अरबों पाने वाले संस्थान का है यह हाल, कैसे बचे मरीज की जान
पद्माकर पाण्डेय ‘पद्म’
लखनऊ। दुर्घटना होने पर किसी भी तरह की गंभीर स्थिति में दूसरे जिलों से आने वाले मरीजों के लिए किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का ट्रॉमा सेंटर एक बड़ा सहारा है लेकिन यहां पर इमरजेंसी में होने वाली सर्जरी की स्थिति क्या है आइए हम आपको बताते हैं।
केस 1- मंगलवार को मारपीट में घायल होने के बेाद 40 वर्षीय नामून यादव को ट्रामा सेंटर लाया गया, पेट में आंत फट चुकी थी, तत्काल सर्जरी की आवश्यकता थी। मगर ट्रामा सर्जरी की मुख्य ओटी खाली न होने की वजह से बुधवार को सर्जरी हो सकी।
केस 2 – 50 वर्षीय मिठठ्न को चेस्ट इंजरी थी, सोमवार सुबह को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। आठ घंटे बाद सर्जरी संभव हो सकी।
केस 3- दुर्घटना में घायल 36 वर्षीय विश्वराज के पेट के अंदर तिल्ली फटने से हालत गंभीर थी, परिवारीजनों ने निजी अस्पताल से तुरन्त सर्जरी की सलाह देते हुए मंगलवार को ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया, ओटी खाली न मिलने की वजह से 13 घंटे बाद सर्जरी संपन्न हो सकी।
केस 4- हुसैनगंज निवासी 10 वर्षीय अहसान, सोमवार को साइकिल से स्कूल जा रहा था, मोटरसाइकिल ने टक्कर मार दी। ट्रामा में सीटी स्कैन हुआ पेट में खून बह रहा था, ओटी फुल होने की वजह से तुरन्त सर्जरी की सुविधा नही मिली, अंतत: डॉक्टरों ने दवा से ही बचाने की कोशिश आखिरकार बुधवार को राहत की सांस ली, कि बिना सर्जरी बच्चा ठीक होने लगा है।
उक्त केस, ट्रामा सेंटर की इमरजेंसी सेवाओं की हालत बयां करने के लिए काफी हैं। ट्रामा सेंटर में न्यूरो, जनरल सर्जरी, ट्रामा सर्जरी और आर्थोपैडिक की मिलाकर चार ओटी हैं, बावजूद इमरजेंसी में तुरन्त सर्जरी की सुविधा मिलने की गारंटी नहीं है।
अतिगंभीर मरीजों को मिलती है सर्जरी में प्राथमिकता
ट्रामा इंचार्ज प्रो. संदीप तिवारी का कहना है कि दुर्घटना ग्रस्त मरीजों की भीड़ का आलम है कि रोजाना करीब 30 से 40 मरीज एैसे गंभीर आते हैं जिन्हें जीवन रक्षा के लिए तुरन्त सर्जरी की आवश्यकता होती है। सबसे ज्यादा वेटिंग न्यूरो सर्जरी में होती है, इसके बाद ट्रामा सर्जरी में। क्योंकि एक सर्जरी में डेढ़ से तीन घंटे का समय लगता है और इतनी देर में आने वाले अन्य मरीज को इंतजार करना स्वाभाविक है। मरीज के जीवन रक्षा में इंजरी की गंभीरता को देखते हुए सर्जरी के लिए मरीज का चयन किया जाता है। अन्य को वेटिंग में डाला जाता है।
ट्रामा सर्जरी के प्रो.समीर मिश्रा का कहना है कि भीड़ की वजह से यहां पर सर्जरी के लिए 12 से 24 घंटे की वेटिंग चलती है, सर्जरी, ट्रामा सर्जरी व न्यूरो सर्जरी समेत सभी ओटी में 24 घंटे सातों दिन सर्जरी चलती है। चाहकर भी रोजाना ओटी की सफाई या sterlised नहीं कराया जा सकता है।
ट्रामा ओटी संचालन की गंभीरता को देखते हुए ओपीडी एवं अन्य इलेक्टिव सर्जरी सेवाएं प्रभावित हो रहीं हैं। क्योंकि सर्जन्स से लेकर एनेस्थेटिक डॉक्टरों की टीम को फुर्सत नहीं है। इसी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अनीता सिंह का कहना है कि भीड़ की अधिकता का आलम है कि हम लोग छोटी या माइनर सर्जरी विभागों में ही कर देते हैं, ताकि मरीजों के दबाव को कम किया जा सके।
बडे़ आपरेशन के लिए ओटी का इंतजार करना पड़ता है। बावजूद , पूर्व के मरीज की सर्जरी टालने पर आरोपों का सामना करना पड़ता है। परिवारीजनों के आक्रोश का सामना अस्पताल के अंदर से लेकर बाहर तक झेलना पड़ता है। आलम है कि ट्रामा सर्जरी की जरूरत को देखते हुए हम लोगों को निर्धारित समय से कई -कई गुना ज्यादा समय तक अस्पताल में काम करते रहना पड़ता है। ओपीडी, ट्रामा और शैक्षिक कार्य में सामन्जस्य बैठाने में मुश्किल होती है।