-“सभी के लिए न्याय : समान नागरिक संहिता- महात्मा गांधी चिंतन की अंतर्धारा” विषय पर वर्चुअल संगोष्ठी आयोजित
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। समान नागरिक संहिता अनेक प्रकार की विसंगतियों और कुरीतियों को दूर करेगा, महात्मा गांधी का भी कहना था कि देश के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से न्याय, स्वतंत्रता, समानता व रोजगार के अवसर का अधिकार मिले, इसके लिए समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहिये। समय-समय पर उच्च न्यायालय दिल्ली व सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समान नागरिक संहिता के कानून बनाने के लिए भारत सरकार को निर्देश भी पारित किए गए हैं।
यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार ये विचार 23 जुलाई को गांधी स्वाध्याय के तत्वावधान में वर्चुअल रूप से आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं द्वारा व्यक्त किये गये। संगोष्ठी का विषय “सभी के लिए न्याय : समान नागरिक संहिता- महात्मा गांधी चिंतन की अंतर्धारा” था। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में सेवानिवृत्त प्रभागीय वन अधिकारी केडी सिंह के साथ ही सेवानिवृत्त आईएएस विनोद शंकर चौबे द्वारा संबोधित किया गया। इनके अतिरिक्त प्रमुख समाज सेविका नीलम भाकुनी, सेवानिवृत्त सीनियर बैंकर आशुतोष निगम व हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अर्जुन प्रकाश सिंह ने भी अपने विचार रखे।
वक्ताओं का कहना था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में निहित प्रावधानों के अंतर्गत समान नागरिक संहिता को प्रवृत्त करना केंद्र सरकार का मौलिक अधिकार के साथ-साथ राज धर्म भी है। इससे विवाह, तलाक, गोद लेना, उत्तराधिकार आदि से सम्बन्धित विसंगतियों व कुरीतियों का अंत होगा तथा समस्त नागरिकों के लिए इन विषयों पर एक समान नागरिक कानून प्राप्त हो सकेगा। इसके लागू होने से महिलाएं एक स्वतंत्र व गरिमामय जीवन यापन कर सकेंगी। कहा गया कि विश्व के सबसे समृद्ध राष्ट्र अमेरिका और मुस्लिम देशों जैसे तुर्की, इंडोनेशिया, मलेशिया आदि में पहले से ही यह लागू है तो भारत में क्यों नहीं?
वक्ताओं ने सरकार से अनुरोध किया कि देश और आम नागरिक हित में इसको अवश्य शीघ्रातिशीघ्र लागू करना चाहिए।