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आउटसोर्सिंग कर्मियों की नियमावली तीन माह में तैयार करने के थे निर्देश, तीन साल में भी नहीं हो पायी तैयार

-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सरकार के प्रति जतायी नाराजगी, कहा, समयबद्ध निर्णयों में इतना विलम्ब क्यों ?

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कर्मचारियों को विनियमित करने तथा न्यूनतम वेतन, भत्ते देने व मृतक आश्रित नियमावली की सुविधाएं देने के लिए आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों की सेवानियमावली प्रख्यापन में शिथिलता बरतने पर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की है।

यह जानकारी देते हुए महामंत्री अतुल मिश्रा का कहना है कि राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांग पर तत्कालीन मुख्य सचिव डॉ अनूप चंद्र पांडे की अध्यक्षता में 9 अक्टूबर 2018 को हुई बैठक में सहमति व्यक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक को निर्देश दिया था कि विभागों में भारी संख्या में एजेंसी के माध्यम से रखे गए कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा, विनियमितीकरण, न्यूनतम वेतन व भत्ते देने के लिए सेवा नियमावली 3 माह में तैयार कर मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत कर प्रख्यापित कर लिया जाए क्योंकि ऐसे कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं मिलता तथा एजेंसी जब चाहती है, उन्हें हटा देती है। उनका भविष्य अंधकार में है।

परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत एवं महामंत्री अतुल मिश्रा ने अनुरोध किया था कि ऐसे नियुक्त कर्मियों को सेवा सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, भत्ते, बोनस, बीमा, पेंशन, मृतक आश्रित नियमावली का लाभ आदि सभी सुविधाएं अनुमन्य की जाएं तथा विभागों में उनकी वरिष्ठता सूची बनाई जाए।
अतुल मिश्रा ने बताया कि परिषद के अथक प्रयासों से कार्मिक विभाग द्वारा मसौदा तैयार किया गया जिसकी एक प्रति 13 फरवरी 2019 को तत्कालीन अपर मुख्य सचिव कार्मिक मुकुल सिंघल द्वारा परिषद को उपलब्ध कराई गई और परिषद का मत चाहा। जिसपर परिषद द्वारा समयक परीक्षणोपरांत दिनांक 22 फरवरी 2019 को कुछ सुविधाओं को जोड़ने का प्रस्ताव देते हुए पत्र प्रेषित कर दिया गया। उपरोक्त सुविधाएं देने का प्रावधान नियमावली में प्रस्तावित किया जाना है।

-आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सेवायोजन कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।

-सेवा प्रदाता को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

-ऐसे कर्मचारियों को एजेंसी सेवा से पृथक नहीं कर पाएगी। यदि किसी को अनुशासनात्मक कारणों से सेवा मुक्त करना होगा तो उसके लिए नियुक्ति अधिकारी की अध्यक्षता में समिति दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय करेगी।

-कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन/भत्ते अनुमन्य किए जाएं साथ ही वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाए

-सिलेक्शन कमेटी द्वारा यह सुनिश्चित किया जाए कि जिन संवर्गों की सेवा नियमावली प्रसख्यापित है उन संवर्गों के लिए आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति प्रदान करने में सेवा नियमावली में प्रदत्त अर्हता के अनुसार नियुक्ति की जाए।

-संतोषजनक कार्य करने पर कार्मिकों का नवीनीकरण सुनिश्चित किया जाए।

-नियमित नियुक्तियों में आउटसोर्सिंग कार्मिकों है तो स्टाफ नर्स व एएनएम की भांति वरीयता कोटा निर्धारित किया जाए

-वर्तमान समय में प्रायःयह देखा जा रहा है कि आउट सोर्स कार्मिकों को दिये जाने वाले पारिश्रमिक की धनराशि जितनी निश्चित की जाती है वास्तविक रूप से कार्मिकों को भुगतान उससे काफी कम किया जाता है चर्चा करने पर यह स्थिति सामने आती है कि कार्मिक की निर्धारित मजदूरी से ही ईपीएफ के दोनों शेयर ईएसआई का शेयर तथा सर्विस प्रोवाइडर का कमीशन काट लिया जाता है उदाहरण स्वरूप यदि सरकार किसी आउट सोर्स कार्मिकों के नाम पर रुपया 15000 प्रतिमाह सर्विस प्रोवाइडर को भुगतान करती है तो उस कार्मिक को वास्तविक रूप से 9 या 10000 रुपये ही मिलते हैं यह स्थिति उचित नहीं है क्योंकि प्रस्ताव में इसका उल्लेख किया गया है इसे स्पष्ट किया जाए तथा आउट सोर्स कार्मिक को वास्तविक रूप से भुगतान की जाने वाली धनराशि को ही उसके पारिश्रमिक के रूप में दर्शाया जाए।

-इन कर्मचारियों के नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएं तथा उनकी उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज होगी।

-ऐसे कर्मचारियों को साप्ताहिक तथा आकस्मिक अवकाश मेडिकल लीव छुट्टियां भी मिलेंगी।

-ऐसे कर्मचारियों के परिवार को सेवाकाल में मृत्यु पर मृतक आश्रित नियमावली के तहत सभी सुविधाएं देने का प्राविधान किया जाए।

-आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारी नियमित रिक्त पदों पर नहीं रखे जायेंगे उन पर नियमित नियुक्तियां की जाएंगी। इस पर आश्वस्त किया गया था कि आपका प्रस्ताव भी इसमे शामिल कर लिया जायेगा यह नियमावली लेबर एक्ट तथा वेतन आयोग की संस्तुतियों को दृष्टिगत रखते हुए तैयार की जा रही है जिसका अंतिम रूप बहुत जल्द तैयार करके मंत्रीपरिषद के समक्ष अनुमोदन उपरांत प्रस्तुत किया जाएगा अनुमोदन हो जाने पर नियमावली प्रक्षेपित कर दी जाएगी।

-श्री मिश्रा ने खेद प्रकट किया कि मुख्य सचिव द्वारा तीन महीने का समय इस नियमावली को प्रख्यापित कर शासनादेश करने के लिए निर्धारित किया था पर तीन वर्ष से अधिक व्यतीत हो जाने के उपरांत भी अभी तक निर्णय नहीं हो पाया जिससे कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक है। यदि सरकार व शासन कर्मचारियों के हितार्थ उनकी समस्याओं के निस्तारण में गति नही दी जाएगी तो निश्चित रूप से कर्मचारियों की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए एक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

-श्री मिश्रा ने बताया कि नियमावली न होने की वजह से एजेंसियों द्वारा कई वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों का रिनीवल करने में भारी मात्रा में धन उगाही की जा रही है, उनके वेतन का भुगतान समय से नहीं हो रहा।

-आज के परिवेश में नवयुवक कर्मियों के शोषण को रोकने व इस भीषण महंगाई में अपने परिवार का भरण पोषण व बच्चों की शिक्षा के लिए नियमावली का शीघ्र प्रख्यापन अतिआवश्यक है।

-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से मांग की है कि परिषद के साथ संपन्न हुई बैठकों में लिये गये निर्णयों की समीक्षा आवश्यक है कि समयबद्ध निर्णयों में इतना विलम्ब क्यों और इस नियमावली का प्रख्यापन अतिशीघ्र अवश्य करा दें जिससे कर्मचारियों के शोषण पर विराम लग सके और उनका भविष्य को अंधकारमय से बचाया जा सके।

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