-लखनऊ में 1090 चौराहे और बुलंदशहर में कल्याण सिंह मेडिकल कॉलेज के गेट पर निकाला गया कैंडिल मार्च
-गंभीर आरोपों के ‘सच’ को जानने के लिए गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के चयन पर उठाये गये सवाल


सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में पिछले दिनों हिन्दू महिला रेजीडेंट डॉक्टर द्वारा आत्महत्या के प्रयास के बाद उजागर हुए लव लखनऊ में केजीएमयू लव जिहाद मामले में विरोध के स्वर तेज होते जा रहे हैं, राजधानी लखनऊ से उठी विरोध की आवाज अब दूसरे जिलों में भी पहुंच रही है। शनिवार को लखनऊ और बुलंदशहर दोनों ही जगह आम नागरिक एवं चिकित्सक के बैनर तले कैंडिल मार्च निकालकर नारेबाजी के साथ विरोध प्रदर्शन किया गया। बुलंदशहर में कल्याण सिंह मेडिकल कॉलेज के गेट पर इस कैंडिल मार्च में जनपद बुलंदशहर के चिकित्सक एवं आम जागरूक लोगों ने सहभाग किया। जबकि लखनऊ में गोमती नगर स्थित डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल द्वार के निकट 1090 चौराहे पर निकाला गया। इस मार्च में विभिन्न अस्पताल के चिकित्सकों, मेडिकल छात्रों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एसिड सरवाइवर्स ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन के दौरान आरोपी डॉक्टर रमीज और केजीएमयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की गयी। प्रदर्शनकारियों ने साफ तौर पर केजीएमयू प्रशासन द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों के चुनाव पर असहमति जतायी है।


