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चीरा लगाया वाल्व बदलने के लिए, तो देखी जटिल बीमारी, काम आयी जुगाड़ सर्जरी

एक लाख में तीन को होती है यह जटिल बीमारी, उत्तर प्रदेश में पहली बार हुई यह सर्जरी

पदमाकर पाण्डेय ‘पद्म’

लखनऊ। केजीएमयू के सीवीटीएस विभाग की ओटी में वाल्व बदलने के लिए चीरा लगाने के बाद पता चला कि मरीज को असेंडिंग एआरटिक ईसेक्शन नाम की बीमारी है, जिसकी सर्जरी अलग तकनीक और संसाधनों से होती है, जो कि ओटी में उपलब्ध नहीं थे। फिर भी सर्जरी कर रहें डॉ.अम्बरीश कुमार ने जुगाड़ तकनीक अपनाते हुए मरीज में सफल सर्जरी कर दी। यह बीमारी एक लाख मरीजों में मात्र तीन में होती है और यह उत्तर प्रदेश में पहला केस है।

यह जानकारी गुरुवार को सर्जरी करने वाले डॉ.अम्बरीश कुमार ने देते हुए बताया कि सरोजनी नगर निवासी 35 वर्षीय सुशीला देवी को लारी कार्डियोलॉजी में ईको जांच से वाल्व लीक होने की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद 28 अप्रैल को सीवीटीएस में भर्ती किया गया था, 7 जून को वाल्व बदलने के लिए हार्ट लंग्स मशीन पर मरीज को लेकर, चीरा लगाया और ओटी टेबिल पर मरीज की दिल से निकलने वाली महाधमनी एरोटा को कट किया।

इसके बाद जो उन्होंने देखा उसने उनके होश उड़ा दिए। उन्होंने देखा कि सुशीला का वाल्व तो ठीक है लेकिन इसे असेंडिंग एआरटिक ईसेक्शन बीमारी थी। इस बीमारी में, एरोटा के अंदर तीन लेयर में एक लेयर लीक थी, खून नियत स्थान न पहुंच कर धमनी में अन्य नर्व पर दबाव बना रहा था। एरोटा धमनी को रिपेयर करने वाला 1.5 लाख की कीमत वाला वेस्कुलर ग्राफ्ट नहीं था। टेबिल पर खुले मरीज को ठीक करने के लिए जुगाड़ की तलाश की।

उन्होंने बताया कि फिर मरीज को डीप हाइपो थर्मिक सर्कुलेटिंग अरेस्ट (मरीज बाडी का टेम्परेचर 37 डिगी से घटाकर 18 से 20 डिग्री तक करना, मरीज को 20 मिनट तक जीवित रहने के लिए नार्मल आक्सीजन की जरूरत नही पड़ती है) पर लिया। इन्हीं 20 मिनट में 5 गुणे 5 इंच चौकोर डैकरॉन पैच को ट्यूब बनाकर, कृत्रिम एरोटा के रूप मे प्रोस्थेटिक ट्यूब तैयार किया और एरोटा में जितना क्षेत्र खराब था, वहां पर ऊपर नीचे फिक्स कर दिया। जिसके बाद एरोटा में एंटिमा, मीडिया और एक्ट्रमा लेयर सामान्य रूप से काम करने लगे और लगभग 5 घंटे में मरीज की सर्जरी सफल संपन्न हुई।

क्या होती है एसेंडिंग एआरटिक ईसेक्शन

दिल से निकलने वाली धमनियों में महाधमनी एरोटा के अंदर दीवार में तीन लेयर होती हैं, इंटिमा अंतरिक, मीडिया मध्य और एंटिमा बाहरी लेयर होती है। तीनो एक ही में चिपकी होती हैं और खून को हृदय से दिमाग और बाएं हाथ में पहुंचाती हैं। इसमें अंदर की लेयर इंटिमा अलग थी। खून दिमाग में न जाकर धमनी के अंदर फैल रहा था और अन्य नर्व पर दबाव बना रहा था।

सर्जरी करने वाले डॉक्टरों की टीम

डॉ.अम्बरीश कुमार, डॉ.शैलेन्द्र यादव, डॉ. विकास, डॉ.अजयंद एवं निश्चेतना विभाग से डॉ.दिनेश कौशल, डॉ.अंजन, डॉ.भारतेष, डॉ.आरिफ, डॉ. अंचल एवं मनोज श्रीवास्तव शामिल रहे।

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