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लंबे समय तक का तनाव आपको बना सकता है डिप्रेशन का शिकार

योगा, ध्यान, टहलना और शारीरिक श्रम करने से दूर होता है तनाव

लखनऊ। लंबे समय तक रहने वाला तनाव व्यक्ति के अंदर अवसाद पैदा कर देता है इसलिए जरूरी है कि तनाव से दूर से दूर रहा जाए। तनाव के प्रबंधन पर हमे ध्यान देना होगा कि हम किस प्रकार की जीवन शैली को अपनाएं जिससे हम कम से कम तनाव में रहें। तनाव दूर करने के लिए हमे योगा, ध्यान, टहलना और शारीरिक श्रम करना चाहिए। इससे हमारे दिमाग मे अच्छे हार्मोन्स का स्राव होता है जो हमें तनाव से मुक्त करता है।

यह बात शनिवार को NIMHANS बेंगलूरू के  न्यूरोफिजियोलाॅजी विभाग के प्रो. डा0 बीएस शंकरनारायण राव ने कही। प्रो.राव किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के फिजियोलाॅजी विभाग एवं फिजियोलाॅजी सोसाइटी के तत्वावधान में 107वां वार्षिक स्थापना दिवस में भाग लेने आये थे। उन्होंने प्रो0 आर0सी0 शुक्ला स्मारक व्याख्यान  “The Ever Changing Brain and New Challenges in Treating Neurological and Psychiatric Disorders” विषय पर सरल एवं सारगर्भित शब्दों में प्रस्तुत किया। प्रो0 राव ने बताया कि शरीर के विभिन्न अंगों से अथवा विभिन्न पर्यावरण कारकों आदि से प्राप्त सूचना मानव दिमाग के विभिन्न हिस्सों में एकत्रित होती है। हम जो कुछ भी सीखते और देखते हैं वो हमारे दिमाग के उपर निर्भर करता है। किन्तु कुछ न्यूरोलाॅजिकल या ब्रेन डिसआर्डर की वजह से हमारे दिमाग की कार्य क्षमता प्रभावित होती है और हम अपने विभिन्न प्रकार के  कार्यों को उचित प्रकार से नहीं कर पाते हैं।

उन्होंने बताया कि ब्रेन डिसआर्डर दो प्रकार के होते है न्यूरोलाॅजिकल एवं मानसिक। जिन्हें प्रारम्भिक अवस्था में पहचान पाना कठिन होता है। ज्यादातर ब्रेन डिसआर्डर तनाव से सम्बंधित होते है। जब हम लम्बे वक्त तक तनाव में रहते है और उसे दूर करने का प्रयास नहीं करते या किसी वजह से हम तनाव से बाहर नहीं निकल पाते हैं तो धीरे-धीरे हम अवसाद से ग्रसित हो जाते है। तनाव की एक अहम वजह आज के परिदृष्य में में स्मार्टफोन और सोशल साईट्स एवं विभिन्न सोशल ऐप्स भी हैं। इनकी वजह  से हम पूरे दिन इंटरनेट से जुड़े रहते हैं तथा जो व्यर्थ की जानकारी हमे नहीं चाहिए होती है, वो भी हमे प्राप्त होती रहती है।

प्रोफेसर राव ने कहा  कि आज कल ज्यादातर युवा सोशल साइट्स पर ज्यादा क्रियाशील रहते हैं जिसकी वजह से वह अपने परिवार से दूर होते जाते हैं तथा धीरे-धीरे तनाव से ग्रसित होते जाते है। आज हमारे समाज में लड़के-लड़कियों की जनन उम्र भी समय से पहले आती जा रही है। इसका कारण भी इन अत्याधुनिक चीजों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल है। आज कल बच्चे इंटरनेट पर ज्यादा से ज्यादा देर तक रहते हैं जिससे वे विभिन्न प्रकार की सेक्सुअल जानकारी एकत्रित करते हैं तथा विभिन्न प्रकार की ऐसी साइटों को देखते हैं जो सेक्स को बढ़ावा देने वाली होती हैं। इसकी वजह से उनके दिमाग द्वारा उन हार्मोन्स का स्राव होने लगता है जो उनकी जनन क्षमता को समय से पहले विकसित करने लगता है। बच्चों के दिमाग का विकास 18 से 21 वर्ष तक होता रहता है तथा इस अवस्था तक वो सही निर्णय करने में असमर्थ होते हैं ऐसे में उन्हे अपने अभिभावकों का ज्यादा से ज्यादा सहयोग चाहिए।

हमे 8 साल तक के बच्चों को मोबाइल फोन नही देना चाहिए इससे उनके दिमाग के विकास में गतिरोध उत्पन्न होता है। इस प्रकार हम देखें तो विभिन्न शारीरिक बीमारियों और सामाजिक दोषों का कारण तनाव है। दिमाग मे विभिन्न प्रकार के हार्मोन्स के कम स्राव होने से भी लोगों को पैरालिसिस का अटैक हो सकता है तथा यदि किसी केमिकल का स्राव ज्यादा होता है तो भी उसके दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बढ़ जाती है, जिससे वो व्यक्ति उत्तेजना का शिकार हो सकता है। अवसाद से ग्रसित व्यक्ति को ठीक करने में दवा से ज्यादा उसके आस पास का माहौल एवं पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार हम देखते है कि हमे तनाव का प्रबंधन सही ढंग से करना होगा ताकि हम तनाव मुक्त रह सकें और विभिन्न  प्रकार की मानसिक परेशानियों के साथ ही साथ शारीरिक परेशानियों से भी बच सकें।

इस अवसर पर फिजियोलाॅजी विभाग की विभागाध्यक्षा प्रो0 सुनीता तिवारी द्वारा समारोह में आये सभी अतिथिगण, गणमान्य लोगों का स्वागत किया गया तथा विभाग की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत की। प्रो0 तिवारी ने बताया कि विभाग में रेजिडेण्ट चिकित्सकों की संख्या 4 से बढ़कर अब 18 हो गई है।

उपरोक्त कार्यक्रम की अध्यक्षता  कुलपति प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट द्वारा की गई। इस अवसर पर कुलपति द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित रहकर छात्रों एवं शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया।

समारोह के दौरान एम0बी0बी0एस0, बी0डी0एस0 2017 बैच के छात्रों को बसन्तोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, वार्षिक सेमिनार प्रजेन्टेशन एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के लिये पुरस्कार दिये गये इसके साथ ही इस वर्ष विभाग में पहली बार प्रो0 एस0के0 सिंह सर्वश्रेष्ठ पी0जी0 छात्र पुरस्कार की शुरुआत की गई। इस वर्ष यह पुरस्कार डा0 अरविन्द कुमार पाल को प्राप्त हुआ जो वर्ष 2017 में पी0जी0 परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ अंकों से उत्तीर्ण हुए एवं जिनका अपने तीन वर्ष के कार्यकाल में योगदान सर्वश्रेष्ठ रहा। विभाग के पूर्व शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर प्रो0 नर सिंह वर्मा, ट्रेजरार, फिजियोलाॅजी सोसाइटी एवं आचार्य फिजियोलाॅजी विभाग द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में प्रो0 मधुमति गोयल, अधिष्ठाता, चिकित्सा संकाय, प्रो0 अरुण चतुर्वेदी, विभागाध्यक्ष, अंकोसर्जरी विभाग, प्रो0 मनीष बाजपेई, प्रो0 संदीप भट्टाचार्य, प्रो0 श्रद्धा सिंह, प्रो0 वीना गुप्ता सहित फिजियोलाॅजी विभाग के कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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