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जानिए, क्यों बेहद महत्वपूर्ण हैं बच्चे के जीवन के शुरुआती 8 वर्ष

-पहली बार मनाया गया संयुक्त राष्ट्र से घोषित 11 जून अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस

-नेहरू वाटिका में स्वप्न फाउंडेशन एवं यूनिसेफ द्वारा हुआ बच्चों के लिए खेल का आयोजन

सेहत टाइम्स

लखनऊ। खेल-कूद हर बच्चे एवं बच्ची का अधिकार है। अपनी क्षमता को पूर्ण रूप से विकसित करने के लिए प्रत्येक बच्चे एवं बच्ची को खेल का अवसर एवं सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए। इसी संदेश के साथ संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2024 से 11 जून को अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस घोषित किया गया है। इस दिन का उद्देश्य सभी वयस्कों से यह आग्रह करना है कि वे बच्चों के खेल के अधिकार की सुरक्षा के लिए उन्हें खेलने के लिए समय, स्थान एवं माहौल दिलाने में सहयोग करें।

प्रथम अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस पर लखनऊ में अलीगंज स्थित नेहरू वाटिका में स्वप्न फाउंडेशन द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से खेल का आयोजन किया गया जिसमें अलीगंज, विकास नगर एवं गोमती नगर की बस्तियों में रहने वाले बच्चों ने भाग लिया एवं बहुत से पारंपरिक खेल खेले जिसमें खोखो, कबड्डी, टीपी टीपी टॉप, पकड़म पकड़ाई आदि शामिल थे।

बच्चों के जीवन के शुरुआती आठ वर्षों में खेल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के प्रोग्राम मैनेजर डॉ अमित मेहरोत्रा ने कहा, “बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्षों में उसके मस्तिष्क में प्रति सेकंड 10 लाख से अधिक न्युरल कनेक्शन बनते हैं। यह गति जीवन में कभी दोबारा नहीं दोहराई जाती। इस दृष्टि से यदि इन वर्षों में बच्चों के साथ समय बिताया जाए और उनके साथ खेला जाए, तो उनके विकास को गति मिलती हैं।“

डॉ मेहरोत्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खेल खेल में बच्चों को सीखने के लिए आंगनवाड़ी एवं स्कूल के स्तर पर सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं एवं इन प्रयासों में अभिभावकों को शामिल करने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।

यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा, “खेल सिर्फ मनोरंजन ही नहीं है, यह बच्चों के विकास का आधार भी है। खेल से बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है, वे सामाजिक बनते हैं और उन्हें भावनात्मक एवं शारीरिक रूप से विकसित होने के भी अवसर मिलते हैं। खेल के माध्यम से, बच्चे एक दूसरे से जुडते हैं, नेतृत्व कौशल विकसित करते हैं, चुनौतियों का सामना करना सीखते हैं और साथ ही डर से लड़ना भी सीखते हैं।”

उन्होंने कहा कि आज के दौर में जहां बच्चे मोबाइल फोन एवं इंटरनेट पर अधिक समय व्यतीत करते हैं, वहाँ आउटडोर खेलों को बढ़ावा देना बच्चों को अच्छी सेहत देने के प्रति भी एक कदम है।

इस अवसर पर बच्चों ने खेल के विषय में अपने विचार भी साझा किए। इन्हीं बच्चों में एक बच्ची शालिनी कहती है कि “खेल कूद से हमे ऊर्जा मिलती है और नए दोस्त बनते हैं। खेल हमारे लिए मनोरंजन का साधन है एवं हमे चुस्त दुरुस्त रखने में सहायक हैं।

स्वप्न फाउंडेशन के संस्थापक अच्युत त्रिपाठी ने कहा, “स्वप्न फाउंडेशन के वालन्टियर बस्तियों में बच्चों के साथ खेलते हैं और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह कार्य निरंतर किया जाता है।“ जून को अंतर्राष्ट्रीय परवरिश(पेरन्टींग) माह के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसे में बच्चों को खेल कूद के लिए उचित वातावरण देने में अभिभावकों के सहयोग पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। यदि अभिभावक बच्चों के साथ खेलते हैं तो उनके एवं बच्चे के बीच एक बहतर संबंध स्थापित होता है और बच्चे अपनी बात खुल अभिव्यक्त करने में सक्षम बनते हैं और उनका आत्मविश्वास बढ़त है।

नेहरू वाटिका में आयोजित खेल के दौरान स्वप्न फाउंडेशन से अच्युत, शिवांगी उपाध्याय, आयुषी तिवारी, सक्षम श्रीवास्तव, नबील अशरफ, पावनी अवस्थी, आस्था चौरसिया, दीपक सिंह उपस्थित रहे।

राष्ट्रीय स्तर पर, यूनिसेफ, एकस्टेप फाउंडेशन की बचपन मनाओ, बढ़ते जाओ (बीएमबीजे) पहल के सहयोग से, 11 जून को पूरे देश में शाम 5- 6 बजे तक ‘आवर ऑफ प्ले’ भी मनाया गया जिसमें बच्चों द्वारा संचालित खेल एवं गतिविधियों में वयस्कों ने प्रतिभाग किया ।

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