-राष्ट्रीय कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम के बावजूद उत्तर प्रदेश के आंकड़े चिंतित करने वाले

सेहत टाइम्स
लखनऊ। एफपीए इंडिया ने 25 नवंबर को लखनऊ के डालीगंज स्थित अपने क्लिनिक में साप्ताहिक स्वास्थ्य जांच शिविर का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम 16 दिवसीय जेंडर एक्टिविज़्म अभियान के तहत आयोजित किया गया। उद्घाटन दिवस पर ही 50 से अधिक महिलाओं की सर्वाइकल (गर्भाशय ग्रीवा) और स्तन कैंसर की जांच की गई। यह शिविर एफपीए इंडिया के राष्ट्रीय अभियान “रेस टू इरेज़ सर्वाइकल कैंसर” का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य 3,00,000 महिलाओं और किशोरियों तक स्क्रीनिंग और एचपीवी-रोकथाम संबंधी जानकारी पहुंचाना है।
यह जानकारी यहां जारी एक विज्ञप्ति में देते हुए बताया गया है कि विश्व स्तर पर हर 90 सेकंड में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से अपनी जान गंवा देती है। भारत में भी यह महिलाओं में सबसे आम कैंसरों में से एक है, विशेषकर निम्न और मध्यम-आय वाले समुदायों में, जहाँ इसका मुख्य कारण एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि राष्ट्रीय कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम मौजूद है, उत्तर प्रदेश की केवल 1.5% महिलाओं ने अब तक सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग कराई है, और स्तन कैंसर की जांच सिर्फ 0.4% महिलाओं ने कराई है। यह आँकड़े जागरूकता की कमी, सीमित सुविधाओं और आर्थिक बाधाओं को दर्शाते हैं। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में अत्यंत प्रभावी एचपीवी वैक्सीन निजी क्षेत्र में महंगी है और अभी तक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वर्ष 2025 में महिलाओं की अनुमानित जनसंख्या 1.69 मिलियन है, जो कुल आबादी का लगभग 47.3% है। इसके अलावा, शहर की लगभग 27% आबादी (7,72,807 लोग) झुग्गी-बस्तियों में रहती है। 2011 की स्लम जनगणना के अनुसार, इनमें से लगभग 1,75,061 महिलाएँ हैं।
ये आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि लखनऊ की बड़ी संख्या में महिलाएँ विशेषकर असंगठित, वंचित और झुग्गी-बस्ती क्षेत्रों में रहने वाली समय पर कैंसर जांच और उपचार तक पहुँचने में गंभीर चुनौतियों का सामना करती हैं।
उद्घाटन समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में प्रो. रूपेश कुमार (प्रमुख, शारीरिक शिक्षा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय), डॉ. मंजुला मेहता (वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट), डॉ. अल्का जैन (वरिष्ठ सलाहकार, स्त्री-रोग एवं प्रसूति), डॉ. नंद दासिला (सेवानिवृत्त सर्जन, केजीएमयू), साथ ही कई वरिष्ठ चिकित्सक एवं सामुदायिक नेता उपस्थित थे।
इस अवसर पर डॉ. अल्का जैन ने बताया कि नियमित स्क्रीनिंग के माध्यम से प्रारंभिक पहचान सर्वाइकल और स्तन कैंसर के खिलाफ हमारी सबसे मजबूत ढाल है। बहुत सी महिलाएँ तब तक मदद नहीं लेतीं जब तक लक्षण न दिखाई दें और तब तक अक्सर बहुत देर हो चुकी होती है। ऐसे सामुदायिक-केन्द्रित शिविर उन महिलाओं तक जीवनरक्षक सेवाएँ पहुँचाते हैं, जिन्हें अन्यथा यह अवसर नहीं मिल पाता।”
पिछले दो वर्षों में, “रेस टू इरेज़ सर्वाइकल कैंसर” अभियान ने 2,50,000 से अधिक लोगों तक जानकारी पहुँचाई है, 2,000+ एचपीवी टीकाकरण में सहायता की है, और 22,000+ स्क्रीनिंग सक्षम की हैं। मिशन 3,00,000 के माध्यम से, एफपीए इंडिया सामुदायिक पहुंच का विस्तार कर रहा है ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को जीवनरक्षक जांच और जागरूकता मिल सके।

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