Thursday , October 12 2023

…तो उन वंचित शिशुओं को भी मिल सकेगा मां का दूध

मां तो मां है और उसका दूध किसी भी शिशु के लिए अमृत

गंभीर बीमारियों से ग्रस्त माताओं को मना होता है स्तनपान कराना

लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उत्तर प्रदेश में भी मिल्क बैंक बनाने की योजना है इसको जल्द ही अमलीजामा पहनाने की तैयारी है। बैंक खुलने पर ऐसे बच्चों को भी मां का अमृत रूपी दूध मिल सकेगा जो अभी तक इसके लिए तरसते हैं। ऐसे शिशु जिनकी मां होते हुए भी वे अपनी मां का दूध नहीं पी सकते हैं, क्योंकि माताएं किसी गंभीर रोग से पीडि़त हैं और उनको ऐसी दवाएं दी जा रही हैं जिनका असर माता के दूध पर भी आता है। ऐसे बच्चों के लिए सरकार का यह कदम वाकई मील का पत्थर साबित होगा। मां सिर्फ मां है और उसका दूध दूसरी मां के शिशु के लिए अमृत से कम नहीं है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उत्तर प्रदेश में मिल्क बैंक खोलने की तैयारी है। फिलहाल यह अभी संजय गाँधी पीजीआई और केजीएमयू में खोले जाने की बात हो रही है। बैंक खुलने से होने वाले लाभ के बारे में एसजीपीजीआई की डॉक्टर पियाली भट्टाचार्य ने बताया कि मिल्क बैंक खुलना एक बड़ा कदम होगा उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि माता को अगर कोई गंभीर बीमारी है तो शिशु को दूध पिलाने से रोका जाता है, डॉक्टर पियाली ने बताया कि जिन प्रसूताओं की कीमोथेरेपी हो रही हो, रेडियो आइसोटोप्स हो रहा हो, लीथियम दवाएं दी जा रही हों या एचआईवी से ग्रस्त हों, तो ऐसी माताओं को शिशु को अपना दूध पिलाने से मना कर दिया जाता है अन्यथा शिशु में संक्रमण होने का खतरा हो जाता है। चूंकि यह कुदरती प्रक्रिया है कि शिशु पैदा होगा तो माता के दूध भी आता है तो ऐसी स्थिति में माताओं के दूध को फेंकना पड़ता है तथा फिर दूध बनने से रोकने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
इस बारे में वीरांगना अवंतीबाई (डफरिन) महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर सविता भट्ट कहती हैं कि मिल्क बैंक खुलने पर इसका लाभ जन्म के तुरंत बाद बीमार होने या कम वजन होने के कारण सिक न्यूबोर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू ) में भर्ती होने वाले शिशुओं को होगा इसके साथ ही माताओं को भी स्तन में गांठ जैसी बीमारी से बचाया जा सकेगा।
डॉक्टर भट्ट बताती हैं कि उनके अस्पताल में 24 बेड की एसएनसीयू है जो हमेशा फुल रहती है ज्ञात हो कि वीरांगना अवंती बाई अस्पताल उत्तर प्रदेश का रेफरल सेंटर है यहाँ पर सभी जगहों से बीमार शिशुओं को रेफर किया जाता है यह पूछने पर कि अगर डफरिन अस्पताल में मिल्क बैंक बन जाये तो कैसा रहेगा तो तपाक से बोलीं कि बहुत अच्छा रहेगा।
यह पूछने पर कि अभी की क्या स्थिति हैं उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी एसएनसीयू में भर्ती होने वाले बच्चों को पाउडर वाला दूध दिया जाता है यदि शिशु की माता यहीं अस्पताल में है तो उनका दूध निकालकर उनके शिशु को पिलाया जाता है।
उन्होंने बताया कि जिन माताओं के शिशु की मृत्यु हो जाती है फिलहाल उन्हें दूध सुखाने की दवाएं दी जाती हैं ऐसे में बैंक बनने पर ऐसी माओं का दूध बैंक में रखा जा सकेगा जो किसे जरूरतमंद शिशु के काम आ सकेगा उन्होंने यह भी कहा कि दूध सुखाने की दवा देने में यह डर तो रहता है कि अगर सलाह के अनुसार दवा नहीं खायी तो स्तन में गांठ बनने का डर रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.