-कोरोना काल में 52 अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों के किये गये कोविड प्रबंधन और स्वास्थ्य कर्मियों को दिये प्रशिक्षण से मिले अनुभव के आधार पर तैयार किया गया है प्रोग्राम
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में बहुप्रतीक्षित टेली आईसीयू जल्दी ही शुरू किया जायेगा। इस टेली आईसीयू प्रोग्राम से प्रदेश के छह पुराने मेडिकल कॉलेजों (गोरखपुर, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, झांसी, मेरठ) के आईसीयू को जोड़ा जायेगा, यानी इन मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू में भर्ती मरीजों के उपचार एवं प्रबंधन में टेली मेडिसिन के माध्यम से एसजीपीजीआई वाली गुणवत्तापरक सेवाएं मरीजों को हासिल होंगी। इन मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू में भर्ती मरीजों की निगरानी एसजीपीजीआई द्वारा की जायेगी। कोविड काल में एसजीपीजीआई ने टेली मेडिसिन के माध्यम से 52 अस्पतालों में भर्ती मरीजों के कोविड प्रबंधन में योगदान दिया था, उसी अनुभव के आधार पर हब और स्पोक मॉडल पर टेली आईसीयू प्रोग्राम तैयार किया गया है।
यह जानकारी देते हुए एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो आरके धीमन ने कहा है कि बताया कि कोविड महामारी के दौरान एसजीपीजीआई ने राज्य के 52 मेडिकल कॉलेजों में भर्ती मरीजों के परामर्श और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, साथ ही संस्थान ने कोविड काल में 50 हजार से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया। एसजीपीजीआई के अनुभवों के आधार पर हमने टेली आईसीयू कार्यक्रम तैयार किया।
उन्होंने बताया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एसजीपीजीआई और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। पावर ग्रिड ने इसके लिए 11.7 करोड़ रुपये दिये हैं।
प्रो धीमन के अनुसार हब को अत्यधिक आधुनिक तकनीक और समर्पित इंटरनेट द्वारा स्पोक से जोड़ा जाएगा। भर्ती आईसीयू के मरीजों के इलाज की निगरानी हब में भी की जाएगी। इन मेडिकल कॉलेजों की ऑन-साइट आईसीयू टीम और एसजीपीजीआई की ऑफ साइट आईसीयू टीम अपने ज्ञान का आदान-प्रदान करेगी और ऑडियो विजुअल तकनीक के माध्यम से रोगियों के 24 X7 वास्तविक समय के अपडेट प्राप्त करेगी।
प्रो धीमन के अनुसार यह प्रक्रिया मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू की गुणवत्ता में सुधार करने और उन्हें एसजीपीजीआई के बराबर लाने का एक प्रयास है ताकि मरीजों को उनके घर के नजदीक के मेडिकल कॉलेज में सर्वोत्तम आईसीयू देखभाल मिल सके। इससे बीमार रोगियों को एक सेटअप से दूसरे सेटअप में स्थानांतरित करने का जोखिम भी कम हो जाएगा।
प्रो धीमन के अनुसार निरंतर समन्वय से इन मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों के प्रदर्शन और कार्यशैली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा। निदेशक ने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम की सफलता के बाद इस प्रणाली को यूपी के 75 जिलों/मेडिकल कॉलेजों के आईसीयू में विस्तारित किया जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के नोडल अधिकारी प्रोफेसर आर के सिंह, प्रमुख, आपातकालीन चिकित्सा और नोडल अधिकारी (कोविड) एसजीपीजीआई हैं।