मुनियों के समय के आयुर्वेद को भी आज के दौर में संघर्ष करना पड़ रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होने के कारण आयुर्वेद में शोध की अनेक बाध्यताएं रखी थीं कि केवल यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर, लेक्चरर, रीडर ही भविष्य में यहां शोध कर सकता है। उन्होंने कहा कि मुझको लगता है कि आने वाला कल होम्योपैथी का है साथ ही आयुर्वेद का भी है, ऐसे में मंत्री जी अगर आप उत्तर प्रदेश को एक और रिसर्च इंस्टीट्यूट भेंट देंगे जो आयुर्वेद को समर्पित होगा तो निश्चित ही हमें और उत्तर प्रदेश आयुष मंत्रालय को बहुत खुशी होगी।

उत्तर क्षेत्र लखनऊ के विधायक डॉ. नीरज बोरा, जो ऐलोपैथिक चिकित्सक हैं, ने होम्योपैथिक को लेकर अपने व पूरे परिवार के निजी अनुभवों को साझा करते हुए होम्योपैथी की जमकर खुलेमन से तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि मेरा पूरा परिवार लखनऊ के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता से इलाज लेता है, और ऐसी-ऐसी बीमारियां ठीक हुई हैं जिनका इलाज आमतौर पर सर्जरी माना जाता है। योगेश शुक्ला, विधायक, बख्शी का तालाब, लखनऊ, ने कहा कि इस संस्थान का खुलना मेरे लिए बहुत गौरव की बात है कि मेरे क्षेत्र में यह खुला है। उन्होंने कहा कि बचपन से मैं हमेशा कहता था कि होम्योपैथिक की मीठी गोलियों से कुछ नहीं होता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ मैंने जो अहसास किया उससे यह कह सकता हूं कि यह गोलियां बहुत ही काम की हैं, साथ ही इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। उन्होंने कहा यह देश होम्योपैथी की ओर बढ़ रहा है, आयुष की ओर बढ़ रहा है।

इस मौके पर लीना जौहरी, प्रमुख सचिव, आयुष, उत्तर प्रदेश, सत्यजीत पॉल, उप-महानिदेशक, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. संगीता ए. दुग्गल, सलाहकार (होम्योपैथी), आयुष मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ अनिल खुराना, अध्यक्ष, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अध्यक्ष, डॉ. अरविंद वर्मा, निदेशक (होम्योपैथी), उत्तर प्रदेश, गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर रिसर्च के संस्थापक वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता, डॉ जेपी सिंह, पूर्व निदेशक डॉ बीएन सिंह के अतिरिक्त आयुष मंत्रालय के अधिकारी, केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी उपस्थित थे।

केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. सुभाष कौशिक ने इस अवसर की मेजबानी की और बताया कि केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ, आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एबीडीएचएम) का अनुपालन करेगा और इससे ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों को लाभ होगा। आयुष अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (ए-एचएमआईएस) के माध्यम से मरीजों को पंजीकृत और परामर्श दिया जायगा। इस नवनिर्मित परिसर में 50 बिस्तरों वाला आईपीडी, नवीनतम उच्च-स्तरीय तकनीकी उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाएं, बुनियादी इमेजिंग सुविधाएं, पुस्तकालय, फिजियोथेरेपी और योग सुविधाएं होंगी। डॉ लिपि पुष्पा, प्रभारी, केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान, ने उद्घाटन समारोह में धन्यवाद ज्ञापित किया।

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