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केजीएमयू के कैंसर सर्जन ने देश में पहली बार किया ऐसा जटिल ऑपरेशन

-सिर्फ एक चार सेंटीमीटर के छेद से कर दिया कैंसरग्रस्‍त आहार नली का ऑपरेशन

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के कैंसर सर्जरी विभाग में 60 वर्षीय वृद्ध की आहार नली के कैंसर का मात्र एक छेद से ऑपरेशन किया गया है। सामान्‍यत: इस तरह के ऑपरेशन करने में चार से पांच छेद किये जाते हैं या फि‍र छाती को 15 से 20 सेंटीमीटर का चीरा लगा कर खोला जाता है। देश में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है। यह ऑपरेशन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिव राजन द्वारा किया गया। इस जटिल सफल सर्जरी को  लेकर केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने डॉ शिवराजन की भूरि‍-भूरि‍ प्रशंसा की एवं उन्हें एवं टीम को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं हैं।

यह जानकारी देते हुए केजीएमयू के मीडिया प्रवक्‍ता डॉ सुधीर सिंह द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि अयोध्या के मंदिर के पुजारी को कुछ समय से ठोस आहार लेने में हल्की दिक्कत होती थी, परंतु कुछ दिनों बाद जब तरल आहार लेने में भी कठिनाई होने लगी तब चिकित्सकीय जांच के बाद पता लगा कि उन्‍हें आहार नली (esophagus) का कैंसर हैl  चूंकि बीमारी स्टेज थ्री में थी, इसलिए कीमोथेरेपी वा रेडियोथेरेपी द्वारा पहले गांठ को छोटा किया गया। 

इसके बाद मरीज़ को अक्तूबर माह में ऑपरेशन के लिए केजीएमयू में कैंसर सर्जरी विभाग में रेफर किया गया।  इस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिव राजन जो कि जटिल आपरेशन पहले भी कर चुके हैं, ने मरीज की सभी रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें बताया कि इसका ऑपरेशन दूरबीन द्वारा किया जाना संभव है। 

विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार तथा पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अरुण चतुर्वेदी के साथ ऑपरेशन की जटिलताओं की चर्चा करने के बाद डॉ शिव राजन ने इस ऑपरेशन का निर्णय लिया। ज्ञात हो सामान्यत: इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 सेंटीमीटर  के चीरे से खोला जाता है या दूरबीन के द्वारा छाती में 4 से 5 छेद किए जाते हैं जिसमें छाती में गैस भरी जाती है और आहार नली निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 cm बड़ा किया जाता है। लेकिन देश में पहली बार डॉ शिव राजन ने केवल 4 सेंटीमीटर के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर दिया। इसमें न ही गैस का प्रयोग किया एवं न ही छेद को बड़ा किया गया। इस ऑपरेशन में 6 घंटे लगे और पेट से खाने के रास्ते की ट्यूब बना कर दूरबीन द्वारा ही छाती में जोड़ा गया। इस ऑपरेशन में डॉ शिव राजन के साथ निश्चेतन विभाग के प्रो. डॉ अजय चौधरी, डॉ रोहित, डॉ अंकुर चौहान तथा डॉ शाश्वत तिवारी रहे, सिस्टर कृष्णा एवं स्टाफ अमित भी शामिल रहे।

अब मरीज पूर्णतया: मुंह से खाने लगा है और दसवें दिन अस्पताल से छुट्टी होकर अपने घर चला गया है। दूरबीन द्वारा छाती में एक छेद कर के गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़कर ऑपरेशन भी पहली बार डॉ शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था।

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