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समाप्त नहीं हुआ पुरानी पेंशन, 8वें वेतन आयोग व डीए मर्जर का इंतजार

-केंद्रीय बजट पर फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव की प्रतिक्रिया

सुनील यादव

सेहत टाइम्स

लखनऊ। भारत सरकार का अंतरिम बजट कर्मचारी हित के मामले में निराशाजनक रहा है। पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, कर्मचारी 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा का इंतजार कर रहे थे, वहीं 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के अनुरूप 50 प्रतिशत महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय की घोषणा का भी इंतजार था, लेकिन इंतजार खत्म नहीं हुआ।

आज केंद्रीय बजट पर प्राथमिक प्रतिक्रिया देते हुए फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि स्टैंडर्ड डिडक्शन 50000 की जगह 750000 किया जाना, इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव स्वागत योग्य है। तीन और कैंसर मेडिसिन को कस्टम ड्यूटी से मुक्त किया गया है, यह भी स्वागतयोग्य है।

श्री यादव ने कहा कि संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है। स्थाई रोजगार सृजन ना होने से तकनीकी योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है।
सरकार आमजन के लिए अनेक योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना जनहित में है।

ये पूरा देश मानता है कि आपदा काल में देश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था, देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन बजट में एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया। कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है। अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ न कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ न कुछ योजना लेकर आएगी।

देश में फार्मेसी क्षेत्र में अपर संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन फार्मेसिस्ट उपलब्ध हैं। देश में ड्रग रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार, चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी। देश में लगभग 37 लाख योग्य फार्मा तकनीकी योग्यता धारक हैं, आखिर इनकी तकनीकी क्षमता का उपयोग कहां होगा, यह विचारणीय है। बजट में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की घोषणा तो की गई है लेकिन वर्तमान ढांचा का उपयोग करते हुए।
व्यवहारिक रूप से वर्तमान ढांचा को मेडिकल कॉलेज बनाए जाने पर जनता को निःशुल्क औषधियां, निशुल्क इलाज और सुविधाएं जो पूर्व से उपलब्ध हो रहीं थीं, उसके बारे में कोई योजना नहीं होती, वहीं कर्मचारियों के पदों में बड़ी विषमता पैदा हो जाती है। बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल है।

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