नेशनल मेडिको ऑर्गेनाइजेशन के डॉ कपिल शर्मा ने बताया कि आज यह कैंडल मार्च प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में आयोजित किया जा रहा है। इसका केवल यही उद्देश्य है कि उच्च शिक्षा संस्थानों में जो लव जिहाद हो रहा है वह बंद होना चाहिए। इस अवसर पर कल्याण सिंह राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय बुलंदशहर से डॉ. विनोद, (क्षेत्रीय सचिव, नेशनल मेडिकॉज़ आर्गेनाईजेशन ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश, डा. अलका(संगठन मंत्री नेशनल मेडिकॉज़ आर्गेनाईजेशन मेरठ प्रांत ) ने अपना पक्ष मीडिया के समक्ष रखा तथा राष्ट्रीय चेतना मिशन के संयोजक हेमंत ने भी सहयोग करते हुए विरोध व्यक्त किया। साथ ही चिकित्सा महाविद्यालय के अन्य चिकित्सकों एवं आम नागरिकों ने लव जिहाद को लेकर अपना विरोध जाहिर किया।
बुलंदशहर में कैंडल मार्च का नेतृत्व कर रहीं डॉ. अलका ने कहा कि यह मामला केवल एक संस्थान या व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह महिला सुरक्षा, विश्वास और पेशेवर गरिमा से जुड़ा गंभीर प्रश्न है, कुछ तत्व योजनाबद्ध तरीके से शिक्षित और संवेदनशील वर्ग को निशाना बना रहे हैं, ताकि सामाजिक संतुलन को तोड़ा जा सके। उन्होंने कहा, चिकित्सा संस्थान ज्ञान और सेवा के केंद्र होते हैं। ऐसे स्थानों पर किसी भी तरह के छल, दबाव या पहचान छिपाने की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जा सकती। दोषियों के खिलाफ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी ऐसी हिम्मत न करे। वहीं डॉ. विनोद ने कहा कि समाज में सौहार्द और विश्वास बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है। यदि रिश्तों की बुनियाद ही छल पर रखी जाए तो उसका असर केवल एक व्यक्ति पर नहीं, पूरे समाज पर पड़ता है। प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर सच सामने लाना चाहिए और पीड़ित को न्याय दिलाना चाहिए।
कैंडल मार्च के दौरान डॉक्टरों ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर शांतिपूर्ण ढंग से नारे लगाए और पीड़िता के प्रति एकजुटता दिखाई। मार्च के अंत में डॉक्टरों ने राज्य सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों पर त्वरित व कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। मार्च में शामिल डॉक्टरों का कहना है कि जब तक इस तरह के मामलों में स्पष्ट संदेश नहीं जाएगा, तब तक मेडिकल संस्थानों में कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा और विश्वास पर सवाल उठते रहेंगे।
‘लव जिहाद बंद करो’, ‘केजीएमयू प्रशासन मुर्दाबाद’
राजधानी लखनऊ में निकाले गये कैंडिल मार्च में ‘प्रदर्शनकारियों ने केजीएमयू प्रशासन मुर्दाबाद, केजीएमयू में लव जिहाद बंद करो’ के नारे लगाए। प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर अभिषेक पांडे ने कहा कि केजीएमयू में लव जिहाद की खबर सबके सामने है। यह घटना संज्ञान में आने के बाद भी केजीएमयू में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था मगर उसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। हम लोग केजीएमयू प्रशासन को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि आरोपी डॉक्टर रमीज के खिलाफ कार्रवाई हो और पीड़िता को न्याय मिले। केजीएमयू जैसे मेडिकल संस्थान में लव जिहाद जैसी शर्मनाक घटना सामने आई है जिससे हम सभी डॉक्टर बेहद नाराज हैं।
नई कमेटी की मांग
डॉक्टर अभिषेक ने कहा कि हम लोगों को बताया गया था कि एक कमेटी गठित की जा रही है मगर अभी तक उसकी कमेटी ने कोई भी उचित कार्रवाई नहीं किया। यह बिल्कुल स्पष्ट हो रहा है कि सिर्फ खानापूर्ति के लिए यह कमेटी गठित की गई है। एक महिला डॉक्टर के खिलाफ ऐसी चीज हो रही है जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। केजीएमयू ने जो विशाखा कमेटी बनाई है वह लाचार है। ऐसी कमेटी बनाई जाए जिसमें पुलिस प्रशासन से जुड़े हुए लोग, डॉक्टर, अधिवक्ता और महिला चिकित्सक शामिल हों। इस कमेटी को भंग किया जाए इस पर हम लोगों को बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।
‘पीड़िता के प्रीत के सहयोगियों को डराया गया’
प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर ताविषि मिश्रा ने कहा कि यह प्रदर्शन हम लोग एक डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए कर रहे हैं। इस पूरी घटना में केजीएमयू प्रशासन की लापरवाही सीधे तौर पर उजागर हो रही है जो अब तक उसे पीड़िता को न्याय नहीं दे सका। एक महिला के लिए कमेटी गठित की गई और उस कमेटी में किसी महिला का ना होना ही केजीएमयू की लापरवाही को दर्शाता है। पीड़िता के जो बैचमेट मेडिकल छात्रा है उनको इतना डरा दिया गया कि वह हमारे साथ प्रदर्शन में नहीं आ रहे हैं।
‘इंसानियत के लिए सबको आगे आना चाहिए’
ताविषि ने कहा कि पीजी छात्रों को डरा दिया गया फेल करने का दबाव बनाया गया है कि वह कोई भी आवाज नहीं उठा रहे हैं, ना कुछ बता रहे हैं। बहुत सारी चीज सामने नहीं निकल कर नहीं आ रही है मगर अंदरूनी जो दबाव है छात्र उसे महसूस कर रहे हैं। यह घटना किसी भी नागरिक के साथ हो सकती थी यहां सिर्फ डॉक्टर की बात नहीं है बल्कि इंसानियत और न्याय की बात है। आज समाज के विभिन्न वर्ग और संगठन के लोग हमारे साथ खड़े हैं और हम पीड़िता को न्याय जरूर दिलाएंगे।

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