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जिस पेड़ की हम शाखा हैं, आज उसको ही भूल रहे हैं हम…

-अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस के उपलक्ष्य में रोटरी क्लब ऑफ इलीट लखनऊ ने वृद्धों के बीच पहुंचकर आयोजित किया समारोह

सेहत टाइम्स

लखनऊ। रोटरी क्लब ऑफ इलीट लखनऊ ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस (1 अक्टूबर) के उपलक्ष्य में आज 4 अक्टूबर को यहां कुकरैल पिकनिक स्पॉट से कुर्सी रोड जाने वाले वूडलैंड रोड पर चूरामनपुरवा स्थित आस्था ओल्ड एज होम सेंटर पर रहने वाले सीनियर सिटीजन्स के बीच पहुंचकर कार्यक्रम का आयोजन किया। हालांकि उम्र की ढलान पर समय की गाड़ी में सवार अपनों से दूर ओल्ड एज होम में रह रहे इन बुजुर्गों के शून्यता के भाव वाले चेहरे पर मुस्कान ला पाना आसान नहीं होता है, लेकिन उनकी आंखों की संतुष्टि यह जरूर बयां करती है कि आस्था में देखभाल करने वाले स्टाफ के रूप में उनकी दैनिक गतिविधियों में मदद करने वाला कोई तो है। यहां रहने वालों में ऐसे ऐसे पूर्व अधिकारी भी हैं, जो बड़े-बड़े पदों को सुशोभित कर चुके हैं, लेकिन सत्य यही है कि व्यक्ति नहीं, समय बलवान होता है।

यहां आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने कार्यक्रम में शामिल हुए नर्सिंग कॉलेज के विद्यार्थियों को इसी समय का महत्व बताते हुए यही संदेश दिया कि अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों की सेवा अवश्य करिये, उनके साथ अच्छा व्यवहार करिये क्योंकि आपका किया हुआ व्यवहार ही आपके पास वापस लौटना है, और एक दिन आपको भी बुजुर्ग होना है।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और गणेश वंदना के साथ हुई। मुख्य अतिथि रिटायर्ड हाईकोर्ट जज जस्टिस अनिल कुमार के साथ ही विशिष्ट अतिथि रोटरी क्लब इलीट लखनऊ के चार्टर्ड सदस्य वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता, पूर्व सीएमओ डॉ एके शुक्ला, आस्था ओल्ड एज होम के संस्थापक डॉ अभिषेक शुक्ला, रोटरी क्लब इलीट लखनऊ के चार्टर्ड प्रेसीडेंट रो अजय सक्सेना, अध्यक्ष रो. पंकज अग्रवाल, निवर्तमान अध्यक्ष रो. अनुराग अग्रवाल, सदस्य रो. योगिता मिश्रा ने अपने-अपने सम्बोधनों में आज के समाज की अकेलेपन की इस सच्चाई पर अपने विचार व्यक्त किये।

मेरे लिए यह ‘माता-पिता सेवा दिवस’ : रिटा. जस्टिस अनिल कुमार 

रिटायर्ड जस्टिस अनिल कुमार ने कहा कि मेरा मानना है कि इसे वृद्ध दिवस न कहकर माता-पिता की सेवा का दिवस कहना चाहिये। उन्होंने कहा कि आज भी जब कुछ दिक्कत होती है तो मुंह से पहला शब्द ओह मां ही निकलता है। उन्होंने कहा कि यह बड़ी बिडम्बना है कि हम जिस पेड़ की एक शाखा थे, आज हम उस पेड़ को ही भूल रहे हैं। उन्होंने कहा पहले ऐसा नहीं था लेकिन अब विदेशी संस्कृति हम पर भी हावी हो गयी है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि बच्चे माता-पिता का सम्मान भूलते जा रहे, यह गलती बच्चों की नहीं हम बड़ों की है क्योंकि हमने उन्ह रामायण, गीता जैसे ग्रंथ के बारे में बताया ही नहीं। उन्होंने कहा उन्होंने नर्सिंग स्टूडेंट से आह्वान किया कि अब यह गलती आप लोग मत कीजियेगा, ध्यान रखिए जो हम बोएंगे वही काटेंगे। उन्होंने कहा कि मां बच्चे की पहली गुरु होती है, आस्था ओल्ड एज होम के संस्थापक डॉ अभिषेक शुक्ला को इस तरह के संस्कार देने में सबसे बड़ी भूमिका उनकी मां डॉ मंजू शुक्ला ने निभाई, जस्टिस अनिल कुमार ने इस मौके पर डॉ मंजू शुक्ला को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

तीन पीढि़यों के एकसाथ रहने वाले घर लुप्त हो रहे : डॉ गिरीश गुप्ता

विशिष्ट अतिथि डॉ गिरीश गुप्ता ने कहा कि भारत में बुजुर्गों को कभी भी अलग नहीं माना गया तीन-चार पीढ़ियां एक छत के नीचे रहती थीं, लेकिन जैसे इस परंपरा को किसी की नजर लग गई आज भारत में यह सच्चाई बन गयी है कि ओल्ड एज होम भी जरूरत बन गये हैं। उन्होंने कहा कि डॉ अभिषेक शुक्ला ने जीरियाट्रिक विधा के तहत ऐसे बुजुर्गों का खयाल किया और आस्था ओल्ड एज होम स्थापित किया। उन्होंने कहा कि मैं इसके लिए डॉ अभिषेक के माता-पिता को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होेंने डॉ अभिषेक को इस कार्य के लिए आगे बढ़ाया।

