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संजय गांधी पीजीआई में मरीजों के इलाज में नये अध्‍याय की शुरुआत

-एसटीपीआई-मेडिकल टेक्नोलॉजी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन

-STPI Medtech CoE में बनेंगे इलाज की जरूरत के अनुसार उपकरण

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में मरीजों के उपचार के दृष्टिकोण से आज एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है। अब मरीज की जरूरत के हिसाब से इलाज में प्रयोग होने वाले उपकरणों के लिए संस्‍थान को किसी कम्‍पनी से सप्‍लाई का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सामान्‍य से लेकर अत्‍याधुनिक व इनोवेटिव उपकरणों का निर्माण संस्‍थान में ही हो स‍केगा,  इसकी शुरुआत आज से हो गयी है।

संस्थान में सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के द्वारा संस्थान में स्थापित किए गए एसटीपीआई मेडिकल टेक्नोलॉजी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस STPI Medtech CoE  की आज से शुरुआत हो गई है इसका उद्घाटन भारत सरकार के स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप एंड इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एंड इनफॉरमेशन टेक्‍नोलॉजी के राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने की। इस मौके पर उनके साथ उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री बृजेश पाठक  और स्वाति सिंह के साथ ही उत्‍तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्‍य सचिव आईटी एंड इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विभाग अरविन्‍द कुमार भी उपस्थित रहे।

इस मौके पर संस्थान के निदेशक डॉक्टर आरके धीमन ने अपने संबोधन में केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश सरकार का आभार जताया इसके साथ ही एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री और आंध्रप्रदेश मेडटेक जोन का भी इस उद्यम में खास योगदान देने के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस सेटअप के शुरू होने से मरीजों के अनुरूप इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की चिकित्सकों की लंबे समय से महसूस की जा रही जरूरत को पूरा किया गया है ताकि मरीज की देखभाल में टेक्नोलॉजी का बेहतर और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके।

निदेशक ने कहा कि संस्थान नए-नए विचारों को उत्पन्न करने की संस्कृति का समर्थन करता है और इसी के तहत नयी-नयी सोच से उत्‍पन्‍न आइडियाज का मरीजों के उपचार में लाभ देता रहा है। उन्होंने कहा कि परिसर में मेडटेक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होने से  चिकित्सकों को रोगी के अनुकूल उपकरणों को विकसित करने और रोगी की देखभाल में इसका त्वरित लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के दौरान नये-नये तथा आमतौर पर कम प्रयोग होने वाले उपकरणों का कितना महत्व है, यह हम सब ने जाना है। उन्होंने कहा कि जैसे जब कोविड-19 महामारी आयी तो अचानक प्रत्येक मरीज में पल्स ऑक्सीमीटर जैसे सामान्य उपकरणों से लेकर आईसीयू में उपयोग किए जाने वाले कई उपकरणों की आवश्यकता महसूस हुई थी, ऐसे में जब इस तरह के सेंटर स्‍थापित रहते हैं तो उपकरणों का उत्पादन शीघ्र और मरीज के अनुसार कराना आसान होता है यही इस सेंटर की स्थापना का उद्देश्य है।

उदाहरण देकर समझाया

मरीज के अनुसार उपकरणों के निर्माण पर बात करते हुए निदेशक ने ‘सेहत टाइम्‍स’ को बताया कि उदाहरण स्‍वरूप आपको बताते हैं कि कोविड के दौरान मरीज को वेंटीलेटर पर ले जाने में उसके ट्रैकिया में एक ट्यूब डालने की जरूरत पड़ती है, यह ट्यूब मुंह से डाला जाता है। उन्‍होंने बताया कि चूंकि कोविड बेहद संक्रमित रोग होने के कारण जो भी चिकित्‍सक इस ट्यूब को डालता है, उसे मरीज के मुंह के सम्‍पर्क में काफी समय के लिए आना पड़ता है, जिससे डॉक्‍टर को संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। डॉ धीमन ने बताया कि ऐसे में अगर इस प्रक्रिया को करने के लिए लेरिंगोस्‍कोप डिवाइस बनाकर इसे स्‍क्रीन पर देखकर डाला जाये तो संक्रमण के फैलाव की आशंका कम रहेगी। उन्‍होंने बताया कि इसी प्रकार के नये-नये तथा जरूरत के अनुसार उपकरणों का निर्माण कम समय में उपलब्‍ध हो सकेगा।   

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