Thursday , October 12 2023

सेप्‍टीसीमिया से बचने और शीघ्र पहचानने पर कार्य करने की आवश्‍यकता

-विश्‍व सेप्‍टीसीमिया दिवस पर केजीएमयू के पल्‍मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग में आयोजित किया गया सेप्सिस अपडेट-2023

-केजीएमयू के साथ ही एसजीपीजीआई और लोहिया आयुर्विज्ञान संस्‍थान के विशेषज्ञों ने दिया सेप्सिस को लेकर अपना वक्‍तव्‍य

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। बीमारियों से हो रही मौतों में सेप्‍टीसीमिया एक बड़ा कारण पाया जा रहा है। सेप्टीसीमिया यानी खून में संक्रमण की स्थिति में अगर समय रहते काबू नहीं पाया जाता है तो शरीर के विभिन्न अंगों में नुकसान होता है जिससे ब्लड प्रेशर में कमी, अंगों का निष्क्रिय होना यानी मल्टी ऑर्गन फेल्‍योर की स्थिति बन जाती है जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है। सेप्‍टीसीमिया की चुनौती का सामना करने के लिए दो बिन्‍दुओं पर कार्य करना है, पहला यह कि इससे बचाव किया जाये तथा दूसरा इसे शुरुआती स्‍तर पर पहचाना जाये जिससे इसके गंभीर होने से पूर्व ही इसका उपचार किया जा सके। सेप्सिस होने के कारणों में  एंटीबायोटिक का अंधाधुंध सेवन बड़ी वजह सामने आयी है, छोटी-छोटी बीमारियों में मरीज अपने मन से या अप्रशिक्षित व्‍यक्ति की सलाह से अथवा दवा दुकानदार की सलाह से एंटीबायोटिक्‍स खा रहा है, जिससे ड्रग रेजिस्‍टेंस की स्थिति बन रही है, यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक समय ऐसा आयेगा जब शरीर के अंदर संक्रमण होने की स्थिति में उसे समाप्‍त करने के लिए कोई एंटीबायटिक प्रभावी नहीं होगी, यानी सभी ऑर्गन फेल्‍योर और फि‍र दुखद मौत।

ये वो लब्‍बोलुआब है जो आज विश्‍व सेप्‍टीसीमिया दिवस (13 सितम्‍बर) पर केजीएमयू के पल्‍मोनरी एवं क्रिटिकल केयर विभाग में आयोजित  सेप्सिस अपडेट 2023 में विभिन्‍न संस्‍थानों के विशेषज्ञों ने अपनी प्रस्‍तुति के दौरान रखा। कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में केजीएमयू की कुलपति प्रो सोनिया नित्‍यानंद ने हिस्‍सा लिया, जबकि विशिष्‍ट अतिथियों के रूप में प्रति कुलपति प्रो विनीत शर्मा, डीन एकेडमिक प्रो अमिता जैन ने भाग लिया।

शीघ्र पहचान और समय पर इलाज आवश्‍यक : प्रो सोनिया नित्‍यानंद

प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने कहा कि सेप्सिस एक गंभीर चुनौती बनी हुई है जो सालाना करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है इसके प्रबंधन में इसकी शीघ्र पहचान और समय पर हस्तक्षेप करना बहुत आवश्यक है प्रोफेसर सोनिया ने कहा कि सेप्टीसीमिया से निपटने के लिए निरंतर अनुसंधान, शिक्षा और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता है जिससे इससे बचने एवं इस पर काबू पाने में सफलता हासिल की जा सके।

कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि सेप्सिस के प्रबंधन में शीघ्र पहचान और समय पर हस्तक्षेप करना चाहिए उन्होंने कहा की सेप्सिस किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है, उन्‍होंने कहा कि ऐसा देखा गया है कि इससे सर्वाधिक प्रभावित 5 वर्ष तक की आयु के बच्चे हो रहे हैं।

सिंड्रोमिक परीक्षण पर दिया जोर

केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड और डीन एकेडमिक्स डॉ अमिता जैन ने अपने प्रेजेंटेशन में सिंड्रोमिक परीक्षण पर प्रकाश डाला उन्होंने संक्रामक रोग निदान के क्षेत्र में सिंड्रोमिक परीक्षण की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह टेस्ट एक साथ कई रोग जनकों और एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीवों का पता लगाने में सक्षम बनाता है जो उपचार के निर्णय के मार्गदर्शन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण त्वरित और सटीक परिणाम प्रदान करता है।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एक और प्रोफेसर डॉ विमला वेंकटेश ने अपने वक्तव्य में एंटीबायोटिक प्रबंधन पर जानकारी देते हुए इस बात पर जोर दिया कि‍ एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रम इन जीवन रक्षक दवाओं की प्रभावशीलता को बनाए रखने और एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीवों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है, जो कि सेप्सिस के मामले में बढ़ती चिंता का विषय है।

इसी प्रकार यूरोलॉजी के प्रोफेसर विश्वजीत सिंह ने मूत्र मार्ग के संक्रमण यानी यूटीआई और यूरोसेप्सिस के दुष्प्रभाव पर जानकारी दी। उन्होंने इसके शीघ्र निदान और उचित प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। संजय गांधी पीजीआई के इमरजेंसी विभाग के मुखिया डॉक्टर प्रोफेसर आरके सिंह ने सेप्सिस प्रबंधन में बायोमार्कर पर अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बायोमार्कर से हम लोग प्रारंभिक स्टेज पर सेप्सिस का पता लगा सकते हैं।

एंटीबायोटिक का विवेकपूर्ण उपयोग जरूरी : प्रो वेद प्रकाश

कार्यक्रम के आयोजन सचिव तथा केजीएमयू के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर वेद प्रकाश ने आईसीयू में फंगस संक्रमण पर जानकारी देते हुए एंटीबायोटिक प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि फंगस संक्रमण जैसी उभरती चुनौतियों के खिलाफ लड़ाई में हमारे सीमित संसाधनों को संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार एंटीबायोटिक का उपयोग सबसे आगे है। डॉ वेद प्रकाश ने इस बात पर जोर दिया कि आईसीयू में जहां अक्सर कमजोर रोगियों का इलाज किया जाता है, वहां विवेकपूर्ण एंटीबायोटिक का उपयोग न केवल एंटीबायोटिक प्रतिरोध का मुकाबला करता है, बल्कि फंगस सुपर इन्फेक्शन के जोखिम को भी कम करता है। उन्‍होंने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए आए हुए अतिथि वक्ताओं एवं अन्य लोगों का आभार जताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.