हमारे कर्मों का हिसाब तो हमें मिलेगा ही मिलेगा : रो योगिता मिश्रा

रो योगिता मिश्रा ने कहा कि हमें अपने बुजुर्गों की इज्जत करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि गीता में लिखा है कि जो कर्म हम बोते हैं वही हमें मिलता है। हमे अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि यदि हम अपने माता-पिता की सेवा करते हैं तो जब हम बुजुर्ग होंगे तो अगर हमारे बच्चे हमारी सेवा नहीं करेंगे तो ईश्वर किसी दूसरे को भेजेगा जो हमारी सेवा करेगा। उन्होंने कहा कि आप सब वचन दीजिये कि आप अपने माता-पिता के साथ गलत व्यवहार नहीं करेंगे।

इसलिए चाहिये जीरियाट्रिक मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक : डॉ अभिषेक शुक्ल

धन्यवाद भाषण में आस्था ओल्ड एज होम के संस्थापक डॉ अभिषेक शुक्ल ने सभी का आभार जताते हुए आस्था ओल्ड एज होम के बारे में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसी महत्वपूर्ण तथ्यों की तरफ ध्यानाकर्षित किया जो कि आंखे खोलने वाला है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गों की चिकित्सा के लिए जीरियाट्रिक (वृद्धावस्था) मेडिसिन विशेषज्ञ क्यों बेहतर है। उन्होंने कहा कि आज शिशु के पैदा होने से लेकर 60 वर्ष की आयु तक की अवस्था के लिए नियोनेटल, पीडियाट्रिक्स, एडोलसेंट, फिजीशियन तथा अलग-अलग रेागों के हिसाब से विशेषज्ञ उपलब्ध हैं, लेकिन 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए जीरियाट्रिक मेडिसिन के विशेषज्ञ गिने-चुने मिलेंगे, जबकि बुजुर्गों के इलाज के लिए उन्हें ‘ऑन दि होल’ देखने यानी उनकी सभी बीमारियों को एक ही चिकित्सक द्वारा देखे जाने की आवश्यकता होती है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एसजीपीजीआई जैसे सरकारी सुपरस्पेशियलिटी संस्थान में भी अगर एक बुजुर्ग तीन रोगों को दिखाने के लिए जाता है तो क्या यह संभव है कि एक दिन में वह तीनों डॉक्टरों को दिखा पाये, साथ ही तीन-तीन चिकित्सकों को अलग-अलग दिखाने के लिए मरीज को कितनी मेहनत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत अगर जीरियाट्रिक मेडिसिन विशेषज्ञ तीनों तकलीफों को अकेले देख पाने में सक्षम होता है। यही नहीं बुजुर्गों को उनकी सेहत और स्थिति के हिसाब से दवा का डोज निर्धारित करना पड़ता है, चूंकि ऐसा नहीं हो पा रहा है, यही वजह है कि आज बुजुर्ग बिना आवश्यकता अतिरिक्त दवा खा रहे हैं, और ब्लू ब्लैक सिन्ड्रोम की चपेट में आ रहे हैं। ज्ञात हो वृद्ध व्यक्ति में नीले-काले रंग की त्वचा या “ब्लू ब्लैक सिंड्रोम” के लक्षण दिखना अंतिम अवस्था (end-of-life) का संकेत हो सकता है, जहां शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे त्वचा ठंडी, गहरे नीले, बैंगनी या धब्बेदार रंग की हो जाती है। इस स्थिति का कारण रक्त परिसंचरण में कमी है, जो शरीर में महत्वपूर्ण संकेतों, जैसे हृदय गति और शरीर के तापमान में गिरावट से जुड़ा होता है। यह शुष्क गैंग्रीन जैसी स्थिति से भी जुड़ा हो सकता है, जो मधुमेह या रक्त वाहिका रोगों से पीड़ित वृद्ध लोगों में होता है। डॉ अभिषेक ने उपस्थित नर्सिंग स्टूडेंट्स को समझाते हुए कहा कि हमेशा ध्यान रखिये कि सिर्फ इन्स्ट्रूमेंट के आंकड़ों से रोगी की स्थिति का आकलन नहीं किया जा सकता है, इसके साथ क्लीनिक​ल दृष्टिकोण अपनाना भी जरूरी है।

इस मौके पर संचालन की जिम्मेदारी रोटरी क्लब इलीट लखनऊ के चार्टर्ड प्रेसीडेंट रो अजय सक्सेना ने निभायी उन्होंने माता-पिता की सेवा को गणेशजी की शंकर-पार्वती की पूजा करने से जोड़ते हुए माता-पिता की सेवा का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हालांकि आज का कार्यक्रम बुजुर्गों पर आधारित है लेकिन मैं नर्सिंग स्टूडेंट से कहना चाहता हूं कि आगामी 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जायेगा। यद्यपि भारत को पोलियोमुक्त घोषित कर दिया गया है, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में थोड़े-थोड़े अंतराल में मिल रहे पोलियो के केसेज को देखते हुए हमें भी सावधान और सतर्क रहने की आवश्यकता है, यदि कोई पोलियो के लक्षणों वाला बच्चा नजर में आये तो सूचना अवश्य दें। समारोह में डॉ एके शुक्ला, रो पंकज अग्रवाल ने भी बुजुर्गों की सेवा के महत्व को रेखांकित किया। इसके अतिरिक्त नृत्य, गायन के आइटम भी किशोर कलाकारों ने प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में उपस्थित कुछ वृद्धजनों से अपने अनुभव भी बताये।

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