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आईएसओ 15189:2022 वाली गुणवत्‍ता पर दिया गया प्रशिक्षण

-केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग आयोजित हुआ चार दिवसीय प्रशिक्षण


सेहत टाइम्‍स
लखनऊ।
दिसंबर 2022 में जारी संशोधित मानक ISO 15189:2022 के अनुसार प्रयोगशाला गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के लिए 4 दिवसीय प्रशिक्षण केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग के तत्‍वावधान में CQUAL की प्रबंध निदेशक डॉ नीलिमा वर्मा द्वारा आयोजित किया गया। यह प्रशिक्षण 17 जुलाई को प्रारम्‍भ हुआ था।

यह जानकारी देते हुए प्रोफेसर और क्लिनिकल बायोकैमिस्ट्री/केमिकल पाथ लेबोरेटरी, पैथोलॉजी विभाग, केजीएमयू, लखनऊ के प्रभारी संकाय प्रो वाहिद अली ने देते हुए केजीएमयू की ओर से सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और अपने स्वयं के बायोकैमिस्ट्री प्रयोगशाला, केजीएमयू को एनएबीएल मान्यता प्राप्त करने में उनके सामने आने वाले अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया।

केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख प्रो यू एस सिंह ने स्वागत किया और कार्यशाला के संचालन के लिए अपनी रुचि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला प्रयोगशाला पेशेवरों को अपनी प्रयोगशालाओं में अच्छी प्रयोगशाला पद्धतियों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती है। विभिन्न प्रतिष्ठित अस्पतालों और प्रयोगशालाओं के डॉक्टर और चिकित्सा पेशेवर अपने ज्ञान का विस्तार करने, अपने अनुभव साझा करने और प्रयोगशाला गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए एक साथ आए।

डॉ. नीलिमा वर्मा ने आईएसओ 15189 के वैश्विक परिदृश्य के बारे में बताया। उन्‍होंने बताया कि दुनिया भर में मान्यता प्राप्‍त निकायों के लिए ISO17011 मानक के अनुसार मान्यता के लिए मॉड्यूल तैयार करने के लिए आईएलएसी (अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशाला मान्यता निगम) और आईएएफ (अंतर्राष्ट्रीय प्रत्यायन फोरम) मिलकर काम करते हैं। भारत में NABL एक ऐसी मान्यता संस्था है जो ILAC के साथ MRA (म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट) पार्टनर है।

उन्होंने आगे कहा कि अच्छी प्रयोगशाला प्रथाओं को बनाए रखने की बहुत आवश्यकता है और सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण की बहुत आवश्यकता है। ये प्रशिक्षण प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन को सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण को सक्षम करने में मदद करेंगे। नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार 1.5 लाख सरकारी प्रतिष्ठानों को गुणवत्ता मानकों के रखरखाव के लिए प्रमाणित किया जाना चाहिए।

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